Target Killing In Kashmir : यूएलएफ ने ली कश्मीर में बाहरी मजदूरों की हत्या की जिम्मेदारी, जल्द घाटी छोड़ने को कहा
Target Killing In Kashmir स्थानीय लोग भी उनकेे जाने से दुखी हैं कामकाज पर भी असर पड़ता है। खेतों मकान-निर्माण मजदूरी रेहड़ी का अधिकतर काम हम बाहरी लोग ही करते हैं। ऐसे में सभी के कश्मीर से चले जाने से आम लोगों के कामकाज पर असर पड़ना स्वाभाविक है।
श्रीनगर, जेएनएन : कश्मीर के जिला कुलगाम में गत रविवार को हुई दो मजदूरों की हत्या की जिम्मेदारी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट (यूएलएफ) ने ली है। इसी के साथ उन्होंने घाटी में डेरा डाले बाहरी लोगों को यह चेतावनी भी दी है कि वे जल्द से जल्द कश्मीर से चले जाएं अन्यथा उनके साथ भी ऐसा ही किया जाएगा। हालांकि, आतंकवादियों की इस चेतावनी से पहले ही प्रवासी लोगों ने घाटी से पलायन शुरू कर दिया है।
कल रात के बाद आज सुबह भी कश्मीर के टैक्सी स्टेंड व बस स्टेंड पर जम्मू आने वाले प्रवासी लोगों की काफी भीड़ देखने को मिली। राजस्थान केे एक प्रवासी परिवार ने कहा कि वे कश्मीर में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। दो अक्टूबर केे बाद से आतंकवादियों ने घाटी में 11 लोगों की हत्या की है। वे अपने बीवी-बच्चों के साथ यहां रह रहे थे। उनकी जान पर भी खतरा बना हुआ है। वे इसके लिए तैयार नहीं है। इसलिए उन्होंने कश्मीर छोड़ने का फैसला किया है। आतंकवादी जब चाहें कहीं भी किसी की भी हत्या कर रहे हैं। ऐसे में उनके पास कश्मीर छोड़ने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं रह जाता है।
J&K: A group of migrant workers leaves from Kashmir's Srinagar after recent incidents of targeted killings of non-Kashmiris by terrorists "Situation is getting bad here. We're scared, we've children with us & hence going back to our hometown," says a migrant from Rajasthan pic.twitter.com/lcdUosH9eB
कश्मीर में 5 अक्टूबर के बाद 5 प्रवासियों की हत्या हो चुकी है। बिहार के 4 मजदूरों-रेहड़ी वालों का मर्डर हो चुका है। यूपी के एक मुस्लिम कारपेंटर को भी आतंकियों ने मार दिया है। इससे पहले लोकल सिख और हिंदू टीचर की हत्या कर दी गई थी। मशहूर दवा कारोबारी कश्मीरी पंडित मक्खनलाल बिंद्रू को भी आतंकियों ने मार दिया था। अक्टूबर में 2 लोकल मुस्लिमों का भी आतंकियों ने मर्डर किया।
कश्मीर से पलायन कर रहे श्रमिकों का कहना है कि वे ये पलायन हमेशा केे लिए नहीं कर रहे हैं। हालात बेेहतर होने पर वे फिर वापस लौटेंगे। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग भी उनकेे जाने से दुखी हैं, उनके जाने से कामकाज पर भी असर पड़ता है। खेतों, मकान निर्माण, मजदूरी, रेहड़ी का अधिकतर काम हम बाहरी लोग ही करते हैं। ऐसे में सभी के कश्मीर से चले जाने से आम लोगों के कामकाज पर असर पड़ना स्वाभाविक है। परंतु मौजूदा हालत को देखते हुए वे भी कुछ कर पाने में असमर्थ हैं।
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