सार्वजनिक स्थानों पर करोड़ों खर्च कर बनाए 89 शौचालय, सभी बंद

राकेश शर्मा कठुआ जिले में पिछले पांच वर्षो में स्वच्छता बनाए रखने के नाम पर करोड़ों रुपये

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 05:57 AM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 05:57 AM (IST)
सार्वजनिक स्थानों पर करोड़ों खर्च कर बनाए 89 शौचालय, सभी बंद
सार्वजनिक स्थानों पर करोड़ों खर्च कर बनाए 89 शौचालय, सभी बंद

राकेश शर्मा, कठुआ: जिले में पिछले पांच वर्षो में स्वच्छता बनाए रखने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, फिर भी जिस मकसद से राशि खर्च किए गए, वह आज तक पूरा नहीं हो पाया। इसका मुख्य कारण बिना तैयारी और पूर्व योजना से किए गए कार्य प्रमुख कारण माना जा रहा है। कुछ ऐसा ही हाल सार्वजनिक स्थानों पर जन सुविधा के लिए ग्रामीण विकास विभाग की ओर से बनाए गए शौचालयों का है।

जिलेभर में 14वें वित्त आयोग से करीब 89 शौचालय बनाने के लिए प्रति शौचालय दो लाख के हिसाब से फंड मिले थे, जिससे तैयार किए गए शौचालय का आज तक प्रयोग ही नहीं हो पाया। आलम यह है कि कुछ तो पूरी तरह से बर्बाद हो गए और जो कुछ बचे हैं, उसके अंदर लगा सेनिटरी का सामान आदि भी टूट गया है। लगे नल भी बर्बाद हो गए। ऊपर लगी पानी की टंकी यानि करोड़ों खर्च करने के बाद सब कुछ जमींदोज हो रहा है। इतने फंड खर्च करने के बाद भी जहां स्वच्छता बनाए रखने का मकसद पूरा नहीं हो पाया, वहीं जनसुविधा भी लोगों को नहीं मिल पाया। सबसे ज्यादा हैरानी करने वाली बात यह है कि ऐसा होने पर भी न तो कोई अधिकारी इस ओर ध्यान दे रहा है और न ही किसी जनप्रतिनिधि का ध्यान है। सरकार समर्थक पार्टी की गतिविधियों में स्वच्छता पर लोगों को जागरूक करने का कार्यक्रम भी शामिल हैं। बावजूद आज भी जिला प्रशासन सरकारी आदेश पर मजबूरी में स्वच्छता के नाम पर सिर्फ जागरूकता के लिए आए दिन कार्यक्रमों पर लाखों रुपये खर्च कर रहा है, लेकिन जो बने हैं, उस ओर कोई ध्यान नहीं है।

इन सबके बीच अभी हाल में ग्रामीण विकास विभाग ने हाईवे पर वर्षो से लोगों की मांग पर लोंडी मोड़ से लेकर लखनपुर तक जगह-जगह 3-3 लाख रुपये की लागत से 8 और सार्वजनिक शौचालय बना दिए, लेकिन वह भी बिना योजना और बिना तैयारी के। इसके संचालन और रखरखाव का जिम्मा भी किसी को नहीं दिया गया है।

बहरहाल, सवाल उठने लगा है कि पानी की तरह करोड़ों रुपये बहाकर कौन सी स्वच्छता लाई जा रही है, जबकि शौचालय के रखरखाव के लिए कोई प्रबंध तक नहीं किए जा रहे हैं। पूछे जाने पर अधिकारियों का एक ही जवाब होता है कि उन्हें निर्माण करने के लिए आदेश था, फंड उपलब्ध होने के बाद बना दिए गए हैं। इसमें रखरखाव का प्रावधान नहीं है। दबी जुवान से अधिकारी कहते हैं कि इसकी जिम्मेदारी स्थानीय पंचायतों को पूरी करनी होती है, लेकिन वे भी बिना फंड के कैसे करें। सभी अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। कोट्स---

ऐसी योजनाएं सरकार विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर कमीशन के लिए बनाती है, इसलिए सिरे नहीं चढ़ पाती हैं। निर्माण करने वाले विभाग के अधिकारियों को तो जरूर इसका लाभ मिला है, अगर नहीं तो फिर बनाने का क्या मकसद।

-गणेश शर्मा, स्थानीय दुकानदार कोट्स--

चार साल पहले तत्कालीन डीसी ने अपनी नेम प्लेट लगाकर जन सुविधा देने के नाम पर वाहवाही लूटी थी। लेकिन रखरखाव किसे सौंपा गया, यह नहीं बताया, सिर्फ अपना नाम लिखा और सरकार को अपनी उपलब्धि बताकर फंडों का दुरुपयोग किया।

-छज्जू राम, स्थानीय दुकानदार कोट्स--

जिस स्थान पर हटली मोड़ चौक पर शौचालय बना है, वहां पर जरूरत थी, क्योंकि अभी तक जहां पर ऐसी कोई जन सुविधा नहीं थी। प्रतिदिन हजारों यात्री यात्री वाहनों का इंतजार करते हैं, जब बनाया गया तो सुविधा मिलने की उम्मीद थी।

-मोहन लाल, स्थानीय दुकानदार कोट्स--

कुछ माह पहले ही जिला पंचायत अधिकारी का कार्यभार संभाले हैं। जिले में 89 शौचालयों कई सार्वजनिक स्थानों पर जन सुविधा के लिए बनाए गए हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं होने या बर्बाद हाने के पीछे कारण, उसका रखरखाव का किसी के पास जिम्मा नहीं होना रहा है। जिस पंचायत में बने हैं, वहां की पंचायत को करना था।

-पीयूष, जिला पंचायत अधिकारी, कठुआ।

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