Jammu Kashmir: देशभक्ति की अलख जगाने सांबा पहुंची विजय मशाल, वीरचक्र विजेता रघुबीर सिंह की बहादुरी को किया नमन

वर्ष 1971 के एतिहासिक भारत-पाकिस्तान युद्ध में देश पर कुर्बान होने वाले वीरों को सम्मानित करने की मुहिम के तहत विजय मशाल को वीरवार दोपहर को सांबा के वीर चक्र विजेता हवलदार रघुबीर सिंह के घर ले जाया गया।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 09:07 PM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 09:07 PM (IST)
Jammu Kashmir: देशभक्ति की अलख जगाने सांबा पहुंची विजय मशाल, वीरचक्र विजेता रघुबीर सिंह की बहादुरी को किया नमन
स्वर्णिम विजय मशाल के वीरवार को सांबा जिले में प्रवेश करने उसका जोरदार स्वागत हुआ।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर में देशभक्ति की अलख जगाने पहुंची सेना की स्वर्णिम विजय मशाल के वीरवार को सांबा जिले में प्रवेश करने उसका जोरदार स्वागत हुआ। वर्ष 1971 के युद्ध के स्वर्णिम विजय वर्ष में अब तेरह अप्रैल तक सांबा में विजय मशाल के स्वागत के कार्यक्रम होंगे।कठुआ से वीरवार को सांबा पहुंची विजय मशाल का स्वागत क्षेत्र के निवासियों व एनसीसी कैडेटों ने भारत माता की जय के नारों के बीच किया।

वर्ष 1971 के एतिहासिक भारत-पाकिस्तान युद्ध में देश पर कुर्बान होने वाले वीरों को सम्मानित करने की मुहिम के तहत विजय मशाल को वीरवार दोपहर को सांबा के वीर चक्र विजेता हवलदार रघुबीर सिंह के घर ले जाया गया। इस मौके पर सेना के अधिकारियों व जवानों ने वीर चक्र विजेता के परिजनों को स्मृति चिह्न भेंट कर उन्हें सम्मानित कर उन दिनों को याद किया गया जब हवलदार रघुबीर सिंह ने दुश्मन को कड़ी शिकस्त देते हुए जान कुर्बान की थी। इस मौके पर मशाल लेकर आए सैन्यकर्मियों ने सांबा में बने वर्ष 1971 के युद्ध स्मारक की मिट्टी भी ली।

इसी बीच विजय मशाल को सांबा मिलिट्री स्टेशन में रखा गया है। ऐसे में अब तेरह अप्रैल तक सांबा में कार्यक्रमों के बाद विजय मशाल जम्मू जिले में आएगी। जम्मू के पीआरओ डिफेंस लेफ्टिनेंट कर्नल देवेन्द्र आनंद ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सांबा के साथ जिले के रामगढ़ में भी विजय मशाल के स्वागत के कार्यक्रम होंगे।

विजय मशाल ने 3 अप्रैल को पंजाब से जम्मू कश्मीर में प्रवेश किए था। ऐसे में 3 अप्रैल से लेकर आठ अप्रैल की सुबह तक कठुआ के विभिन्न हिस्सों में विजय मशाल के सम्मान में हुए कार्यक्रमों में एतिहासिक युद्ध की यादों का ताजा किया गया। विजय मशाल को जम्मू कश्मीर से लद्दाख तक सेना की सभी मिलिट्री स्टेशनों पर ले जाया जाना है। ऐसे में सेना के कार्यक्रम मई महीने में भी जारी रहेंगे। भारतीय सेना युद्ध के पचास साल पूरा होने को स्वर्णिम विजय वर्ष के रूप में मना रही है। ऐसे में उन पूर्व सैनिकों को भी सम्मानित किया जा रहा है जिन्होंने पचास साल पहले इस युद्ध में हिस्सा लिया था। इसके साथ शहीद के परिवार भी सम्मानित किए जा रहे हैं।

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