जंगल-जंगल भटक रहा तेंदुआ; बढ़ते शहरीकरण, कटते जंगल से बदल रहे तेंदुए के रूट
वन्यजीव संरक्षण विभाग से संबंधित रहे रिशी पाल का कहना है कि तेंदुए दूर दूर तक गमन करते हैं। अधिकतर समय दिन को आराम फरमाते हैं और रात को सक्रिय हो जाते हैं। तेंदुए इंसान से दूर ही रहना चाहता है।
जम्मू, जागरण संवाददाता: बढ़ते शहरीकरण, कटते पेड़, सड़कों का बिछता जाल, और मानव का जंगलों में बढ़ रहा हस्तक्षेप ही जंगली जीवों पर संकट का कारण बना है। यही कारण है कि आए दिन तेंदुए भटक कर रास्ता भूल रहे हैं और रिहायशी इलाकों में घुस रहे हैं।
वहीं मानव- वन्यजव टकराव बढ़ने लगा है। जम्मू की बात की जाए तो अखनूर चिनाब दरिया के इस पार केरण रख से लेकर मानसर सेंच्यूरी तक टुकड़ों में फैला जंगल ही दरअसल जंगली जीव तेंदुए का रूट रहा है। अपनी मंद मंद चाल में मस्त तेंदुए नगरोटा के जंगल, रामनगर, नंदनी सेंच्यूरी, बाहू वेन रिजर्व, से होकर मानसर के जंगलों तक गमन कर सकता है। अनेकों बार तेंदुए को रामनगर सेंच्यूरी से होकर मुख्य सड़क पार कर तवी नदी में उतरते देखा गया है।
संभवतया तेंदुआ कई बार पानी पीने के लिए तवी में उतरता है और फिर वहीं से आगे बढ़़ता है। लेकिन अब तेंदुए अपना रास्ता भटकने लगे हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि विकास के चलते प्रभावित हो रहे जंगल से तेंदुए अपने रूट से भटकने लगे हैं। पिछले दिनों ग्रीन बेल्ट पार्क में घुस आया तेंदुआ इसकी का परिणाम है। पिछले साल एक तेंदुए तवी से होते हुए मैदानी क्षेत्र के गांव पौनी में भी पहुंच गया है।
वन्यजीव संरक्षण विभाग के वार्डन अनिल अत्री ने कहा कि जंगल जंगली जीवों के लिए है। इंसान को अब जागरूक होना होगा। जागरूकता से ही इंसान व वन्यजीव सुरक्षित रहेंगे और टकराव की नौबत नही आएगी।
जंगल छोटे हो रहे: वन्यजीव संरक्षण विभाग में वार्डन के पद से सेवानिवृत हुए राजा सईद, जोकि समय में तेंदुए बचाव के कई आप्रेशन चला चुके हैं, का कहना है कि पिछले चार पांच बरसों से जम्मू कश्मीर में सड़कों का जाल लगातार बिछ रहा रहा है। छोटे से छोटे गांव तक सड़क पहुंचाई गई है। यह सड़कें जंगल काट कर ही तो बनी हैं। बढ़ता विकास जंगल भी तो खा रहा है। ऐसे में जंगल कहीं न कहीं छोटे हो रहे हैं। वहीं इंसान जंगलों के आसपास अपने घर , मकान , दुकान बनाने में लगा हुआ है। यही कारण है कि तेंदुआ जैसा जीव अपना रास्ता भटकेगा ही।
वन्यजीव संरक्षण विभाग से संबंधित रहे रिशी पाल का कहना है कि तेंदुए दूर दूर तक गमन करते हैं। अधिकतर समय दिन को आराम फरमाते हैं और रात को सक्रिय हो जाते हैं। तेंदुए इंसान से दूर ही रहना चाहता है। लेकिन जंगलों में बढ़ते इंसानी हस्तक्षेप से जंगली जीव आहत होते हैं और मानव-वन्यजीव टकराव का कारण बनते हैं। इंसान को ही सुधरने की जरूरत है।