विवेक, वीरता, बुद्धि और धैर्य के सभी गुण मनुष्य के होते हैं सच्चे मित्र
जागरण संवाददाता कठुआ शहर के वार्ड नंबर ए में बुधवार को आयोजित सत्संग में डुग्गर प्रदेश के
जागरण संवाददाता, कठुआ: शहर के वार्ड नंबर ए में बुधवार को आयोजित सत्संग में डुग्गर प्रदेश के संत सुभाष शास्त्री जी ने उपस्थित संगत से कहा कि हम हर बार सत्य का संग करवाने का प्रयास करते हैं, परंतु शायद एक-आध को छोड़कर बाकी यहा से जब उठ कर जाते हैं तो सब यहीं झाड़ कर चले जाते हैं। यदि आप हमारे कहे पर सत्य का संग नहीं करेंगे तो सत्संग में आने का कोई लाभ नहीं है।
शास्त्री जी ने कहा कि विवेक, वीरता, बुद्धि, शक्ति, साहस और धैर्य के सभी गुण मनुष्य के सच्चे और स्वाभाविक मित्र होते हैं। अत: उनका साथ कभी नहीं नहीं छोड़ना चाहिए। आपातकाल में इन सब की मदद से काम करना चाहिए। इनकी मदद से आपातकाल को बदला जा सकता है और अपनी रक्षा की जा सकती है। अपनी स्थिति हमें खुद ही सुधारना चाहिए, क्योंकि दूसरे हमें सिर्फ रास्ता ही बता सकते हैं, उस रास्ते पर हमें सिर्फ चलना तो हमको ही पड़ेगा, ताकि मंजिल तक पहुंच सके। ठीक इसी प्रकार हम सत्य का संग करने के विषय में बता सकते हैं, समझा सकते हैं परंतु यह संग करना तो आपकी ही है।
उन्होंने कहा कि आज मानव गुरु, मंदिर में जाता है, तो गुरु व परमात्मा से केवल मागता ही है, देखो, परमात्मा ने हमें बिना मागे ही इतना कुछ दिया है और देता भी रहता है कि जिसकी कोई सीमा नहीं, फिर भी हम उससे मागते ही रहते हैं, हमारी मागे खत्म ही नहीं होती है, हम हर रोज मागते ही रहते हैं। यहा तक कि हमारी पूजा प्रार्थना भी माग हो गई है। असल में हमारी प्रार्थना में माग नहीं, प्रभु के प्रति अहो भाव होना चाहिए, हम तो इसके भी योग्य नहीं थे, पर तू दयालु है, दाता है, सो दिया जा रहा है। जो प्रभु को धन्यवाद देता है वह भक्त है, जो मागता है वह भिखारी है, अपने से प्रश्न करें, आप किस श्रेणी में आते हैं?