Tirupati Temple In Jammu: भगवान वेंकटेश्वर के ‘तेज’ से निखरेगा जम्मू का धार्मिक पर्यटन

मजीन में वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में वेद पाठशाला बनाने का भी प्रस्ताव है। इससे संस्कृत भाषा को बढ़ावा मिलेगा। 62 एकड़ में इस मंदिर का निर्माण दो चरण में 18 माह में पूरा होगा। इसकी लागत 33.22 करोड़ रुपये होगी।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 09:19 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 02:28 PM (IST)
Tirupati Temple In Jammu: भगवान वेंकटेश्वर के ‘तेज’ से निखरेगा जम्मू का धार्मिक पर्यटन
लोगों ने भूमि पूजन दिवस को क्षेत्र के लिए जीवन में कभी न भुलाया जाने वाला कहा।

जम्मू, अशोक शर्मा : उत्तर भारत के लोगों का लंबा इंतजार रविवार को उस समय समाप्त हो गया, जब जम्मू शहर से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर बसे गांव मजीन में तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का भूमि पूजन समारोह हुआ। इससे स्थानीय लोगों में उत्साह तो है ही, साथ ही जम्मू शहर के उन लोगों को भी खुशी हुई है, जिनका मानना था कि कटड़ा तक सीधी रेलसेवा शुरू होने से जम्मू पर्यटन मानचित्र में नहीं दिखेगा। अब इस मंदिर निर्माण से हर तरफ उम्मीद की नई किरण है। इतना तय है कि इस मंदिर से जम्मू ही नहीं, पूरे जम्मू कश्मीर के धार्मिक पर्यटन में चार चांद लग जाएंगे।

भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर जम्मू संभाग में र्धािमक पर्यटन का एक बड़ा केंद्र बनेगा। वेंकटेश्वर मंदिर का निर्माण तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड करेगा। यह जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे ही बनना है। मजीन, सिदड़ा क्षेत्र में इतनी सुविधाएं भी विकसित हो जाएंगी कि पर्यटक दो-चार दिन यहां रुककर जम्मू के सभी मंदिरों के दर्शन कर सकेंगे। क्षेत्र का प्राकृतिक नजारा दिल को छूने वाला है।

एक तरफ सूर्य पुत्री तवी नदी है तो दूसरी तरफ माता वैष्णो देवी की पहाड़ियां और बावे वाली माता और रात को जगमगाता पूरा शहर दिखता है। गर्मी मे इस क्षेत्र का तापमान शहर के तापमान से कुछ कम ही रहता है। रात का दृश्य आकर्षित करने वाला और सुबह की ठंडी ताजी हवा यादगार बन जाएगा। स्थानीय लोगों ने भूमि पूजन दिवस को क्षेत्र के लिए जीवन में कभी न भुलाया जाने वाला कहा। उन्हें उम्मीद है कि इससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। रोजगार के नए साधन उपलब्ध होंगे।

आस्था और अध्यात्म का केंद्र बनेगा: मजीन में वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में वेद पाठशाला बनाने का भी प्रस्ताव है। इससे संस्कृत भाषा को बढ़ावा मिलेगा। 62 एकड़ में इस मंदिर का निर्माण दो चरण में 18 माह में पूरा होगा। इसकी लागत 33.22 करोड़ रुपये होगी। प्रतिष्ठित परियोजना में कई तीर्थयात्रा सुविधाएं और अन्य शैक्षिक और विकासात्मक बुनियादी ढांचे शामिल हैं। संस्कृत और वैदिक शिक्षा और शिक्षा की प्राचीन संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए गुरुकुल की स्थापना होगी। बोर्ड आंध्र प्रदेश में उत्कृष्ट केंद्रों की तर्ज पर स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने पर भी सहमत हो गया है। दूसरे चरण में वेद पाठशाला भारतीय संस्कृति की नींव को मजबूत करेगी। प्रतिष्ठित परियोजना में तीर्थयात्रा सुविधाओं और अन्य शैक्षिक और विकासात्मक बुनियादी ढांचे जैसे वेद पाठशाला-कक्षाएं, छात्रावास भवन और स्टाफ क्वार्टर शामिल होंगे। तीर्थयात्रियों की सुविधा परिसर, कल्याण मंडपम, वाहन मंडपम आदि होंगे।

दक्षिण भारतीयों में विशेष उत्साह: जम्मू कश्मीर में तैनात सुरक्षाबलों और केंद्रीय कर्मचारियों में बालाजी मंदिर के निर्माण को लेकर विशेष उत्साह है। उनका मानना है कि इसके बनने से उन्हें यहां घर का अहसास होगा। माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु तो आएंगे ही, दक्षिण भारत के निवासी जो उत्तर भारत में कहीं भी रह रहे हैं वह भी कम समय में यहां आने को तैयार होंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि यह स्थान उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृति का संगम बनेगा। लोगों को एक दूसरे को नजदीक से समझने का मौका मिलेगा।

जम्मू की धरोहरों के भी बहुरेंगे दिन: वेंकटेश्वर मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के पास अगर दो से चार घंटे भी होंगे तो भी जम्मू में डोगरा विरासत से रूबरू हो सकेंगे। इस मंदिर से ऐतिहासिक धरोहर मुबारक मंडी, डोगरा आर्ट म्यूजियम, रेडियो स्टेशन और पुराना शहर मात्र सात किलोमीटर की दूरी पर ही है। मंदिर के नजदीक काली माता मंदिर, बावे वाली माता का मंदिर है। यहां से पीरखो रोपवे और जामवंत गुफा एवं भगवान शिव के दर्शन करने के लिए अधिक समय नहीं निकालना पड़ेगा। उत्तर भारत के सबसे बड़े रघुनाथ जी मंदिर के दर्शन के अलावा ऐतिहासिक पंचबख्तर मंदिर दर्शन हो सकेंगे, जिसमें गुरुनानक देव जी के अलावा शंकराचार्य आदि कई महापुरुष विश्राम कर चुके हैं। 

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