छोटे-छोटे नालों पर चेक डैम का निर्माण किया जाए
संवाद सहयोगी कठुआ हीरानगर ग्रामीण संघर्ष समिति ने सीमावर्ती इलाके के लोगों के किए गए जमीन अधि
संवाद सहयोगी, कठुआ: हीरानगर ग्रामीण संघर्ष समिति ने सीमावर्ती इलाके के लोगों के किए गए जमीन अधिग्रहण का मुआवजा न दिए जाने पर रोष जताया।
रविवार को पत्रकारों से बातचीत में समिति के संयोजक ठाकुर रंजीत सिंह ने कहा कि 1947 से लेकर 1996 तक सीमा क्षेत्र की अधिकांश भूमि केंद्र सरकार ने सेना और शस्त्र बलों को दी थी, जिस पर भारतीय सेना ने बंकर बनाए थे। कई कनाल भूमि पर सेना का कब्जा था। उस समय की तत्कालीन सरकार ने ना तो अधिग्रहण अधिनियम के तहत लोगों की भूमि का अधिग्रहण किया और ना ही सीमा क्षेत्र के लोगों को कोई मुआवजा दिया। इस समस्या को लेकर लोग पिछले कुछ महीनों से केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर यूटी सरकार के समक्ष अपनी मागों को रख रहे हैं। सीमा क्षेत्र के अधिकांश लोग खेतीबाड़ी पर निर्भर हैं, जबकि उनकी जमीन पर सेना का बंकर बना हुआ है। इसके चलते क्षेत्र के लोगों को भोजन और अन्य वित्तीय संकट के लिए बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण संघर्ष समिति के सदस्य अशोक जसरोटिया ने बताया के सीमा क्षेत्र पहाड़पुर से लेकर मावा तक हजारों कनाल भूमि सिंचाई के बिना ही बची हुई है, जिस पर सिंचाई के लिए पानी का कोई भी उचित प्रबंध नहीं है। इसी को हल करने के लिए ग्रामीण संघर्ष समिति ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से माग की है कि इन क्षेत्रों में दो छोटी नाले तरनाह और बेई का पानी एकत्रित कर चेक डैम का निर्माण करवाए, ताकि सिंचाई के लिए पानी की अपूíत हो सके। इससे सीमा क्षेत्र में सिंचाई की समस्या का भी हल होगा और क्षेत्र के लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
उपराज्यपाल से माग की कि चेक डैम की परियोजना तैयार की जाए और छोटे-छोटे नालों का पानी इकट्ठा करके जरूरतमंद किसानों को आपूíत की जाए। इस मौके पर अशोक जसरोटिया, बिशन दास, अनिल सिंह, सुभाष शर्मा और प्रह्लाद सिंह मौजूद थे।