आरएसपुरा में खाद की कमी से पिछड़ रही गेहूं की बिजाई
आरएसपुरा क्षेत्र में खाद की कमी के चलते गेहूं की बिजाई प्रभावित हो रही है। इससे किसानों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। उपजिला आरएसपुरा में गेहूं की बिजाई का कार्य आरंभ हो चुका है। गेहूं की बिजाई का उपयुक्त समय धीरे-धीरे बीतता जा रहा है लेकिन अभी तक किसानों को पर्याप्त खाद तक उपलब्ध नहीं हो पाई है।
दलजीत सिंह, आरएसपुरा
क्षेत्र में खाद की कमी के चलते गेहूं की बिजाई प्रभावित हो रही है। इससे किसानों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। उपजिला आरएसपुरा में गेहूं की बिजाई का कार्य आरंभ हो चुका है। गेहूं की बिजाई का उपयुक्त समय धीरे-धीरे बीतता जा रहा है, लेकिन अभी तक किसानों को पर्याप्त खाद तक उपलब्ध नहीं हो पाई है। हालत यह है कि अभी तक खाद की कमी के चलते क्षेत्र में कुछ प्रतिशत ही गेहूं की बिजाई संभव हो सकी है। क्षेत्र की ज्यादातर आबादी खेती पर ही निर्भर है। इसलिए सरकार को जल्द खादी की कमी को दूर करना चाहिए।
जानकारी के अनुसार उपजिला आरएसपुरा में करीब 22,993 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की खेती होती है। यदि जल्द खाद नहीं मिली तो गेहूं की बिजाई पिछड़ जाएगी, जिससे किसानों की आर्थिक स्थित गड़बड़ा जाएगी। अक्टूबर माह में ओलावृष्टि से किसानों की धान की फसल बर्बाद हो गई थी। ऐसे में वे गेहूं की खेती कर अपने नुकसान की भरपाई करने की सोच रहे थे, लेकिन खाद और बीज की कमी से अब यह भी मुश्किल लग रहा है। किसान सुरजीत सिंह, पवन कुमार आदि ने बताया कि इस समय गेहूं की फसल के लिए अनुकूल समय है। खाद की कमी के कारण बिजाई का काम रुका हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर एक भी बारिश हो गई तो गेहूं की फसल की बिजाई और लेट हो जाएगी। इसका असर पर फसल के उत्पादन पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वे प्रतिदिन खाद के लिए वितरण केंद्रों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लग रही है।
यूरिया की पचास फीसद डिमांड भी पूरी नहीं कर पाया है कृषि विभाग
आरएसपुरा में 22,993 हेक्टेयर भूमि पर होने वाली गेहूं की खेती के लिए 30,550 क्विंटल यूरिया, 19,500 क्विंटल डीएपी और 2,770 क्विंटल पोटाश की जरूरत होती है। उपजिला के कृषि अधिकारी देवराज वरू का कहना है कि अब तक करीब 14,829 क्विंटल यूरिया, 6912 क्विंटल डीएपी व 2,241 क्विंटल पोटाश की सप्लाई किसानों को कर दी गई है। क्षेत्र के किसानों की माग को देखते हुए खाद की और माग की गई है। जैसे ही खाद पहुंचती है, उसे तुरंत किसानों को वितरित कर दिया जाएगा।