अच्छा कर्म करने से सुख व बुरा कर्म करने से दुख मिलेगा: सुभाष शास्त्री

हमें आज जो भी मिल रहा है वह हमारे ही दिया हुआ मिल रहा है। चाहे तत्काल मिले या पिछले समय में कभी का दिया हुआ मिल रहा हो क्योंकि बिना दिए कुछ नहीं मिलता इसलिए हमें दूसरों को वैसे ही देना चाहिए जैसा हम खुद पाना चाहते है।

By Edited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 01:57 AM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 08:51 AM (IST)
अच्छा कर्म करने से सुख व बुरा कर्म करने से दुख मिलेगा: सुभाष शास्त्री
मन कर्म और वचन को संयमित रखकर व्यवहार करें हर किसी से।

संवाद सहयोगी, बिलावर/रामकोट: नवरात्र के उपलक्ष्य पर लाखड़ी के रघुनाथ मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन जिला विकास परिषद के सदस्य नारायण दत्त त्रिपाठी की अगुआई में किया गया। इस मौके पर डुग्गर प्रदेश के संत सुभाष शास्त्री ने संगत को समझाया कि शाति कभी भौतिक सुख, संसाधनों और बाहरी जगत से नहीं मिल सकती। वह तो अपने अंदर और संतोषी मनोवृति से ही मिलती है।

शाति बाहर कि नहीं, भीतर की चीज है। महापुरुष आदि काल से ऐसा ही अनुभव करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि दूसरों से ईष्र्या करने वाला, घृणा करने वाला, असंतोषी, क्रोधी, सदा शक करने वाला और पराये आश्रय जीने वाला मनुष्य सदा दुखी रहता हैं। धैर्यवान पुरुष स्वजन से वियोग के समय धन नाश के समय उपस्थित होने पर अपने विवेक से काम लेते हैं, इसलिए कभी दुखी नहीं होते।

शास्त्री जी ने कहा कि संसार का नियम है कि जैसा बीज बोओगे, वैसा ही फल प्राप्त करोगे, इसलिए अच्छे कर्म करो और दुखों से बचो। इस जीवन में हमें वही लौटकर मिलता है जो हम देते हैं, चाहे तत्काल मिले या बाद में। हमें आज जो भी मिल रहा है वह हमारे ही दिया हुआ मिल रहा है। चाहे तत्काल मिले या पिछले समय में, कभी का दिया हुआ मिल रहा हो, क्योंकि बिना दिए कुछ नहीं मिलता, इसलिए हमें दूसरों को वैसे ही देना चाहिए, जैसा हम खुद पाना चाहते है, अर्थात मन कर्म और वचन को संयमित रखकर व्यवहार करें हर किसी से।

उन्होंने समझाया कि शुभ कर्म करने से सुख और पाप कर्म करने से दुख मिलता है। अपना किया हुआ कर्म ही सब जगह फल देता है। बिना कर्म किए कोई फल नहीं भोगा जा सकता, इसलिए मनुष्य को ऐसे कर्म ही करने चाहिए जिनका फल वह निशात और प्रसन्न चित्तहोकर भोग सके। महामारी के चलते श्रीमद् भागवत कथा के दौरान सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों का पालन करते हुए फेस मास्क और दो गज की दूरी का नियम का पूरी सतर्कता के साथ पालन किया गया। इससे पहले सरपंच लीला कुमारी, सुमनलता, किरण बाला ने पुष्प देकर शास्त्री को सम्मानित किया।

संत सुभाष शास्त्री ने दुर्गा पाठ के साथ कार्यक्रम प्रारंभ करते हुए गीता के श्लोक से सनातन धर्म की महानता के बारे में विस्तार से बताते हुए लोगों को अच्छाइयों से बुराइयों पर जीत हासिल करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने दान धर्म करते हुए देवी देवताओं की आराधना करने और नित्य मंदिरों में हाजिरी लगाने की भी अपील की। बुधवार को शुरू हुई कथा पूरे 9 दिन चलेगी।

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