Coronavirus In Jammu Kashmir: संक्रमण के मामले बढ़े तो 'द सारा' के सदस्यों ने बनाया आक्सीजन बैैंक

डा. रमिंद्रजीत सिंह ने कुछ आक्सीजन कंसंट्रेटर बाहर की संस्थाओं से लिए और कुछ उन्होंने खुद खरीदे। कुल 35 आक्सीजन कंसंट्रेटर उन्होंने थोड़े से अंतराल में ही जुटा लिए। इसका लाभ आक्सीजन की कमी से जूझ रहे मरीजों को मिलना शुरू हो गया।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 09 Aug 2021 10:24 AM (IST) Updated:Mon, 09 Aug 2021 10:24 AM (IST)
Coronavirus In Jammu Kashmir: संक्रमण के मामले बढ़े तो 'द सारा' के सदस्यों ने बनाया आक्सीजन बैैंक
जल्द ही आठ आक्सीजन कंसंट्रेटर और आ जाएंगे।

जम्मू, रोहित जंडियाल: कोरोना महामारी की दूसरी लहर में एक महीने में एक लाख संक्रमण के मामले आने के बाद कई मरीजों को अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिल पा रहे थे। घर में रहने पर आक्सीजन की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। मरीजों की घरों में सांसे उखड़ रही थीं। ऐसे में जम्मू के एक डाक्टर रमिंद्रजीत सिंह आगे आए। उन्होंने मरीजों की दिक्कतों को समझा और आक्सीजन बैंक बनाने का फैसला किया। हालांकि यह उस समय आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने तमाम दिक्कतों का सामना करते हुए न सिर्फ बैंक बनाया, बल्कि कई मरीजों की जान भी बचाई।

जम्मू कश्मीर में द सारा गैर सरकारी संगठन चलाने वाले डा. रमिंद्रजीत सिंह कोरोना की पहली लहर में भी मरीजों व उनके स्वजनों को खाद्य पदार्थ के साथ दवाइयां तक उपलब्ध करवा चुके हैं। दूसरी लहर में उन्होंने शुरू में लोगों को जागरूक किया और उनको मास्क बांटे। जब आक्सीजन की कमी होने लगी और घरों में इलाज करवा रहे लोगों को आक्सीजन सिलिंडर तक नहीं मिल रहे थे, तो डा. रमिंद्रजीत सिंह ने आक्सीजन बैंक बनाने का फैसला किया। उस समय कालाबाजारी के चलते बाजार में आक्सीजन कंसंट्रेटर तीन से चार लाख रुपये में मिल रहा था। इसका प्रबंध करना आसान नहीं था।

अभी भी 25 मरीजों को उपलब्ध करा रहे सेवा: डा. रमिंद्रजीत सिंह ने कुछ आक्सीजन कंसंट्रेटर बाहर की संस्थाओं से लिए और कुछ उन्होंने खुद खरीदे। कुल 35 आक्सीजन कंसंट्रेटर उन्होंने थोड़े से अंतराल में ही जुटा लिए। इसका लाभ आक्सीजन की कमी से जूझ रहे मरीजों को मिलना शुरू हो गया। रामबन जिले के बटोत से लेकर जम्मू जिले के बिश्नाह, अखनूर, जस्सोर सहित कई क्षेत्रों में जरूरतमंदों के घरों में आक्सीजन कंसंट्रेटर पहुंचना शुरू हो गए। संस्था से आक्सीजन सिलिंडर लेने वालों में अधिकारी तक शामिल थे। इस समय भी 25 मरीजों के घरों में आक्सीजन कंसंट्रेटर पड़े हुए हैं। डा. रमिंद्रजीत ने बताया कि मई में कोरोना के मरीज अचानक बढ़ गए थे। उस समय आक्सीजन के लिए लोगों में मारामारी थी। दस फीस लोग ही अस्पतालों में इलाज करवा रहे थे। उन्होंने सोचा कि क्यों न इस समय मरीजों को आक्सीजन उपलब्ध करवाई जाए। फिर तमाम दिक्कतों के बावजूद आक्सीजन बैंक बनाया। जो भी आक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए अनुरोध करता, उसे घर में जाकर सुविधा दी जाती है। द सारा संस्था के सदस्य अब तीसरी लहर के लिए तैयारी कर रहे हैं। अपने आक्सीजन बैंक में और आक्सीजन कंसंट्रेटर जुटा रहे हैं। उनका कहना है कि जल्द ही आठ आक्सीजन कंसंट्रेटर और आ जाएंगे। इसके अलावा भी प्रबंध कर रहे हैं।

खुद हुए संक्रमित, लेकिन नहीं मानी हार: कोरोना की दूसरी लहर में डा. रङ्क्षमद्रजीत ङ्क्षसह और उनके परिवार के कई सदस्य स्वयं भी संक्रमित हुए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और स्वस्थ होने के बाद फिर से मरीजों की सेवा में जुट गए। डा. रङ्क्षमद्र का आक्सीजन स्तर 90 से कम हो गया था। उनका कहना है कि खुद संक्रमित होने से उन्हें यह भी अहसास हुआ कि एक मरीज को किस तरह से परेशानी का सामना करना पड़ता है। जो भी चुनौतियां सामने आ रही हैं, उन्हें हल किया जा रहा है। 

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