निचली अदालतों के स्टाफ सदस्यों की तबादला नीति जारी
हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के प्रमुख सचिव ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख में निचली अदालतों के स्टाफ सदस्यों की तबादला नीति सोमवार को जारी की है।
जेएनएफ, जम्मू: हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के प्रमुख सचिव ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख में निचली अदालतों के स्टाफ सदस्यों की तबादला नीति सोमवार को जारी की है। इसमें कहा गया है कि स्टाफ के सभी सदस्यों का सर्विस रिकार्ड और उनका संपूर्ण डाटा सचिवालय द्वारा सहेजना होगा। इसमें उनके तबादले का लेखाजोखा भी होना चाहिए। आदेश में कहा गया है है कि स्टाफ सदस्यों का तबादला साल में अप्रैल और मई माह में एक बार होना चाहिए। इसमें न्यायिक संस्थानों की रजामंदी होनी चाहिए, तभी जाकर तबादले को अंतिम रूप दिया जाए। इस दौरान स्टाफ की सुविधा का भी ध्यान रखा जाए। जहां तक संभव हो, यह तबादले रोटेशन के आधार पर किए जाएं। इसमें सभी सदस्यों को बराबर के अधिकार दिए जाए ताकि प्रत्येक वर्ग और श्रेणी का अधिकारी जिला और डिवीजनल कोर्ट या दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में अपनी सेवाएं दे सके। आदेश में कहा गया है कि अदालतों के स्टाफ सदस्यों में शामिल दिव्यांग, बीमार, असहाय या दूध पिलाने वाली माता को खाली पड़े पदों और न्यायिक संस्थानों को अपनी सुविधा के अनुसार संतुति किए गए स्थानों पर नियुक्त किया जाए। पति-पत्नी अगर एक ही कोर्ट में हैं तो कोशिश की जाए कि दोनों को एक साथ एक ही स्थान पर भेजा जाए। इसमें यह भी कहा गया है कि अगर किसी महिला सदस्य का पति किसी और विभाग में काम कर रहा है तो वह अपने पति के पास एक ही स्टेशन पर रहने के लिए अर्जी दे सकती हैं। एक स्टाफ सदस्य का कम से कम एक स्थान पर बने रहने का समय तीन साल होना चाहिए।