रणजीत सागर झील में 10 लाख मछली बीज डाले

जागरण संवाददाता कठुआ मत्सय विभाग द्वारा रणजीत सागर झील में बनाए गए जलाशय में मछली बीज भंड

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 12:28 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 12:28 AM (IST)
रणजीत सागर झील में 10 लाख मछली बीज डाले
रणजीत सागर झील में 10 लाख मछली बीज डाले

जागरण संवाददाता, कठुआ: मत्सय विभाग द्वारा रणजीत सागर झील में बनाए गए जलाशय में मछली बीज भंडारण का पहला चरण वीरवार से शुरू किया गया।

रणजीत सागर झील के सतवांई जलाशय मात्सि्यकी विकास परियोजना में निदेशक मात्सि्यकी विभाग बशीर अहमद भट्ट ने उपस्थित स्थानीय जिला मत्स्य विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में जलाशय में विभिन्न किस्मों के मछली बीज के वार्षिक स्टाक की शुरुआत की, जिसमें भारतीय मेजर का‌र्प्स (आईएमसी) की विभिन्न किस्मों के मछली बीज और रोहू, मृगल, कतला, कॉमन कार्प और सिल्वर कार्प जैसे विदेशी का‌र्प्स आदि शामिल थे। वार्षिक स्टॉकिग अभ्यास के पहले चरण में विभिन्न प्रजातियों के लगभग 10 लाख फ्राई और उन्नत फ्राई का स्टॉक किया गया है। इस अवसर पर निदेशक ने कहा कि मत्स्य पालन विभाग एकमात्र एजेंसी है जो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के भीतर मत्स्य पालन के विकास के लिए जिम्मेदार है। मत्स्य विभाग द्वारा स्थापित निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों में बीज उत्पादक फार्म, मछली पालन इकाइयों, हैचरी के आकार में मछली उत्पादन सुविधाओं और फार्मों के रूप में बुनियादी ढांचे की अच्छी संख्या है। बशीर अहमद भट्ट ने कहा कि ऐसा यह विभाग के प्रयासों से है कि संघ राज्य क्षेत्र का मछली उत्पादन 20.09 हजार टन (लगभग) रहा है। जिसकी कटाई समाज के सबसे पिछड़े समुदाय- महगीर समुदाय द्वारा की जा रही है, जो कुल मछली उत्पादन का लगभग 75 से 80 फीसद है। शेष उत्पादन सरकारी के साथ-साथ निजी खेतों और विश्व प्रसिद्ध ट्राउट एंगलिग से आता है। उन्होंने कहा कि मत्स्य विभाग विभिन्न मछली प्रजातियों के प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले बायोमास की निरंतरता का ख्याल रखता है जो प्राकृतिक जल निकायों के साथ-साथ बंदी पालन दोनों में व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।

गौर हो कि मछली पकड़ने के परि²श्य का विस्तार करते हुए निदेशक ने कहा कि महगीर परिवार नदियों, जलाशयों और अन्य बड़े और छोटे जल निकायों सहित प्राकृतिक जल संसाधनों से मछली पकड़ने से जुड़े हैं। ऐसे में विभाग के लिए यह अनिवार्य है कि वह इन जल निकायों को मछली बायोमास के संबंध में उनके निर्वाह के लिए देखभाल करे जो 1,20000 से अधिक लोगों के लिए आजीविका के प्रत्यक्ष साधन के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि कार्प बीज उत्पादन के लिए विभाग द्वारा स्थापित राष्ट्रीय स्तर के मछली बीज फार्म जम्मू-राष्ट्रीय मछली बीज फार्म, कठुआ में एक और श्रीनगर-राष्ट्रीय मछली बीज फार्म मानसबल में बड़े और छोटे बीज उत्पादक फार्म जैसे मछली फार्म के अलावा स्थापित किए गए हैं। कार्प मछली के लिए घौमनासा विभाग ने एशिया के सबसे बड़े ट्राउट बीज उत्पादक फार्म में से एक है।इसके अलावा कोकरनाग, ट्राउट बीज उत्पादक फार्म, दाचीगाम, गांदरबल, खाग, मगन आदि की भी स्थापना की है। निदेशक ने कहा कि प्राकृतिक जल संसाधनों की खपत का सबसे अच्छा तरीका मछली के बीज की गुणवत्ता, रोग प्रतिरोधी किस्म के साथ भंडारण करना है। उन्होंने कहा कि विभाग अवैध मछली पकड़ने को रोकने के लिए निगरानी और वार्ड के अलावा मछली बीज के साथ वृद्धि के माध्यम से संरक्षण उपायों को अपना रहा है। संयुक्त निदेशक, सेंट्रल मोहम्मद मंजूर वानी, सीपीओ नेशनल फिश सीड फार्म गोपाल कृष्ण, एसपीओ एनएफएसएफ कुलभूषण वर्मा, एडी फिशरीज लाल हुसैन, पीओ पवन पॉल शर्मा, मुख्यालय अधिकारी मोहम्मद शबीर सहित अन्य संबंधित भी उपस्थित थे।

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