Army Helicopter Crash: बीत रहा समय, बैठ रहा दिल...टूट रही उम्मीद की डोर, पांचवें दिन भी नहीं मिला कोई सुराग

बसोहली के पुरथू में रणजीत सागर झील में पांच दिन से बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान जारी है। सेना रोजाना नई रणनीति के तहत गोताखोरों को झील की गहराई में भेजकर पायलटों को ढूंढने में लगी हुई है।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sun, 08 Aug 2021 07:54 AM (IST) Updated:Sun, 08 Aug 2021 07:54 AM (IST)
Army Helicopter Crash: बीत रहा समय, बैठ रहा दिल...टूट रही उम्मीद की डोर, पांचवें दिन भी नहीं मिला कोई सुराग
मुंबई से पनडुब्बी मंगवाने की भी चर्चा हो रही है, लेकिन अभी तक घटनास्थल पर यह नहीं पहुंची है।

कठुआ/बसोहली, जेएनएन : जैसे-जैसे समय बीत रहा है, दिल बैठ रहा है और उम्मीद की डोर टूटती जा रही है। कठुआ जिले की बसोहली तहसील के पुरथू के पास रणजीत सागर झील में गिरे सेना के ध्रुव हेलीकाप्टर एएलएच मार्क-4 व उसमें सवार लेफ्टिनेंट कर्नल एस बाठ और को-पायलट कैप्टन जयंती जोशी का शनिवार को पांचवें दिन भी कोई सुराग नहीं मिला। इस बीच, दोनों पायलट के स्वजन भी पंजाब और उत्तराखंड से बसोहली पहुंच गए और किसी चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठे हैं। लेफ्टिनेंट कर्नल एस बाठ पंजाब और कैप्टन जयंती जोशी उत्तराखंड के रहने वाले हैं।

बसोहली के पुरथू में रणजीत सागर झील में पांच दिन से बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान जारी है। सेना रोजाना नई रणनीति के तहत गोताखोरों को झील की गहराई में भेजकर पायलटों को ढूंढने में लगी हुई है। इसमें सेना के अलावा, एयरफोर्स, दिल्ली से पहुंची नेवी और मुंबई से पहुंची मरीन के विशेष गोताखोर भी लगे हुए हैं, लेकिन लापता पायलटों का कोई सुराग नहीं लग पाया है।

सेना ने घटनास्थल पर बनाया बेस कैंप :

सेना ने पुरथू का पूरा क्षेत्र अपने कब्जे में लेकर तलाशी अभियान चलाने वाले स्थान पर टेंट लगाकर बेस कैंप बना लिया है। यहां पर किसी को भी आने जाने की अनुमति नहीं है।

कैमरों के सहारे तलाशने में जुटे गोताखोर :

सेना के गोताखोर कैमरों के सहारे झील में हेलीकाप्टर को तलाशने में जुटे हुए हैं। शुक्रवार दोपहर बाद आधुनिक कैमरों से जो तस्वीरें ली गईं थीं, उनकी दिनभर जांच चलती रही। शनिवार को चार गोताखोरों की टीम ने एक्सीडेंटल प्वाइंट के इर्द गिर्द भी जांच की। दोबारा हाई रेजोलूशन कैमरे भी पानी में डालकर पड़ताल की गई। इसके बाद मरीन ड्राइवर की टीम झील में गई, लेकिन शाम तक कोई सुराग नहीं मिला।

मटमैला पानी और जमी गाद बन रही बाधा :

बताया जाता है कि झील की गहराई में पायलटों के ढूंढने में सबसे बड़ी बाधा बरसात में मटमैला पानी और झील में गाद जमा होना है। झील की गहराई तक पहुंचने के लिए मुंबई से पनडुब्बी मंगवाने की भी चर्चा हो रही है, लेकिन अभी तक घटनास्थल पर यह नहीं पहुंची है।

सुराग न मिलने से स्वजन मायूस :

पांच दिन से जारी तलाशी अभियान में सफलता नहीं मिलने से लापता पायलटों के स्वजन की चिंता बढ़ती जा रही है। घटनास्थल पर पहुंचे स्वजनों को उम्मीद थी कि शनिवार को कुछ तो सुराग मिलेगा, लेकिन शाम होते ही कुछ पता नहीं चलने से उनके चेेहरे मायूस हो गए।

आज एक और टीम मुंबई से यहां पहुंचेगी :

बताया जा रहा है कि रविवार को तलाशी अभियान के छठे दिन एक और टीम मुंबई से यहां पहुंचेगी। इसके अलावा सेना अपने हेलीकाप्टर के माध्यम से फिर अभियान चलाएगी। सेना के लिए पायलटों के साथ हेलीकाप्टर का ब्लैक बाक्स भी ढूंढना जरूरी है। 

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