Jammu Kashmir: मंगलवार को है पारंपरिक डाेगरा पर्व तमदेह, इस दिन किया दान दस गुना अधिक पुण्य देता है
डुग्गर प्रदेश का पारंपरिक पर्व तमदेह 15 जून मंगलवार को है। यह पर्व आषाढ़ संक्रांति के दिन पारंपरिक रीति रिवाजों व श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव मिथुन राशि में प्रवेश करेंगें। आषाढ़ माह में सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करते है।
जम्मू, जागरण संवाददाता : डुग्गर प्रदेश का पारंपरिक पर्व तमदेह 15 जून मंगलवार को है। यह पर्व आषाढ़ संक्रांति के दिन पारंपरिक रीति रिवाजों व श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव मिथुन राशि में प्रवेश करेंगें। आषाढ़ माह में सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करते है।
इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने बताया डुग्गर प्रदेश में तमदेह पर्व एवं आषाढ़ संक्रांति का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों, सरोवर में स्नान एवं दान-पुण्य के लिये बड़ा अच्छा माना गया है। कोरोना महामारी के चलते घर में ही पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें।
इस दिन लोग विवाहिता बेटियों, कुल पुरोहित एवं ब्राह्माणों को भोजन, छाता, खडाऊं, आंवले, आम, खरबूजे, वस्त्र, पानी का भरा घड़ा, पंखा, मिष्ठान, दक्षिणा सहित यथाशक्ति दान कर एक समय भोजन करना चाहिए। लोग मीठे पानी की छबीलें भी लगाते हैं। मान्यता है कि इस दिन पानी आदि का दान करने से पूर्वजों को भी पानी आदि प्राप्त होता है। उनका आशीर्वाद मिलता है। अगले जन्म में गर्मी के समय उन्हें भी इन चीजों का सुख मिलेगा। आषाढ़ संक्रांति तम्देह के दिन किया गया दान अन्य शुभ दिनों की तुलना में दस गुना अधिक पुण्य देने वाला होता है। इस दिन ब्राह्मणों एवं ज़रूरतमंद लोगो को भी दान देना चाहिए।
किसानों के अनुसार, धर्म दिहाड़ा पर सही मायनों में देसी आम पकने का संकेत है।लू की गर्मी के बाद इस माह से बरसात शुरू हो जाती है और उमस में इजाफा हो जाता है। संक्रांति के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए।इस दिन कुछ लोग व्रत रखते हैं।
व्रत रखने वालों को इस व्रत के दौरान दाढ़ी-मूंछ और बाल नाखून नहीं काटने चाहिए। व्रत करने वालों को इस दिन बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए। काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए। किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है। गलत काम करने से आपके शरीर पर ही नहीं। आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते हैं। संक्रांति के दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है। भगवान को भी इन्हीं चीजों का भोग लगाया जाता है । इस दिन सत्य नारायण जी, सूर्य देव, कुलदेवी देवताओं, अपने इष्टदेव की पूजा का विधान है।