अविश्वास प्रस्ताव के बाद बैठक को लेकर नप में बढ़ी रार

राकेश शर्मा कठुआ भाजपा के सात बागियों द्वारा निर्दलीय पार्षदों के सहयोग से नगर परिषद में प्र

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 04:50 AM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 04:50 AM (IST)
अविश्वास प्रस्ताव के बाद बैठक को लेकर नप में बढ़ी रार
अविश्वास प्रस्ताव के बाद बैठक को लेकर नप में बढ़ी रार

राकेश शर्मा, कठुआ: भाजपा के सात बागियों द्वारा निर्दलीय पार्षदों के सहयोग से नगर परिषद में प्रधान एवं उप प्रधान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बाद दोनों गुटों में रार बढ़ती जा रही है। भाजपा के दोनों गुट अविश्वास प्रस्ताव के मामले को लेकर एक दूसरे को खुली चुनौती देने शुरू कर दिए। आरोप-प्रत्यारोप के बीच आने वाले दिनों में अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाले मतदान से पहले भाजपा की गुटबंदी सड़कों पर भी आ सकती है।

उधर, नगर परिषद के प्रधान नरेश शर्मा अभी भी अपने पास अविश्वास प्रस्ताव के लिए बुलाई जाने वाली सभी पार्षदों की बैठक का अधिकार इस्तेमाल करने की बजाय वेट एंड वॉच की नीति अपनाए हुए हैं। प्रधान नरेश शर्मा की नीति से बागियों के तेवर दिन ब दिन कड़े होते होते जा रहे हैं और वे नरेश शर्मा के ही बयान का जवाब देने से पीछे नहीं हट रहे हैं। इस बीच प्रधान की ओर से करवाए जा रहे विकास कार्यो पर भी सवाल उठा रहे हैं। जिला में सबसे मजबूत एवं पूर्ण बहुमत से गठित नगर परिषद में पिछले तीन महीने से जारी गतिरोध के बाद अब जिस तरह से रार बढ़ रही है, उससे आने वाले दिनों में भाजपा की जिला मुख्यालय पर मजबूती से गठित नगर परिषद के टूटने के आसार बन रहे हैं, इसके बाद क्या स्थिति बनेगी, यह कोई जानता, क्योंकि जिस दावे से भाजपा के बागी गुट के पार्षद एकजुट हैं, उससे नगर परिषद में अविश्वास प्रस्ताव पारित कराने में सफल होने की प्रबल संभावना दिख रही है। लेकिन इसके बाद प्रधान कौन बनेगा, इसे लेकर उनमें भी रार बढ़ेगी, इसका संकेत गत दिवस पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बब्बी ने आयोजित पत्रकारवार्ता में खुद को 12 में से सबसे बड़ा प्रधान बता कर दे दिया है।

नगर परिषद की राजनीति की जानकार रखने वाले समझ गए हैं कि राजेंद्र सिंह बब्बी अपने को प्रधान बनने के लिए जोड़ तोड़ कर रहे हैं। अगर वे खुद नहीं बनेंगे तो वे किसी का नाम घोषित कर स्वयं परिषद पिछले दरवाजे से चलाएंगे। फिलहाल, नरेश शर्मा के पास अविश्वास प्रस्ताव के मतदान के लिए बुलाई जाने वाली बैठक के अधिकार के चलते दो दिन का समय है, उसके बाद अगर वे बैठक नहीं बुलाते है तो फिर वे मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पास जाकर एक्ट के अनुसार तीन दिन के अंदर मतदान के लिए बैठक बुलाएंगे। इसके चलते नरेश शर्मा अभी अपनी कुर्सी बचाने के लिए वेट एंड वॉच की नीति भी अपनाए हुए हैं, लेकिन यह तय है कि आने वाले दिनों में नगर परिषद की राजनीति और ज्यादा गर्माएगी।

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बागियों को अब नहीं है पार्टी हाईकमान की परवाह

जिस तरह से बागी पार्षद आए दिन प्रदेश हाईकमान की चुप्पी पर सवाल उठा रहे हैं और उनकी अब तक अपनाई जा रही नीति को भी कोस रहे हैं। हालांकि, हाईकमान ने जुलाई माह में अविश्वास प्रस्ताव लाने पर बागियों को चेतावनी देते हुए अपना फैसला वापस लेने के लिए नोटिस जारी किया, जिस पर किसी बागी ने अमल नहीं किया। इसके बाद पार्टी ने उनके पास अतिरिक्त पद छीन लिए थे, लेकिन अब बागियों को पार्टी की परवाह नहीं रही है, उन्हें बस नरेश शर्मा को किसी तरह से कुर्सी से उतारना है, इसके लिए वे लगातार प्रयासरत हैं। अभी सफलता मिलती है या नहीं, यह तो अगले कुछ दिनों में ही साफ हो जाएगा। बता दें अभी तक तीन प्रयास बागियों के असफल हो चुके हैं, अब चौथा प्रयास है।

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