Ladakh Tourism : लेह के गांव फ्यांग की महिलाएं लिख रही नई इबारत, खुद को सामाजिक-आर्थिक रूप से बना रहीं सशक्त
Ladakh Tourism साल में मुश्किल से दो महीने घर पर रहते हैं। वह दूरदर्शन में डाटा ऑपरेटर थी लेकिन शादी के बाद नौकरी छोड़ दी। अब पर्यटकों को घर में रखकर सभी समस्याओं का समाधान निकल रहा है। हमारे पास पैसे की अधिक समस्या नहीं है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : लद्दाख का एक छोटा सा गांव फ्यांग पर्यटकों की मेहमानवाजी के लिए मशहूर हो चुका है। होम स्टे के माध्यम से घरों में पर्यटकों की मेजबानी कर महिलाएं सशक्त होने की नई इबारत लिख रही हैं। लेह से 15 किलोमीटर दूर यह गांव एक पहाड़ी में बसा है। पहाड़ों की चोटियां और बादलों से लदा नीला आसमान पर्यटकों को खींच लाता है।
गांव के अधिकांश पुरुष सेना में हैं। वे छुट्टी पर ही घर आते हैं। गांव की खूबसूरती पर्यटकों को कायल कर देती है। वहां ठहरने की व्यवस्था नहीं थी। होम स्टे गांव को अलग पहचान दे रहा है। गांव की 36 वर्षीय सेरिंग डोलकर का कहना है कि मेजबान होने के नाते देश-विदेश से आने वाले लोगों से बातचीत करने का मौका मिलता है। इससे मेरी हिंदी में भी सुधार हो रहा है। सेरिंग के पति बेरचोक हवलदार हैं। साल में मुश्किल से दो महीने घर पर रहते हैं। वह दूरदर्शन में डाटा ऑपरेटर थी, लेकिन शादी के बाद नौकरी छोड़ दी। अब पर्यटकों को घर में रखकर सभी समस्याओं का समाधान निकल रहा है। हमारे पास पैसे की अधिक समस्या नहीं है। मेरे पति का वेतन अच्छा है। वह अगले दो साल में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसलिए इस होम स्टे से भविष्य में कमाई से बड़ी मदद मिलेगी।
त्सेरिंग का पारंपरिक लद्दाखी घर है। इसमें पांच कमरे हैं। जिनमें से दो को परिवार ने रखा है। अन्य में पर्यटक ठहरते हैं। एक आनलाइन ट्रैवल पोर्टल ने हम सबके लिए गैर सरकारी संगठन सेल्फ एम्प्लायड वीमेन एसोसिएशन आफ इंडिया सेवा के साथ करार किया है। यह एक पहल है जो महिलाओं को होमस्टे होस्ट में बदलने में मदद करके उद्यमी बनने के लिए सशक्त बनाने पर काम कर रही है। फ्यांग में 10 घरों को यात्रा पोर्टल पर सूचीबद्ध किया है। आने वाले वर्षों में संख्या बढऩे की उम्मीद है।
इन महिलाओं की सहायता कर रही अमनप्रीत बजाज का कहना है कि हमें लद्दाख में सेवा के साथ अपनी साझेदारी का विस्तार करने में मदद करने पर अच्छा महसूस हो रहा है। फ्यांग गांव में सामाजिक और वित्तीय दोनों तरह से सशक्तिकरण के लिए यह पहल महत्वपूर्ण है। यहां के अधिकांश घरों में महिलाएं के काम में खाना बनाना, सफाई करना और बाहर खेती करना शामिल है। अब उनके जीवन में बदलाव आ रहा है। महिलाएं जो दिखने में शर्मीली और आत्मविश्वासी हैं अब खुद और अपने परिवार के जीवन को बेहतर बना रही हैं।
त्सेवांग डोल्मा ने भी अपने घर के द्वार पर्यटकों के लिए खोल दिए हैं। उसके पति का 2010 में निधन हो गया था। अब वह 50 वर्ष की है। मेरे तीन बच्चे हैं। मैं मेजबान बनकर उत्साहित हूं। घर में बैठ कर पर्याप्त कमा रही हूं।