महिला सशक्तीकरण: महिलाओं को आमदनी की राह दिखा रहा वीमेन टेक पार्क, जानिए कैसे?

महिला घर के कामकाज के साथ साथ डेयरी पशुपालन, बागवानी, मत्स्य आदि को आधुनिक तरीके से आगे बढ़ाते हुए परिवार की आमदनी बढ़ा रही हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 21 Nov 2018 11:13 AM (IST) Updated:Wed, 21 Nov 2018 11:13 AM (IST)
महिला सशक्तीकरण: महिलाओं को आमदनी की राह दिखा रहा वीमेन टेक पार्क, जानिए कैसे?
महिला सशक्तीकरण: महिलाओं को आमदनी की राह दिखा रहा वीमेन टेक पार्क, जानिए कैसे?

जम्मू, गुलदेव राज। जागृति से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बदलाव आने लगा है । आज की महिला घर के कामकाज के साथ साथ डेयरी पशुपालन, बागवानी, मत्स्य आदि को आधुनिक तरीके से आगे बढ़ाते हुए परिवार की आमदनी बढ़ा रही हैं। इससे समाज में उनका अपना आत्म सम्मान तो बढ़ा ही, वहीं पैसा आने से घर में भी सुखचैन बढ़ा है। यह सब संभव हुआ है वीमेन टेक्नोलॉजी पार्क से जोकि एक साल पहले बिश्नाह के दियोली में खोला गया था। आरंभ में चंद ही महिलाएं यहां आ पाई थी मगर उसके बाद सफलता मिलती गई और कारवां आगे बढ़ता गया। यहीं कारण है कि साल भर में 1500 से अधिक महिलाएं यहां से प्रशिक्षण व मार्गदर्शन का लाभ लेकर अपना अपना काम कर रही हैं।

भारत सरकार के डब्ल्यूटीपी प्रतिष्ठान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी योजना विभाग के सहयोग से चल रहे इस पार्क में महिलाओं को डेयरी बेहतर चलाने, दूध से विभिन्न उत्पाद जैसे पनीर, कलाड़ी बनाने, बेहतर मत्स्य पालन का प्रशिक्षण दिया जाता है। वहीं बेहतरीन पैकिंग करने की भी जानकारी दी जाती है। मगर इसके साथ ही महिलाओं को जानकारी दी जाती है कि मूल्य संवर्धन से वे अपने उत्पाद को कैसे ऊंचे दाम पर बेच सकती हैं। जैसे दूध से मिठाईयां, पनीर, घी, कलाड़ी बन सकती है और पैककिंग हो सकती है। वहीं बेहतरीन मट्टन तैयार करने के तरीके की जानकारी भी यहां पर दी जाती है। मत्सय के विभिन्न उत्पाद बन सकते हैं। वहीं बागवानी से मिलने वाले उत्पादों का मूल्य संबर्धन कर आमदनी बढ़ाने के तरीकाें से भी अवगत कराया जाता है। योजना के तहत जरूरतमंद महिलाओं को अपना काम धंधा शुरू करने के लिए कुछ जरूरी साजो सामान भी उपलब्ध कराया जाता है।

दूर दराज के क्षेत्रों में भी पहुंच रहे विशेषज्ञ

वीमेन टेकपार्क के भीतर तो महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में तो प्रशिक्षण दिया ही जाता है। मगर वैज्ञानिक यहीं तक सीमित नही। वे फील्ड का दौरा कर भी महिलाओं को जागृत करते हैं और वीमेन टेक पार्क के साथ जोड़ते हैं। पिछले एक साल की बात की जाए तो इस परियोजना के तहत 600 से अधिक खेतों में पहुंच कर विशेषज्ञों ने महिलाओं को रोजगार की जानकारी दी। वहीं पोल्ट्री फार्म, डेयरी फार्म, मत्स्य पालन फार्म का दौरा किया गया है। 75 से अधिक जागरूकता शिविर कराए गए और 50 से अधिक लाभार्थियों को पशुधन उत्पादों को तैयार करने के लिए आवश्यक सामानों के रूप में अनुदान दिया गया।

 आमदनी बढ़ने से खुश है महिलाएं

सीमा देवी जोकि बिश्नाह के नजदीक ही रहती है पहले रोज पांच किलो दूध गाए से प्राप्त करती थी। इससे उसकी आमदनी सौ से डेढ़ सौ रुपये मुश्किल से बन पाती थी। मगर आज उसकी आमदनी तीन सौ रुपये तक बढ़ गई है। क्योकि वह अब दूध नही बेचती बल्कि दूध का पनीर बनाकर बेचती हैं। कई बार जब पनीर नही बनाया जाता तो वह दूध से करीब निकाल लेती हैं अौर माह भर बाद घी तैयार कर लेती हैं। यह सामान फटाफट बिक जाता है और आमदनी पहले से दोगुनी सेक भी ज्यादा हो गई।

वहीं सुमन कुमारी भी ऐसा ही काम कर रही हैं। उसने बताया कि मूल्य संवर्धन के बारे में वह पहले नही जानती थी मगर अब पता चला कि जरा सी मेहनत की जाए तो दूध से बहुत कुछ बनाया जा सकता है। हमें वीमेन टेक पार्क से पूरा समर्थन मिला और पनीर बनाने का प्रशिक्षण भी मिला। अब हम कलाड़ी कुलचा तैयार करने की दिशा में भी काम करेंगे। आमदनी में उछाल होने से वह खुश है।

मूल्य संवर्धन का मतलब समझना होगा: डा. कुमार

शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर सांइेस एंड टेक्नोलॉजी जम्मू के प्रिंसिपल इनवेस्टीगेटर डॉ. अरविंद्र कुमार ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसान लोग माल मवेशी रखते हैं और दूध का उत्पादन करते हैं। मगर अधिकांश किसान सीधे दूध बेच देते हैं। लेकिन अगर इसका मूल्य संवर्धन किया जाए तो मुनाफा कई गुणा बढ़ सकता है। यही बात हमने ग्रामीण महिलाओं को बताई और बदलाव हमने देखा। जिनके घरों में दूध कम होता है, वे सीधे नही बेचते बल्कि मूल्य संवर्धन कर कई उत्पाद बनाकर बेचते हैं। भारत सरकार के डब्ल्यूटीपी प्रतिष्ठान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी योजना विभाग की परियाोजना के तहत हम काम धंधा खोलने के लिए महिलाओं को जरूरी साज समान भी उपलब्ध कराते हैं।  

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