12 करोड़ की परियोजना 60 करोड़ तक पहुंचने पर भी अधूरी

राकेश शर्मा कठुआ मौजूदा व पूर्व सरकार ने जिले में बीते दो दशक में कई परियोजनाओं के

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 05:01 AM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 05:01 AM (IST)
12 करोड़ की परियोजना 60 करोड़ तक पहुंचने पर भी अधूरी
12 करोड़ की परियोजना 60 करोड़ तक पहुंचने पर भी अधूरी

राकेश शर्मा, कठुआ: मौजूदा व पूर्व सरकार ने जिले में बीते दो दशक में कई परियोजनाओं के निर्माण कराए। अभी हो भी रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी बहुउद्देश्यीय एवं महत्वपूर्ण परियोजनाएं हैं, जिनके कार्य 12 साल बीत जाने भी अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण शहर से सटे खोख्याल गांव में बज्जू नाला पर सिचाई विभाग की बहुउद्देशीय चेक डैम परियोजना है, जिसका कार्य विगत 12 साल पहले शुरू हुआ था। उसे दो साल में पूरा किया जाना था, इस पर करीब 12 करोड़ खर्च होने थे। हालांकि, निर्माण करा रही कंपनी ने दो साल की बजाय डेढ़ साल में ही आधे से ज्यादा काम पूरा कर दिया, जिसके बाद बीच में फंड का भी अभाव आया, लेकिन परियोजना का कार्य रुकने का मुख्य कारण उसके अधीन आने वाली भूमि के मुआवजे के वितरण को लेकर हुआ।

किसान भूमि का मुआवजा मौजूदा समय के रेट के मुताबिक मांग रहे थे। बाद में भूमि का मुआवजे के लिए फंड उपलब्ध कराए गए, जिससे इस परियोजना की लागत बीते आठ साल में 12 करोड़ से बढ़कर 23 करोड़ तक पहुंच गई, उसके बाद वर्ष 2016 के बाद फंड ही जारी नहीं हुए, इससे कार्य रुक गया, जो अभी तक रुका है। सरकार की इस परियोजना के मामले में पूरी तरह से अनदेखी का यह उदाहरण कठुआ जिला में बना है। हालांकि, इसके बाद इससे भी ज्यादा लागत वाली कई परियोजनाएं मंजूर हुई और उसके कार्य दो तीन सालों में ही पूरे कर लिए गए, लेकिन जम्मू कश्मीर की पहली बहुउद्देशीय चेक डैम परियोजना जो एक मॉडल के रूप में विकसित होनी थी, लेकिन आज तक अनदेखी के कारण बंद पड़ी है।

शुरू के बाद से अब तक एक निर्माण एजेंसी ही नहीं, बल्कि कई एजेंसियां अलग- अलग पार्ट का टेंडर लेकर खर्च भी कर चुकी है, लेकिन आज भी 60 फीसद के करीब ही परियोजना का काम हो पाया है। उसके बाद अब तो आलम यह है कि 12 करोड़ की परियोजना पर देरी और अनदेखी के कारण 60 करोड़ खर्च किए जाने की तैयारी हो चुकी है, इसकी नई डीपीआर गत वर्ष 2019 में बनाकर केंद्र के पास सिचाई विभाग भेज भी चुका है, लेकिन फंड मंजूरी का अब इंतजार हो रहा है।

बता दें कि शुरू में एक बार डीपीआर बनने के बाद बीच में कई बार लागत बढ़ाने के लिए बढ़ती रही है। उसके बाद भी काम पूरा नहीं हो पा रहा है। ऐसा लगता है कि दो साल पहले बनी 60 करोड़ की डीपीआर, जिसे अभी तक मंजूरी नहीं दी गई है। आने वाले समय में मौजूदा समय में मीटिरियल के बढे़ दाम के बाद फिर रिवाइव होगी, जिसमें 12 करोड़ की परियोजना समय पर पूरी न करके सरकार उस पर अब 60 का अनुमान लगा रही है, लेकिन आने वाले दिनों में पूरा नहीं होने पर 100 करोड़ तक भी जा सकती है। जबकि परियोजना में अभी दो नहरों के अलावा चारों ओर पानी जमा करने के लिए बांध भी बनना है।

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क्या है बहुउद्देशीय चेक डैम परियोजना

जम्मू कश्मीर में सिचाई विभाग ने जिला कठुआ में सिचाई की पहली खोख्याल गांव स्थित बहुउद्देशीय चेक डैम परियोजना को वर्ष 2008 में मंजूरी दी, जिसे दो साल में 12 करोड़ खर्च करना था। परियोजना को पूरा करने के बाद इसी के साथ एक और अन्य अजीजपुर चैक डैम परियोजना को भी मंजूरी दी गई, उस पर भी 12 करोड़ ही खर्च करना था, लेकिन खोख्याल वाली ही सिरे नहीं चढ़ने पर अजीजपुर वाली जमीदोंज हो गई, अब तो उसका सरकारी फाइलों में रिकॉर्ड ही नहीं है, सिर्फ उस समय वर्ष 2008 में मंजूर होने के समय था। बाक्स---

चार किमी के दायरे में बननी थी कृत्रिम झील

खोख्याल गांव स्थित बहुउद्देशीय चेक डैम परियोजना में सिर्फ सिचाई के ही उद्देश्य से ही नहीं, बल्कि चार किलोमीटर दायरे में एक कृत्रिम झील भी बननी थी, जिसे पर्यटन के उददेश्य के लिए भी इस्तेमाल करना था। इसमें नौका विहार का भी प्रस्ताव था। शहर से सटे होने पर बहुत बढि़यां पिकनीक स्पॉट बनना था। इसके अलावा मत्स्य पालन का भी इसमें एक पार्ट होना था, जिसमें देश विदेश की मछलियां डाली जानी थी। इसके अलावा आसपास पार्क का भी प्रस्ताव था, अब इन सब पर कोई बात न करके सिर्फ सिचाई से ही जुड़ी परियोजना को पूरा होने तक सीमित रखे हुए है। दूसरा अब इसमें नई बात यह भी आ रही है, जिन किसानों की भूमि उसकी जद में आ रही है, वह अब नया बिखेड़ा बनाकर मौजूदा समय के भूमि रेट मांग रहे हैं, जबकि उनके रेट पहले से ही तय होने के बाद उसी के मुताबिक नई डीपीआर में डाले गए हैं। कोट्स---

खोख्याल चैक डैम का निर्माण फंड के अभाव में रुका है। वर्ष 2016 के बाद कोई फंड जारी नहीं हुए है, अब तक 22 करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुके हैं, अब दो साल पहले नई डीपीआर में 60 करोड की बनाकर भेजी गई है, फंड मिलने का इंतजार किया जा रहा है।

-अनिल गुप्ता, कार्यकारी अभियंता, सिचाई विभाग, कठुआ

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