रोशनी का सच : क्या कब्जे हटाए जाएंगे या राजनीति फिर देगी दखल, आखिर आगे क्या होगा...सवालों में घिरी 'रोशनी'
रोशनी घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर आगे क्या होगा। क्या कब्जे हटाए जाएंगे क्या फिर मामला लटक जाएगा क्या सियासी कारणों से मसला लटकेगा या फिर सियासत में एक मोहरे की तरह रोशनी का इस्तेमाल होगा!
अवधेश चौहान, जम्मू : रोशनी घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर आगे क्या होगा। क्या कब्जे हटाए जाएंगे, क्या समझौता होगा, क्या कोर्ट में मसला फिर विचारधीन होगा, सियासी कारणों से मसला लटकेगा या फिर तुरूप के पत्ते की तरह 'रोशनीÓ का इस्तेमाल होगा! जम्मू कश्मीर प्रशासन ने धड़ाधड़ सूचियां जारी करने के साथ इस पर मंथन भी शुरू कर दिया है। सुर्खियों में आए रोशनी घोटाले में हर देशवासी जानने को उत्सुक है कि आखिर अब अंजाम क्या होगा?
इस मसले को लेकर हर कोई संजीदा हो भी क्यों न जम्मू कश्मीर के इतिहास में करीब 25 हजार करोड़ के सबसे बड़े घोटाले को दिग्गज सियासतदानों और नौकरशाहों ने अंजाम दिया है। जिस तरह से सूचियां जारी हो रही हैं इससे लग रहा कि पाई-पाई का हिसाब लेने को प्रशासन आमादा है। राजस्व के वित्त आयुक्त सचिव को कब्जाई जमीन वापस लेने के तरीकाकार ढूंढने के आदेश जारी हो गए हैं। तमाम विभाग जम्मू शहर से सटे क्षेत्रों में अपनी कब्जाई जमीन की जानकारी लेने में जुट गए हैं।
विभाग के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि जमीन वापसी की प्रक्रिया पर मंथन हो रहा है। घोटाले का पर्दाफाश करने वाले मुख्य नायकों में शामिल एडवोकेट अंकुर शर्मा कहते हैं कि कोर्ट ने मामले में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए मुख्य सचिव, मंडलायुक्त और संबंधित उपायुक्त को जवाबेदह बनाया है। इससे लगता है कि सरकार जमीन वापस लेने से पीछे नहीं हटेगी। सीबीआइ को भी निर्देश है कि हर आठ सप्ताह में मामले में स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की जाए। मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में हो रही है। सब नपे जाएंगे।
यह हैं सवाल
1. क्या कब्जे हटाए जाएंगे
2. क्या समझौता होगा
3. क्या कोर्ट में मसला फिर विचारधीन होगा
4. सियासी कारणों से मसला लटकेगा
5. तुरूप के पत्ते की तरह 'रोशनीÓ का इस्तेमाल होगा
कब्जादारियों की नींद उड़ी :
सुंजवां, बठिंडी, सिद्धड़ा में सरकारी जमीन कब्जाने वालों की नींद उड़ गई है। हजारों की संख्या में एक धर्म विशेष को बसाने के लिए रची साजिश पानी-पानी हो गई है। सिद्धड़ा में 20 हजार कनाल, सुंजवां में 20 हजार कनाल और बठिंडी में भी लगभग इतनी ही कब्जाई सरकारी जमीन है।
जमीनें बिकनी बंद हो चुकी हैं। सुंजवां निवासी मोहम्मद आबिद ने कहा कि वे पिछले 10 साल से यहां रह रहे हैं। जमीन खरीदने के समय हमें यह नहीं पता था कि रोशनी एक्ट के तहत जमीन कब्जाई वाली है। हमें रोशनी एक्ट जमीन कागज मिले थे। इन क्षेत्रों में विकास इतना तेजी से हुआ है कि यहां आज मॉल, निजी अस्पताल, फ्लैट खड़े हो चुके हैं।
क्या है काली डायरी का राज : प्रदेश के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने भी कहा था कि मेरे पास भी काली डायरी है जिसमें कई राज हैं? क्या इस डायरी का मतलब रोशनी घोटाले से था? जिसका कश्मीरी सियासददानों का काला चिट्ठा खुलकर कर सामने आ गया है। मुख्य सचिव केबयानों से जाहिर है कि उन्होंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से भ्रष्टाचार पर तीखा प्रहार करने की बात कही थी। मामला अब परत दर परत खुलता जा रहा है। 20 से अधिक लाभार्थी रोशनी कानून हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा खारिज होने के बाद सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गए हैं। कुछ और जाने की तैयारी में हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
राज्य के लोगों के लिए सबसे बड़ी जीत तब होगी जब सरकार हथियाई गई जमीनों को वापस लेगी। अभी आधा काम हुआ है। सरकार ने जो गंभीरता अभी तक दिखाई हैं,वह काबिलेतारीफ है।
सेवानिवृत्त प्रो. एसके भल्ला, याचिकाकर्ता
कोर्ट ने भी अधिकारियों से साफ कहा है कि कोई भी लाभार्थी राजस्व या वन विभाग के अधिकारियों के पास आता है या उससे कोई समर्थन चाहता है, तो उसके खिलाफ कोर्ट की मानहानी का मामला दर्ज हो। लिहाजा आरोपितों के खिलाफ कोर्ट और प्रशासन दोनों नजर गढ़ाए बैठे हैं।
प्रो. हरिओम, राजनीतिक विश्लेषक
बेशक कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट गए हैं, लेकिन मामले में जो फैसला आया है उसका स्टेटस नहीं बदल सकता । सरकार को भी हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन करना होगा। सरकारी जमींन वापिस ली जानी चाहिए, क्योंकि यह अवैध रूप से हथियाई गई है।
कुलदीप खुड्डा, पूर्व पुलिस महानिदेशक जम्मू कश्मीर