Jammu: नालों में खनन पर भड़के ग्रामीण, एसडीएम समेत कई अधिकारियों को बनाया बंधक

करीब एक साल से कोर्ट के निर्देश की वजह से इन नालों में विभाग खनन नहीं करवा रहा था लेकिन अवैध खनन तब भी हो रहा था। ग्रामीण बताते हैं कि जो लोग अवैध खनन से जुड़े हैं वही अब ब्लाक की नीलामी में बोली लगाकर ठेकेदार बन गए हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 26 Mar 2021 07:37 AM (IST) Updated:Fri, 26 Mar 2021 07:37 AM (IST)
Jammu: नालों में खनन पर भड़के ग्रामीण, एसडीएम समेत कई अधिकारियों को बनाया बंधक
बात नहीं बनती देख ग्रामीणों ने अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया।

अखनूर, संवाद सहयोगी: क्षेत्र के पंजग्राईं समेत कई गांवों से गुजरने वाले नालों से खनन का टेंडर निकालने के बाद भी प्रशासन के लिए उसमें से रेत-बजरी निकालना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। खनन विभाग की तरफ से तय किए गए ठेकेदारों द्वारा इन नालों से रेत-बजरी निकालने का विरोध कर रहे ग्रामीणों को समझाने पहुंचे एसडीएम और खनन विभाग के कई अधिकारियों को वीरवार को पंजग्राईं के पंचायत घर में बंधक बना लिया गया। बाद में एसएचओ अखनूर रवि सिंह के नेतृत्व में मौके पर पहुंची पुलिस ने ग्रामीणों से बातचीत कर उन्हें शांत किया और अधिकारियों को पंचायत घर से निकाला।

दरअसल, जब क्षेत्र के ग्रामीणों को इस बात की जानकारी मिली कि खनन विभाग ने उनके इलाके से गुजरने वाले नालों से खनन सामग्री निकालने के लिए टेंडर निकाला गया है, तो उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया था। उन्होंने अखनूर के एसडीएम और खनन विभाग के अधिकारियों से मिलकर नालों से खनन नहीं करवाने का अनुरोध किया था। उनका कहना था कि ठेकेदार नियमों का उल्लंघन कर नालों में खनन करते हैं, जिससे उसके किनारे बने उनके घर और खेत भी चपेट में आएंगे।

इतना ही नहीं, गांवों में पहले से ही खस्ताहाल सड़कों पर डंपर चलेंगे, तो वे और खराब हो जाएंगी। ऐसे में खनन के टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद वीरवार को अखनूर के एसडीएम गोपाल सिंह खनन विभाग के अधिकारियों के साथ पंजग्राईं पहुंचे थे, ताकि ग्रामीणों के साथ बैठक कर उनकी आशंकाओं का निराकरण किया जा सके। बैठक में भलवाल ब्राह्मणा के डीडीसी सदस्य भूषण बराल के अलावा पंजग्राईं के सरपंच विजय कुमार, जड्ड पंचायत के सरपंच देशराज, भलवाल ब्राह्मणा के सरपंच डिंपल शर्मा और मवा ब्राह्मणा के सरपंच बबलू शर्मा समेत कई पंच और पूर्व पंच व सरपंच भी मौजूद थे।

अधिकारियों ने ग्रामीणों को इस बात का भरोसा दिलाने का प्रयास किया कि इससे उनके खेत और घर पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे, लेकिन ग्रामीण उनकी बात से सहमत नहीं हुए। उनका कहना था कि जब नालों में सरकार ने खनन बंद करवाया था, तब भी अवैध रूप से यह होता रहा, जिससे उनको भारी नुकसान हुआ है। इसलिए एसडीएम और खनन विभाग के अधिकारी लिखित में गारंटी दें। बात नहीं बनती देख ग्रामीणों ने अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया।

ग्रामीणों का कहना था कि नियमों का उल्लंघन कर नदी-नालों से खनन होने से उसमें बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं, जो बारिश में कहर ढाते हैं। इससे उनके किनारे बसे गांवों में पानी का संकट पैदा होने लगा है। जरा सी बारिश होने पर नालों के साथ लगती जमीन धंस जाती है। अब तक किसानों की सैकड़ों कनाल जमीन नालों में बह गई है। इसलिए वे किसी कीमत पर नालों से खनन नहीं शुरू होने देंगे। इसी के साथ ग्रामीणों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया और पंचायत घर में जहां बैठक चल रही थी, उसके बाहर ताला लगा दिया। ऐसे में सभी अधिकारी उसमें बंधक बन गए। बाद में अखनूर के एसएचओ ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाकर अधिकारियों को पंचायत घर से बाहर निकाला।

ग्रामीण चाहते हैं उन्हें भी नालों से रेत निकालने की मिले अनुमति: पंचायत घर में बैठक में पहुंचे ग्रामीणों का कहना था कि उनके इलाके से नालों में खनन होता है, लेकिन उनको उसमें से रेत-बजरी नहीं निकालने दी जाती है। ग्रामीण चाह रहे थे कि उनको भी नालों से जरूरत के मुताबिक रेत-बजरी निकालने की अनुमति जाए। उनका कहना था कि गांव में आय सीमित होती है, इसलिए उनके लिए एक कमरा बनाना भी बहुत मुश्किल होता है। इसलिए सरकार उनको स्थानीय नालों से खनन की अनुमति दे। हालांकि इस पर बात नहीं बनी, जिसके बाद वे बैठक से बाहर निकल गए।

दस दिन पहले खनन विभाग ने निकाला था टेंडर: करीब दस दिन पहले खनन विभाग ने पंजग्राईं समेत आसपास के अन्य गांवों से गुजरने वाले कई बड़े नालों से खनन सामग्री निकालने के लिए टेंडर निकाला था। बोली के आधार पर विभाग ने ठेकेदारों को नालों से रेत-बजरी निकालने के लिए अलग-अलग ब्लाक आवंटित कर दिए थे। पंजग्राईं के अलावा जड्ड, दोखालसा, कोटगढ़ी, चौकी चोरा, कठार और समाह से गुजरने वाले नालों से खनन सामग्री निकाली जानी थी। पंजग्राईं, दोखालसा और कठार में अन्य गांवों की तुलना में बड़े नाले हैं। इसलिए यहां ब्लाक लेने के लिए ठेकेदारों में अच्छी खासी प्रतिस्पर्धा होती है। पंजग्राई में नाले से खनन सामग्री निकालने के लिए ठेकेदार को दिया गया ब्लाक एक किलोमीटर लंबा है, जबकि कठार गांव से गुजरने वाली मनावर तवी नदी का खनन ब्लाक दो किलोमीटर और चौकीचौरा के बड़े नाले का ब्लाक ढाई किलोमीटर लंबा है। इनके अलावा अन्य गांवों में नालों के ब्लाक तकरीबन आधे किलोमीटर लंबे हैं।

विभाग को देनी होगी निर्धारित मानकों के मुताबिक खनन करवाने की गारंटी: ग्रामीणों के मुताबिक, खनन विभाग ने दस दिन पहले उनके इलाके से गुजरने वाले नालों से खनन सामग्री निकालने के लिए टेंडर निकाला था। करीब एक साल से कोर्ट के निर्देश की वजह से इन नालों में विभाग खनन नहीं करवा रहा था, लेकिन अवैध खनन तब भी हो रहा था। ग्रामीण बताते हैं कि जो लोग अवैध खनन से जुड़े हैं, वही अब ब्लाक की नीलामी में बोली लगाकर ठेकेदार बन गए हैं। गांव के लोग इस बात से नाराज हैं कि वे पहले भी नियमों का उल्लंघन कर उनके इलाके के नालों से अवैध रूप से रेत-बजरी निकालने वाले खनन माफिया के खिलाफ आवाज उठाते रहे, लेकिन कुछ नहीं किया गया। खनन माफिया ने निर्धारित मानकों की परवाह किए बिना नालों के किनारे से रेत-बजरी निकालने के लिए गहरे गड्ढे बना दिए, जिससे उसके किनारे किसानों के खेत बर्बाद हो गए। अब जब वही लोग कानूनी तौर पर खनन करेंगे, तो उन पर कौन नकेल कसेगा। इसलिए ग्रामीण यह मांग कर रहे हैं कि खनन विभाग नालों से निर्धारित मानकों के मुताबिक खनन सामग्री निकालने की गारंटी दे। 

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