Jammu Kashmir: परत-दर-परत खुल रही परा कई कलई, हथियार खरीदने के धंधे में भी था शामिल

एनआइ नेे आरोप लगाया है कि हिजबुल मुजाहिदीन ने परा सहित मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के कुछ नेताओं का सहयोग मांगा था। चार्जशीट में कहा गया है कि मुख्यधारा के कुछ राजनेताओं का आतंकी संगठनों के साथ गठजोड़ था जो कि इन संगठनों से चुनावों के दौरान सहयोग मांगते थे।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Sun, 28 Mar 2021 06:07 PM (IST) Updated:Sun, 28 Mar 2021 06:07 PM (IST)
Jammu Kashmir: परत-दर-परत खुल रही परा कई कलई, हथियार खरीदने के धंधे में भी था शामिल
पीडीपी का युवा नेता वहिद-उर-रहमान परा की कलई परत-दर-परत खुल रही है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : पीडीपी का युवा नेता वहिद-उर-रहमान परा की कलई परत-दर-परत खुल रही है। वह हथियार खरीदने के धंधे में भी शामिल था। आतंकी समूहों को वित्तीय सहायता मुहैया करवाता था। वह पाकिस्तान आधारित उन आतंकी संगठनों के साथ मिला हुआ था जो जम्मू-कश्मीर के अहम संस्थानों में घुसपैठ कर अपना एजेंडा चलाना चाहता था। एनआइए ने चार्जशीट में परा के खिलाफ संगीन अपराध को सामने लाया है।

वह आतंकियों को वित्तीय सहायता मुहैया करवाने के मामले में जम्मू कोर्ट में दायर सप्लीमेंटरी चार्जशीट में एनआइए ने वहिद परा की वर्ष 2010 के बाद की गतिविधियों का जिक्र किया है। इसमें कहा गया है कि परा ने 20 से 25 युवाओं का एक ग्रुप बनाया था जो प्रदर्शनों के दौरान पत्थरबाजी की घटनाओं को अंजाम देता था। ऐसे वह पीडीपी में खुद के लिए राजनीतिक बढ़त लेने के लिए करता था। पीडीपी 2010 में जम्मू-कश्मीर में विरोधी दल की भूमिका में थी। चार्जशीट में कहा गया है कि वर्ष 2010 में उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के मच्छल क्षेत्र में तीन युवाओं को कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने पर आंदोलन हो रहा था। सेना के जवानों पर मामला दर्ज होने के बावजूद इस अांदोलन में 126 युवाओं की मौत हो गई थी।

इस समय न्यायिक हिरासत में रह रहे परा ने आतंकी संगठनों के साथ मिलीभगत के आरोपों को नकारा है। पीडीपी यह कह चुकी है कि परा को इसीलिए फंसाया गया है कि उसने उस राजनीतिक दल में शामिल होने से इनकार कर दिया था जो भाजपा समर्थित था। मगर, एनआइ नेे आरोप लगाया है कि प्रतिबंधित हिजबुल मुजाहिदीन ने परा सहित मुख्य धारा के राजनीतिक दलों के कुछ नेताओं का सहयोग मांगा था। चार्जशीट में कहा गया है कि मुख्यधारा के कुछ राजनेताओं का आतंकी संगठनों के साथ गठजोड़ था जो कि इन संगठनों से चुनावों के दौरान सहयोग मांगते थे। यही नहीं पार्टी कार्यकर्ताओं को भी चुनाव अभियान के दौरान अपना सहयोग देते थे। यह राजनेता पैसे देकर आतंकियों से चुनावों में सहयोग लेते थे और चुनावी प्रक्रिया को मजाक बनाकर रखा था।

एनआइए ने यह भी आरोप लगाया कि वर्ष 2016 से जब पीडीपी भाजपा के साथ सरकार चला रही थी, तब परा कुपवाड़ा क्षेत्र से दक्षिण कश्मीर तक में हथियारों की खरीद-फरोख्त में शामिल था। परा अक्सर अपने एस्कार्ट के साथ कुपवाड़ा में आता रहता था। अपनी गाड़ी में ही वह हथियार लाता था। एक अहम राजनीतिक दल से होने के कारण कोई भी उसकी गाड़ी की जांच नहीं करता था।

परा को एनआइए ने पिछले साल नवंबर महीने में हिरासत में लिया था। उसे आतंकियों की सहायता करने के मामले में हिरासत में लिया गया। इसमें डीएसपी देवेंदर सिंह को भी हिरासत में लिया गया है। परा को पहले एनआइए कोर्ट ने जमानत दे दी थी। इसमें कहा गया था कि उसका कहीं पर भी सीधी मिलीभगत नजर नहीं आती है, लेकिन बाद में सीआइडी के काउंटर इंटैलीजेंस विंग ने मुख्यधारा के राजनीतिक दलों और अलगाववादियों के बीच गठजोड़ के मामले में हिरासत में लिया। इसके बाद वह जेल में ही है। उसकी जमानत याचिका को एनआइए कोर्ट ने रद कर दिया था।

एनआइए ने यह भी आरोप लगाया है कि परा ने देवेंदर सिंह तथा हिजबुल कमांडर सैयद नवीद मुश्ताक के साथ कश्मीर में काम कर रहे आतकंवादियों के लिए हथियार खरीदने का षड्यंत्र रचा। एनआइए ने कहा है कि परा सिर्फ हिजबुल और लश्कर जैसे संगठनों के साथ ही नहीं मिला है, बल्कि अलगाववादियों के साथ भी मिला हुआ है। उसने जम्मू-कश्मीर के हालात बिगाड़ने के लिए आतंकियों की वित्तिय सहायता भी की।

chat bot
आपका साथी