पौधे लगाने की मुहिम पर कोरोना की मार, लक्ष्य एक लाख 36 हजार, लगे महज हजार

कोरोना महामारी ने जहां हर क्षेत्र को प्रभावित किया है वहीं पौधे लगाने की वार्षिक मुहिम क

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 Aug 2020 12:33 AM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 12:33 AM (IST)
पौधे लगाने की मुहिम पर कोरोना की मार, लक्ष्य एक लाख 36 हजार, लगे महज हजार
पौधे लगाने की मुहिम पर कोरोना की मार, लक्ष्य एक लाख 36 हजार, लगे महज हजार

कोरोना महामारी ने जहां हर क्षेत्र को प्रभावित किया है, वहीं पौधे लगाने की वार्षिक मुहिम की रफ्तार को भी कम कर दिया है। जिले में हरियाली के लिए पौधे तैयार करने और उसे फिर खाली जगहों पर लगाने का जिम्मा संभाले जिला सोशल फारेस्ट्री विभाग के लक्ष्य को पूरा करने में कोरोना संकट रोड़ा बना हुआ है। सबसे अहम जुलाई माह में शुरू हुए वन महोत्सव को प्रभावित किया, इसके बावजूद विभाग के अधिकारी पौधरोपण के तय लक्ष्य को पूरा करने में जुटे हुए हैं, भले ही उसमें देरी हो सकती है,लेकिन हरियाली लगाने के प्रयास को रोका नहीं जा सकता है। हालांकि, पौधरोपण का लक्ष्य जुलाई के पहले सप्ताह से लेकर 15 अगस्त तक पूरा करना होता है, जो अब तक एक फीसद ही हो पाया है। ऐसे में अब विभाग किस तरह से लक्ष्य को पूरा करेगा, विभाग के पास क्या योजना है, इन सब मुद्दों पर दैनिक जागरण के उप मुख्य संवाददाता राकेश शर्मा ने वन विभाग के सोशल फारेस्ट्री के डीएफओ मुनीश भारद्वाज से बातचीत की, उनसे हुई बातचीत के अंश:- -जिले में इस बार कितने पौधे लगाने का लक्ष्य विभाग ने रखा है।

जिले में इस बार 1 लाख 36 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन कोरोना संकट के कारण पौधरोपण अभियान जुलाई के पहले सप्ताह में शुरू नहीं हो पाया। इसके बावजूद विभाग पीछे नहीं है। आज के दौर में पौधरोपण सबसे जरूरी काम है। इसे प्राथमिकता से किया जाना है, भले ही कोरोना संकट के कारण कुछ देरी हुई है, लेकिन अभी तक पौधरोपण के लिए फंड भी तो नहीं मिले हैं, लेकिन निर्धारित लक्ष्य इसी वित्तीय वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। - बिना फंड के कैसे पौधरोपण होगा।

अभी तक करीब एक हजार पौधे जिले में लगाए जा चुके हैं और ये काम अब पूरी तेजी से शुरू हो चुका है। हालांकि, एक महीना लेट होने से पौधे लगाने का सही मौसम अब मात्र कुछ दिन का ही रह गया है, इसमें जितने लग पाएंगे, लगाएंगे। अगर रह गए तो उसे विटर सीजन में भी लगाएंगे, अब अगर 15 अगस्त के बाद भी पौधे लगाना जारी रखते हैं तो उसमें उनके उगने की संख्या यानि सर्वाइवल कम होगा, इसलिए इस बार विटर सीजन में भी पौधे रोपे जाएंगे। तब तक शायद जिला व स्टेट से भी फंड मिल जाए। अभी सिर्फ कैंपा से ही फंड मिले हैं। - जिला, स्टेट व कैंपा से कितने फंड सरकार पौधरोपण के लिए जारी करती है।

जिला से 17, जिसमें उनके विभाग का कुछ हिस्सा सांबा डिवीजन में भी पड़ता है, उसके लिए 4 लाख और कठुआ जिले के लिए 13 लाख, स्टेट फंड से 50 लाख रुपये मिलते हैं। इसके अलावा कैंपा से 90 लाख रुपये मिलते हैं। - कैंपा कौन सा फंड है।

कैंपा फंड विभाग उन विभागों से मुआवजे के रूप में राशि लेता है, जो उनकी जमीन से परियोजनाएं या विकास कार्य कराते हैं, उनसे जितने पौधे काटे जाते हैं, उसका दोगुना मुआवजा विभाग वसूलता है, फिर जितने काटे गए होते हैं, उसे दूसरी जगह दोगुना करके लगाता है, ताकि भरपाई हो। डेढ़ करोड़ के करीब फंड सिर्फ पौधरोपण पर नहीं, बल्कि नर्सरियां तैयार करने, उनमें पौधे तैयार करने, उसके बाद पौधे लगाने के लिए लेबर पर खर्च व उनके संरक्षण पर खर्च किए जाते हैं। इस बार उज्ज परियोजना के निर्माण में आने वाला वन क्षेत्र से भी पौधे काटने की एवज में विभाग निर्माण कंपनी से दोगुना मुआवजा लेगा, अभी वहां काम शुरू होना है। फिलहाल, सर्वे शुरू है। - इस बार नर्सरियों में कौन सी नस्ल के पौधे लगाए जा रहे हैं।

जिले में सोशल फारेस्ट्री की 6 नर्सरियां हैं, जिसमें तीन ही फंक्शनल हैं। तीन कठुआ और एक सांबा में, कठुआ में चक दराब खान, सकता चक, दनारी बिलावर, बनी और सांबा नर्सरी है। इस बार कश्मीर का चिनार भी, जहां पौधरोपण के लिए इंट्रोड्यूस किया है, उसके परिणाम अभी तो अच्छे आ रहे हैं। इसके अलावा सिल्वर ओक, जामुन, अर्जुन, रात की रानी, तुनू, अमरूद जैसे पौधे लगाए जा रहे हैं। पौधरोपण में इस बार पंचायतों की अहम भूमिका है, जहां भी स्टेट लेंड, गांव की सार्वजनिक भूमि खाली होगी, वहीं पर पौधे लगाएंगे, लेकिन पंचायतों में बिना पंचायत की अनुमति विभाग वहां पौधे नहीं लगा सकता है, इसके लिए सरकार ने उन्हें विशेष आदेश जारी किए हैं। पंचायत जहां चाहेगी अपने क्षेत्र में, उनका विभाग वहीं पौधे लगाएगा।

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