Jammu Kashmir: कृषि भूमि खरीद-फरोख्त में जाति आधारित भेदभाव समाप्त करने का स्वागत

महाजन बिरादरी पिछले दो साल से इस कानून को समाप्त करने के लिए संघर्ष कर रही थी। इसे लेकर बिरादरी की ओर से कई बार उपराज्यपाल कार्यालय को संवाद भी भेजा गया। यह मुद्दा बनने के बाद चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू ने भी इसे जोरशोर से उठाया

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 08:24 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 08:24 PM (IST)
Jammu Kashmir: कृषि भूमि खरीद-फरोख्त में जाति आधारित भेदभाव समाप्त करने का स्वागत
अनुच्छेद 370 व 35 ए समाप्त होने के बावजूद इस कानून के लागू रहने का लगातार विरोध हो रहा था

जम्मू, जागरण संवाददाता। जम्मू-कश्मीर में कृषि भूमि खरीदने व बेचने से महाजन, खत्री व सिख समुदाय को वंचित रखने वाले जाति आधारित कानून को समाप्त किए जाने का विभिन्न संगठनों ने स्वागत किया है। अनुच्छेद 370 व 35 ए समाप्त होने के बावजूद महाराजा के समय के इस कानून के लागू रहने का लगातार विरोध हो रहा था जिसका संज्ञान लेते हुए उपराज्यपाल प्रशासन ने जाति भेदभाव पैदा करने वाले इस कानून को समाप्त करके तीनों समुदायों को राहत प्रदान की है।

महाजन बिरादरी पिछले दो साल से इस कानून को समाप्त करने के लिए संघर्ष कर रही थी। इसे लेकर बिरादरी की ओर से कई बार उपराज्यपाल कार्यालय को संवाद भी भेजा गया। जम्मू में यह मुद्दा बनने के बाद चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू ने भी इसे जोरशोर से उठाया और गत दिनों के जम्मू बंद के कारणों में एक बड़ा कारण यह जाति भेदभाव भी था। गत दिनों चैंबर ने चीफ सेक्रेटरी से मुलाकात के दौरान भी यह मुद्दा उनके सामने रखा। ऐसे में सरकार की ओर से यह कानून समाप्त किए जाने पर सबने इसका स्वागत किया है।

प्रदेश भाजपा ने इस मुद्दे को उपराज्यपाल प्रशासन के सामने रखा था और हमें खुशी है कि उन्होंने यह कानून समाप्त करके तीनों जातियों को राहत प्रदान की है। यह कानून जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन से पूर्व का था लेकिन पुनर्गठन के बाद भी यह लागू था। जब भाजपा को इसका पता चला तो भाजपा ने उपराज्यपाल व केंद्रीय गृहमंत्री के सामने यह बात रखी और हमें खुशी है कि आज तीनों समुदायों के साथ इंसाफ हुआ है।-सुनील सेठी, मुख्य प्रवक्ता प्रदेश भाजपा

हम तो पहले दिन से इसका विरोध कर रहे हैं। जब अनुच्छेद 370 व 35 ए था, तब यह भेदभाव नहीं था लेकिन 370 समाप्त होने के बाद राजस्व अधिकारियों ने अचानक इस जिन्न को बोतल से बाहर निकाल लिया और महाजनों, खत्रियों व सिखों को कृषि भूमि खरीदने-बेचने से वंचित कर दिया। हम दो साल से यह काला कानून समाप्त करने की मांग कर रहे थे और हमें खुशी है कि देर से ही सहीं, सरकार ने जाति भेदभाव वाले इस कानून को समाप्त किया है।-रमेश महाजन, प्रधान जम्मू सेंट्रल महाजन सभा

जमीन कानून में यह प्रावधान काफी गलत था। देश के किसी हिस्से में ऐसा नहीं कि कोई जाति विशेष के लोग कोई जमीन नहीं खरीद सकते। सिर्फ जम्मू-कश्मीर था जहां महाजन, खत्री व सिखों को कृषि जमीन खरीदने-बेचने से वंचित रखा गया था। हमने जम्मू-कश्मीर के चीफ सेक्रेटरी से लेकर यहां प्रवास पर आए केंद्रीय मंत्रियों के समक्ष भी इस मुद्दे को उठाया और हमें खुशी है कि सरकार ने इसे समझा।-अरूण गुप्ता, प्रधान चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री 

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