Jammu Kashmir: धूल फांक रहे हैं पीएम केयर के तहत आए वेंटीलेटर, अस्पतालों में न प्रशिक्षित स्टाफ, न ऑक्सीजन

मरीजों को आइसीयू में हो रही बिस्तरों की कमी सच्चाई को साफ बयां कर रही है। एक दिन पहले ही जम्मू की 70 वर्षीय महिला को जब गांधीनगर अस्पताल से जीएमसी जम्मू रेफर किया गया तो घंटों उसे वेंटीलेटर के लिए जूझना पड़ा। बाद में उसकी मौत हो गई।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 09:40 AM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 12:42 PM (IST)
Jammu Kashmir: धूल फांक रहे हैं पीएम केयर के तहत आए वेंटीलेटर, अस्पतालों में न प्रशिक्षित स्टाफ, न ऑक्सीजन
सभी वेंटीलेटर लगाए ही नहीं गए हैं।

जम्मू, रोहित जंडियाल: जम्मू-कश्मीर में कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलों के बीच मरीजों के लिए आइसीयू बिस्तर कम पड़ने लगे हैं। मेडिकल कालेज जम्मू और सहायक अस्पतालों के बिस्तर अस्सी फीसद से अधिक भर गए हैं। जिन मरीजों को डाक्टर आइसीयू में भर्ती करने को कह रहे हैं, उन्हें सबसे अधिक मुश्किल आ रही है। वहीं इसके विपरीत पिछले वर्ष पीएम केयर फंड से आए वेंटीलेटर कई अस्पतालों में धूल फांक रहे हैं। उन्हें दिखाने के लिए लगाया तो गया है लेकिन पर्याप्त तकनीकी स्टाफ न होने और आक्सीजन की सप्लाई न होने के कारण यह वेंटीलेटर काम नहीं कर रहे हैं। इस कारण सरकारी आंकड़ों में आइसीयू बिस्तरों की संख्या तो बहुत हैं मगर वहां पर मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है।

पिछले साल जम्मू-कश्मीर में कोरोना के मामले आने और लोगों को वेंटीलेटर न मिलने के बाद 400 वेंटीलेटर खरीदे गए थे। इनमें से कई मेडिकल कालेजों और स्वास्थ्य निदेशालय जम्मू और कश्मीर को दिए गए। लेकिन वेंटीलेटर देने के साथ इसके लिए अन्य जरूरी सुविधाओं का प्रबंध नहीं किया गया। न तो स्टाफ को प्रशिक्षित किया गया और न ही आक्सीजन जेनरेशन प्लांट और बिजली की सुविधा का प्रबंध किया गया। इस कारण अधिकांश अस्पतालों में वेंटीलेटरों का इस्तेमाल हो ही नहीं रहा है। कुछ अस्पतालों में अगर इस्तेमाल हो रहा है तो सिर्फ इससे आक्सीजन फ्लो को बढ़ाने के लिए ही इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि अधिकारी बार-बार यह दावे करते रहे कि अस्पतालों में सभी वेंटीलेटर काम कर रहे हें लेकिन स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि मेडिकल कालेज जम्मू में भी सभी वेंटीलेटर काम नहीं कर रहे हैं। सभी वेंटीलेटर लगाए ही नहीं गए हैं।

मेडिकल कालेज और सहायक अस्पतालों में इस समय 156 के करीब वेंटीलेटर हैं। इनमें अधिकांश वेंटीलेटर पिछले वर्ष पीएम केयर फंड और राज्य सरकार द्वारा दिए गए फंड से खरीदे गए थे। इन अस्पतालों में इस समय सौ के आसपास ही वेंटीलेटर काम कर रहे हैं। कई वेंटीलेटर अभी लगाए भी नहीं गए हैं। हाई डिपैंडेसी वार्ड में भी सभी बिस्तरों पर वेंटीलेटर नहीं लगाए गए हैं। हालांकि कोई भी अस्पताल प्रशासन यह मानने को तैयार नहीं है कि उनके पास वेंटीलेटर काम नहीं कर रहे हें लेकिन हर दिन मरीजों को आइसीयू में हो रही बिस्तरों की कमी सच्चाई को साफ बयां कर रही है। एक दिन पहले ही जम्मू की 70 वर्षीय महिला को जब गांधीनगर अस्पताल से जीएमसी जम्मू रेफर किया गया तो घंटों उसे वेंटीलेटर के लिए जूझना पड़ा। बाद में उसकी मौत हो गई।

यही स्थिति स्वास्थ्य विभाग के अधीन आने वाले अस्पतालों की है। जिला अस्पताल किश्तवाड़, जिला असपताल ऊधमपुर, कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर रामनगर, कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर रामगढ़, कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर बनी, डोडा, रामबन, रियासी सहित कश्मीर के अधिकांश जिलों की बनी हुई है। इन जिलों में कम्यूनिटी हेल्थ सेंटरों तक में वेंटीलेटर दिए गए हें लेकिन वहां पर स्टाफ ही नहीं है जो कि इन वेंटीलेटर को चलाए। स्वास्थ्य निदेशक जम्मू डा. रेनू शर्मा भी प्रशिक्षित स्टाफ की कमी को तो स्वीकार करती हैं लेकिन उनका कहना है कि हमनें कई अस्पतालों में वेंटीलेटर लगाकर तैयार रखे हैं। दनका हम इस्तेमाल कर रहे हैं।

वहीं कश्मीर में तो लोगों ने वेंटीलेटर न चलने पर रोष जताया है। बडगाम, बारामुला, शोपियां, कुलगाम सहित कई जिलों में लोगों ने उपराज्यपाल से पीएम केयर फंड के तहत वेंटीलेटर आने की बात तो कही है लेकिन उनका कहना है कि स्टाफ की कमी के कारण यह काम नहीं कर पा रहे हैं। स्वास्थ्य निदेशक कश्मीर डा. मुशताक अहमद का कहना है कि मरीजों को हर संभव सुविधा दी जा रही है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ: राजकीय मेडिकल कालेज में एनेस्थीसिया विभाग के पूर्व एचओडी ओर 40 साल तक आइसीयू में काम करने का अनुभव रखने वाले डा. सत्यदेव गुप्ता का कहना है कि वेंटीलेटर चलाना आसान काम नहीं होता। इसके लिए प्रशिक्षित स्टाफ की जरूरत होती है। चौबीस घंटे आक्सीजन सप्लाई, बिजली सप्लाई, एनस्थीसिया विशेषज्ञ होने चाहिए। हर मरीज को उसके संक्रमण और बीमारी के अनुसार आक्सीजन फ्लो रखना पड़ता है। इसका प्रेशर हर तीन-चार घंटों के बाद बदलना होता है। आपके पास ब्लड गैस एनालाइजर होना चाहिए ताकि यह देखा जा सके कि खून में आक्सीजन या कार्बनडायाक्साइड की कितनी मात्रा है। हर किसी को वेंटीलेटर की जरूरत नहीं होती। आक्सीजन सैचुरेशन पर निर्भर करता है। पांच फीसद मरीजों को ही इसकी जरूरत पड़ती है। जम्मू-कश्मीर में विशेषज्ञ स्टाफ की कमी है। इस कारण हर जगह वेंटीलेटर नहीं चलाए जा सकते।

यह है वर्तमान में स्थिति: जीएमसी जम्मू में 52 कोविड मरीज वेंटीलेटर पर हैं। सीडी अस्पताल जम्मू में तीन, एस्काम में दो, जीएमसी डोडा में दो, जीएमसी कठुआ में तीन, नारायणा अस्पताल में 15 मरीज वेंटीलेटर पर हैं।

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