जम्मू-कश्मीर में जमीन कौन खरीदेगा यह जाति से तय होगा, जानिए इस अनोखे फैसले की वजह!

जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद नया कानून लागू हुआ और इसमें फिर उसी शर्त का उल्लेख है। क्योंकि नए कानून में यह स्पष्ट नहीं था कि किसान की परिभाषा क्या होगी ऐसे में महाराजा के समय की परिभाषा अधिकारी लागू किए जा रहे हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 08:53 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 10:10 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर में जमीन कौन खरीदेगा यह जाति से तय होगा,  जानिए इस अनोखे फैसले की वजह!
राजस्व विभाग के अधिकारियों ने मर्जी से नियम लागू कर दिए।

जम्मू, ललित कुमार: जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए को खत्म हुए दो साल बीत रहे हैं पर अधिकारी अभी भी पुरानी व्यवस्था को ढोह रहे हैं। यहां तक की किसी के काम का निर्धारण जाति से किया जा रहा है। यही वजह है कि आज भी जम्मू कश्मीर में महाजन, खत्री बिरादरी के अलावा सिख समुदाय को कृषि भूमि खरीदने का अधिकार नहीं है और यह दावा किया जा रहा है कि इन तीनों का खेती से कोई लेनादेना नहीं है।

अनुच्छेद 370 और 35ए खत्म होने के बाद जम्मू कश्मीर में जमीन खरीद के लिए नए नियम बनाए गए। कृषि भूमि किसानों के हाथ में ही रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए नए कानून में प्रावधान रखा गया। 26 अक्टूबर, 2020 को लागू नए कानून में यह साफ कर दिया गया कि खेती से जुड़े लोग ही खेती की जमीन खरीद सकते हैं और अन्य नहीं। उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि खेती की जमीन का उपयोग केवल कृषि कार्य के लिए ही होगा।

उस समय कानून तो बना दिया गया पर यह स्पष्ट नहीं किया गया कि कृषक की पहचान कैसे होगी और किसे कृषि भूमि खरीदने का अधिकार होगा। लगभग दस माह बाद भी यह नियम स्पष्ट नहीं किए। नतीजा यह हुआ कि राजस्व विभाग के अधिकारियों ने मर्जी से नियम लागू कर दिए। इन नियमों के तहत महाजन, खत्री व सिख कृषि भूमि नहीं खरीद सकते क्योंकि उनके पूर्वज खेती नहीं करते थे।

जम्मू कश्मीर भूमि राजस्व कानून है जड़ : महाराजा के समय से जम्मू कश्मीर में भूमि राजस्व कानून में यह स्पष्ट था कि केवल किसान ही कृषि जमीन खरीद सकते हैं। चूंकि तब महाजन, खत्री व सिखों का कृषि से कोई लेनादेना नहीं था। बाद में यह कानून लागू रहा पर खेती की जमीन की खरीद-फरोख्त होती रही। जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद नया कानून लागू हुआ और इसमें फिर उसी शर्त का उल्लेख है। क्योंकि नए कानून में यह स्पष्ट नहीं था कि किसान की परिभाषा क्या होगी, ऐसे में महाराजा के समय की परिभाषा अधिकारी लागू किए जा रहे हैं।

कृषि भूमि पर बसी कालोनियों में नहीं खरीद सकते मकान : वर्तमान शहर के कई क्षेत्र व अखनूर के सीमावर्ती क्षेत्रों में पहले खेत ही होते थे। आज वहां दशकों से बस्तियां बसी हैं। अब इन इलाकों में महाजन, खत्री व सिख परिवार मकान नहीं खरीद पा रहे। तर्क यह कि राजस्व रिकार्ड में आज भी यह कृषि भूमि है। नए जमीन कानून के तहत एक बोर्ड गठित होना था, जिसने तय करना था कि कृषि भूमि कौन खरीद सकता है और कौन नहीं। यह बोर्ड अभी तक गठित नहीं हुआ। इसलिए कुछ इलाकों में राजस्व अधिकारी पुराने कानून को आधार बनाकर काम कर रहे हैं। - जसमीत सिंह, रजिस्ट्रार, जम्मू  'नए भूमि कानून में कहा गया है कि जो लोग खेती-बाड़ी से नहीं जुड़े, वे कृषि भूमि नहीं खरीद सकते। यह भी सही है कि पुराने कानून में महाजन, खत्री व सिख समुदाय के बारे में कहा गया था कि ये लोग कृषि से नहीं जुड़े, लिहाजा ये कृषि भूमि नहीं खरीद सकते। इसलिए शायद कुछ इलाकों में इसी नियम को लागू कर दिया गया हो। हमारे पास जो भी आ रहा है, हम उसका पुराना रिकार्ड चेक करके कार्रवाई कर रहे हैं। अगर वह या उसका परिवार कृषि से जुड़ा है तो वो जमीन खरीद सकता है।' -अभिषेक कुमार, उप-जिलाधीश, जम्मू दक्षिण  आज हमारी बिरादरी का कोई व्यक्ति अगर इन क्षेत्रों में मकान खरीदने जाता है तो उसके नाम रजिस्ट्री नहीं होती। पिछले एक साल में ऐसे दर्जनों केस हमारे पास आए हैं। हमने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को पत्र लिखकर जाति आधारित यह भेदभाव समाप्त करने की अपील भी की थी।' -रमेश महाजन, प्रधान जम्मू सेंट्रल महाजन सभा 

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