Militancy in Kashmir: सेना की कोशिश और परिवार की पुकार पर अल-बदर के दो आतंकियों ने डाले हथियार
आइजीपी कश्मीर विजय कुमार ने कहा कि परिजनों की गुहार कानों तक पहुंचते ही अल-बदर में शामिल हुए दोनों युवक आत्मसमर्पण करने को तैयार हो गए। दोनों युवकों ने अपने हथियार जमीन पर छोड़ पुलिस और सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
श्रीनगर, जेएनएन। 'बेटा, हमारा तुम्हारे सिवाए कोई सहारा नहीं, निकलो बाहर...। मेरी जान तुमपर कुर्बान, निकलो बाहर...। तुम्हें कोई कुछ नहीं करेगा, निकलो बाहर...।' वीरवार को सोपोर में एक मुठभेड़स्थल पर सुरक्षाबलों के घेरे में फंसे अल-बदर के दो आतंकियों के रोते-बिलखते परिवारों की इस करुण पुकार व सेना की कोशिशें रंग लाईं और दोनों आतंकी हथियार डालकर बाहर आ गए। इसके साथ ही सेना ने इन दोनों आतंकियों के माता-पिता से इन्हें जिंदा पकडऩे के अपने वादे को भी निभा दिया।
आत्मसमर्पण करने वाले आतंकियों की पहचान आबिद मुश्ताक वार उर्फ अबु जार और मेहराजुदीन वार, निवासी सोपोर के वडूरा पायीन के रूप में हुई है। इन दोनों आतंकियों ने सोपोर के पास सुरक्षाबलों पर कथित तौर पर ग्रेनेड हमला भी किया था। करीब एक माह से आतंकियों की जमात में शामिल इन दोनों के पीछे सुरक्षाबल लगे हुए थे। जिहाद के नाम पर कश्मीर में खून बहाने निकले अल-बदर के इन दो आतंकियों का आत्मसमर्पण कश्मीर के भटके युवाओं को मुख्यधारा में लौटने को भी प्रेरित करेगा।
मेजर जनरल शाही ने आतंकियों के परिवार से की थी मुलाकात : उत्तरी कश्मीर में आतंकरोधी अभियान का संचालन करने वाली सेना की किलो फोर्स के जीओसी मेजर जनरल एचएस शाही ने बताया कि वडूरा पायीन के रहने वाले मुश्ताक और मेहराजुदीन दोनों कुछ दिनों से आतंकियों के साथ जुड़े हुए थे। कई बार आतंकियों की मदद भी कर चुके थे। दोनों ने बीते माह ही आतंकी संगठन अल-बदर में शामिल होने का एलान किया। अल-बदर के टेलीग्राम चैनल पर भी दोनों की तस्वीरें वायरल हुई। मेजर जनरल एचएस शाही ने कहा कि हमने इन दोनों लड़कों के प्रोफाइल व अन्य गतिविधियों का आकलन किया तो लगा कि यह दोनों गुमराह हैं। अगर प्रयास किया जाए तो यह दूसरे लड़कों के लिए मिसाल बन सकते हैं। मैंने पहली अक्टूबर को इनके मां-बाप से भी मुलाकात की। वह इनकी ङ्क्षजदगी की सलामती को लेकर बहुत फिक्रमंद थे। मैंने उन्हें यकीन दिलाया था कि हम अंतिम समय तक दोनों को ङ्क्षजदा पकडऩे का प्रयास करेंगे। हमने इनका पता लगाने के लिए अपना पूरा तंत्र सक्रिय किया। इनके संभावित ठिकानों पर लगातार दबिश दी।
यूं चला पूरा ऑपरेशन : मेजर जनरल शाही ने बताया कि वीरवार सुबह हमें पता चला कि यह शालपोरा तुज्जर में छिपेे हुए हैं। उसी समय सुरक्षाबलों ने इन्हें पकडऩे के लिए अभियान चलाया। जवानों को अपने ठिकाने की तरफ आते देख आतंकियों ने फायङ्क्षरग शुरू कर दी। जवानों ने सटीक रणनीति के तहत जवाबी फायर करते हुए आतंकियों के भागने के सभी रास्ते बंद कर दिए। दोनों को आत्मसमर्पण का मौका दिया गया। इसके साथ ही उनके अभिभावकों को भी मौके पर बुलाया गया। उन्होंने माइक पर उनसे अपील की। सेना के अधिकारियों ने भी आतंकियों से कहा, बेटा, तुम बाहर आ जाओ, तुम्हें कोई कुछ नहीं करेगा। इससे बात बन गई। दोनों ने हथियार डाल दिए और दो परिवार आज तबाह होने से बच गए। कुछ कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों युवकों को उनके परिजनों के हवाले कर दिया जाएगा। मुझे नहीं लगता कि इनके खिलाफ कोई बड़ा संगीन जुर्म होगा, अगर हुआ भी तो इनके साथ पूरी उदारता बरती जाएगी।
विशेष रणनीति पर चल रही सेना : सेना इस समय कश्मीर में एक विशेष रणनीति पर काम कर रही है। सेना ने इसी माह 17 अक्टूबर को बडग़ाम में भी एक मुठभेड़ के दौरान एक आतंकी का सरेंडर करवाया था। उसके परिवार के सदस्यों को भी मुठभेड़स्थल पर बुलाया गया था। इस रणनीति से आतंकी आत्मसमर्पण करते हैं, जिससे अन्य भड़के युवकों के लिए भी मुख्यधारा में लौटने की राह निकली है।