Jammu: दो कॉरपोरेटरों की मौत से खाली हुए वार्ड, लोगों की परेशानियां देखने वाला कोई नहीं
Jammu Municipal Corporation करीब चार माह का समय होने को है और अभी तक वार्ड में नए प्रतिनिधि चुनने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए। वर्ष 2005 से 2010 तक रहे निगम के कार्यकाल के दौरान भी नानक नगर की कॉरपोरेटर राज रानी का निधन हुआ था।
जम्मू, जागरण संवाददाता: शहर के दो कॉरपोेरेटरों की मौत के बाद खाली हुए वार्ड अनाथ होकर रह गए हैं। यहां रहने वाले बरसात शुरू होने के साथ जलभराव व अन्य समस्याओं से त्रस्त हैं। कोई सुनने वाला नहीं रहा। जम्मू नगर निगम भी इन लोगों की परवाह नहीं कर रहा।
नियमों के तहत छह महीने में दोबारा चुनाव करवाकर नए प्रतिनिधि चुने जा सकते हैं लेकिन इस दिशा में अभी तक कुछ भी नहीं हुआ। हद तो यह है कि यहां लोगों की कोई सुनने वाला नहीं। मेयर, डिप्टी मेयर समेत अन्य कॉरपोरेटर भी इन वार्ड वासियों की परवाह नहीं कर रहे। हालत यह है कि लोग बेहाल हैं। बरसात ने इन वार्डों में भी तबाही मचाई है। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर वे किसे सुनाएं क्योंकि उनके प्रतिनिधि नहीं रहे।
करीब चार माह का समय होने को है और अभी तक वार्ड में नए प्रतिनिधि चुनने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए। वर्ष 2005 से 2010 तक रहे जम्मू नगर निगम के कार्यकाल के दौरान भी नानक नगर की कॉरपोरेटर राज रानी का निधन हुआ था। वह वार्ड नंबर 44 से कॉरपोरेटर रहीं। उनके स्थान पर भी कोई जन प्रतिनिधि नहीं चुना गया था। पूरा समय वार्ड अनदेखी की शिकार रही और पूरे शहर में पिछड़ कर रह गई। आज उस वार्ड के कॉरपोरेटर इंद्र सिंह सूदन को अन्य कॉरपोरेटरों की तुलना में ज्यादा काम करना पड़ रहा है क्योंकि वार्ड में कभी काम ही नहीं हुए।
वार्ड नंबर 42 और 45 हुए अनाथ: शहर के वार्ड नंबर 42, नानक नगर और वार्ड नंबर 45, डिग्याना की कॉरपोरेटरों का निधन हो गया हैं। वार्ड नंबर 42 से पूर्व मेयर मनमोहन चौधरी की पत्नी विजय चौधरी कॉरपोरेटर जीत कर नगर निगम में आई थीं। पहली बार राजनीति में कदम रखने वाली विजय चौधरी ने अपने बेबाक अंदाज से निगम में अपनी छवि बनाई और विपक्ष की नेता रहीं। इतना ही नहीं उन्होंने मेयर का चुनाव भी लड़ा। वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत कर आई थीं। उनका 7 अप्रैल 2021 को कोरोना संक्रमण के चलते निधन हो गया था। वहीं वार्ड नंबर 45 की कॉरपोरेटर राज रानी भाजपा की सीट से जीत कर निगम में आई थीं। पूरे क्षेत्र में वह आंटी के नाम से मशहूर थीं और दशकों से राजनीति में भाजपा से जुड़ी हुई थी। राज रानी का निधन 3 अप्रैल 2021 को हुआ था। इन दाेनों ही कॉरपोरेटरों के स्वर्ग सिधार जाने से वार्ड खाली हो गए हैं। उसके बाद कोई सुध लेने वाला नहीं रहा।