जम्मू विश्वविद्यालय में वित्तीय संसाधनों में आएगी पारदर्शिता, पहली बार हुई चीफ एकाउंट्स अधिकारी की नियुक्ति

कहने का मतलब यह है कि जम्मू विवि में सभी वित्त व बजट संबंधी लेखाजोखा बिना चीफ एकाउंट्स अधिकारी के नहीं हो सकेगा। इसे जम्मू विश्वविद्यालय के वित्तीय संसाधनों में पारदर्शिता की तरफ एक अहम कदम माना जा रहा है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 11:59 AM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 11:59 AM (IST)
जम्मू विश्वविद्यालय में वित्तीय संसाधनों में आएगी पारदर्शिता, पहली बार हुई चीफ एकाउंट्स अधिकारी की नियुक्ति
विभागीय स्तर पर होने वाली फिजूल खर्ची को रोकने में भी मदद मिलेगी।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू विश्वविद्यालय में पहली बार हुई चीफ एकाउंट्स आफिसर की नियुक्ति की गई है और इससे जम्मू विवि के वित्तीय संसाधनों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने कश्मीर प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी को जम्मू विश्वविद्यालय में चीफ एकाउंट्स अधिकारी नियुक्त किया है।

भले ही विवि के कुछ अध्यापक इसे विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को कमजोर करने की बात कह रहे है मगर इससे विवि के वित्तीय संसाधनों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलने के साथ साथ बिना वजह के खर्चों पर भी अंकुश लगेगा। विश्वविद्यालय में वित्तीय कामकाज का जिम्मा संयुक्त रजिस्ट्रार बजट के पास होता है। वह ही वित्तीय बजट की सेक्शन के प्रभारी होते है। विवि में बजट एंड वित्त की पूरी सेक्शन मौजूद होती है। उपराज्यपाल प्रशासन ने गत दिनों आदेश जारी करके सोनिका शर्मा को जम्मू विवि में इंचार्ज चीफ एकाउंट्स आफिसर नियुक्त किया है। उनका पद जम्मू विवि में संयुक्त रजिस्ट्रार से ऊपर होगा।

कहने का मतलब यह है कि जम्मू विवि में सभी वित्त व बजट संबंधी लेखाजोखा बिना चीफ एकाउंट्स अधिकारी के नहीं हो सकेगा। इसे जम्मू विश्वविद्यालय के वित्तीय संसाधनों में पारदर्शिता की तरफ एक अहम कदम माना जा रहा है।

बताते चले कि जम्मू विश्वविद्यालय में पिछले साल परीक्षा विभाग में एक घोटाला हुआ था। उसमें फर्जी स्लिपों के जरिए सत्तर अस्सी लाख से अधिक का नुकसान हुआ। इसमें जम्मू विवि के परीक्षा विभाग , जम्मू कश्मीर बैंक और एक बीएड कालेज के कर्मचारी शामिल थे। मामले की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है। विश्वविद्यालय का वित्तीय ढांचा पूरी तरह से मजबूत नहीं है। अब हर वित्तीय फैसले चीफ एकाउंट्स अधिकारी की नजर में होंगे।

विभागीय स्तर पर होने वाली फिजूल खर्ची को रोकने में भी मदद मिलेगी। जम्मू विवि के वर्कर्स विभाग पर भी सवालिया निशान लग चुके है। कुछ साल पहले एक विभाग में टाइल लगने में घोटाला सामने आए था जिसके बाद इंजीनियरों को निलंबित किया गया था।

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