वन अधिकार से आदिवासियों की होगी तरक्की

गुर्जर देश चैरिटेबल ट्रस्ट ने गुज्जर बक्करवाल समुदाय के उत्थान आदिवासी समुदाय के शैक्षिक सुधार के लिए उपराज्यपाल द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की है। ट्रस्ट के अध्यक्ष शाह मोहम्मद चौधरी ने वन अधिकार अधिनियम-2006 को लागू करने के लिए मनोज सिन्हा उपराज्यपाल के सलाहकार फारूक खान जनजातीय मामलों के सचिव शाहिद इकबाल चौधरी का आभार जताया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 06:31 AM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 06:31 AM (IST)
वन अधिकार से आदिवासियों की होगी तरक्की
वन अधिकार से आदिवासियों की होगी तरक्की

जागरण संवाददाता, जम्मू : गुर्जर देश चैरिटेबल ट्रस्ट ने गुज्जर बक्करवाल समुदाय के उत्थान, आदिवासी समुदाय के शैक्षिक सुधार के लिए उपराज्यपाल द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की है। ट्रस्ट के अध्यक्ष शाह मोहम्मद चौधरी ने वन अधिकार अधिनियम-2006 को लागू करने के लिए मनोज सिन्हा, उपराज्यपाल के सलाहकार फारूक खान, जनजातीय मामलों के सचिव शाहिद इकबाल चौधरी का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि सभी लोग वन अधिकार अधिनियम के तहत गारंटीकृत अधिकार प्रदान करने के लिए ईमानदारी से काम कर रहे हैं। वन अधिनियम के पूर्ण कार्यान्वयन से निश्चित रूप से जम्मू-कश्मीर की जनजातीय आबादी का भाग्य बदल जाएगा। उन्होंने कहा कि हालांकि वन अधिनियम 2006 में संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था, लेकिन 14 साल बाद भी जम्मू-कश्मीर के आदिवासियों को लगातार राजनीतिक व्यवस्था द्वारा इसके लाभों से वंचित कर दिया गया था। चौधरी ने दोहराया कि 2019 में तत्कालीन राज्य के पुनर्गठन के बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गंभीर प्रयास के कारण उक्त अधिनियम को यहां विस्तारित किया गया था। ट्रस्ट के सीनियर वाइस चेयरमैन अरशद अली चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हालांकि यूटी प्रशासन ने वन अधिनियम के तहत आदिवासियों को अधिकार दिलाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है, लेकिन हजारों आवेदन अभी भी बाकी हैं। बिना किसी कार्रवाई के संबंधित अधिकारियों के संबंधित कार्यालयों में धूल झोंकने और प्रशासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद आदिवासियों को अभी भी उनकी भूमि से बेदखल किया जा रहा है। जिस पर उन्हें अधिनियम के तहत अधिकार दिए गए हैं। हाशिम अली, मो. हनीफ, सलीम मोहम्मद, बशीर अहमद, मो. असलम और मो. यूसुफ, ट्रस्ट के सदस्यों ने इस संबंध में उपराज्यपाल, वन विभाग और जनजातीय मामलों के मंत्रालय की भूमिका की सराहना की।

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