Swarnim Vijay Mashaal : कारगिल में 50 साल पहले लड़े गए युद्ध के निशान तलाश रही विजय मशाल

सेना के जवानों ने पचास साल पहले पाकिस्तान को करारी शिकस्त देकर शोरबत ला को दुश्मन से बचाया था। इस लड़ाई में कई लद्दाखी सैनिकों ने वीरगति पाई थी। युद्ध में दुश्मन को मात देने में लद्दाख स्काउट्स के साथ सेना की मद्रास सैपर्स यूनिट ने अहम भूमिका निभाई थी।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 06:39 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 06:39 PM (IST)
Swarnim Vijay Mashaal : कारगिल में 50 साल पहले लड़े गए युद्ध के निशान तलाश रही विजय मशाल
विजय मशाल कारगिल में 17,730 फीट की उंचाई पर शोरबत ला में पहुंची।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद सेना की विजय मशाल अब लद्दाख में सेना की कुर्बानियों को याद करने के लिए पचास साल पहले पाकिस्तान को करारी मात देने के लिए लड़े गए युद्ध के निशान तलाश रही है। वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के स्वर्णिम विजय वर्ष में देश के विभिन्न हिस्साें से होते हुए लद्दाख आई सेना की विजय मशाल कारगिल में 17,730 फीट की उंचाई पर शोरबत ला में पहुंची।

भारतीय सेना के जवानों ने पचास साल पहले पाकिस्तान को करारी शिकस्त देकर शोरबत ला को दुश्मन से बचाया था। इस इलाके में लड़ी गई लड़ाई में कई लद्दाखी सैनिकों ने वीरगति पाई थी। युद्ध में दुश्मन को मात देने में लद्दाख स्काउट्स के साथ सेना की मद्रास सैपर्स यूनिट ने अहम भूमिका निभाई थी। दोनों यूनिटों के अधिकारियों, जवान ने स्वर्णिम विजय मशाल को कठिन सफर तय कर शोरबत ला तक पहुंचाया। वहां पर शहादत देने वाले सेना के जवानों को सलामी दी गई। इस दौरान उन पूर्व सैनिकों के योगदान को भी याद किया गया जिन्होंने शून्य से कई डिग्री नीचे के तापमान में देश की खातिर दुश्मन से लोहा लिया था।

सेना की विजय लद्दाख के शहीदों को सम्मानित करने को दूरदराज इलाकों तक पहुंंचेगी। ऐसे में कारगिल जिले के बाद लेह में 1971 के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ युद्ध में हिस्सा ले चुके पूर्व सैनिकों को सम्मानित करने के कार्यक्रम होंगे। लेह में चौदह कोर मुख्यालय में भी विजय मशाल के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। सेना की विजय मशाल 24 जुलाई को कारगिल पहुंची थी। कारगिल दिवस समारोह में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद विजय मशाल के सम्मान में जिले में कार्यक्रम शुरू हो गए थे।

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