Heroes of 2020: कोविड ने बदली सोच, ग्रामीण क्षेत्रों में अपने पैसों से हजारों मास्क बांटे और अब दे रहे कोविड 19 की ड्यूटी

नेशनल हेल्थ मिशन इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रधान रोहित सेठ ने जम्मू में मार्च महीने में पहला मामला आने के बाद डंसाल ब्लाक में लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया। वह पहले अपनी ड्यूटी देते थे। इसके बाद लोगों के बीच जाकर उनमें मास्क बांटे।

By lokesh.mishraEdited By: Publish:Mon, 21 Dec 2020 01:10 PM (IST) Updated:Mon, 21 Dec 2020 01:10 PM (IST)
Heroes of 2020: कोविड ने बदली सोच, ग्रामीण क्षेत्रों में अपने पैसों से हजारों मास्क बांटे और अब दे रहे कोविड 19 की ड्यूटी
नेशनल हेल्थ मिशन इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रधान रोहित सेठ

जम्मू, राज्य ब्यूरो: इस वर्ष कोविड 19 के मामले आने के बाद लोगों की जिंदगी ही बदल गई। कई ने इस दौरान लोगों को कोविड 19 के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाया और कई ने मास्क बनाकर लोगों के बीच निशुल्क बांटे ताकि किसी भी स्थिति में कोरोना न फैले। इन्हीं में एक जम्मू के गांधीनगर के रहने वाले रोहित सेठ हैं। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में अभियान चलाया। हजारों लोगों में मास्क बांटे। अब कोविड 19 की ड्यूटी दे रहे हैं।

नेशनल हेल्थ मिशन इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रधान रोहित सेठ ने जम्मू में मार्च महीनेे में पहला मामला आने के बाद डंसाल ब्लाक में लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया। वह पहले अपनी ड्यूटी देते थे। इसके बाद लोगों के बीच जाकर उनमें मास्क बांटे। वह अपने पैसों से कपड़े के मास्क बनाते थे और इसके बाद उन्हें इन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में लेकर जाकर देर शाम तक बांटते हैं। वह अपने कुछ साथियों को भी साथ ले जाते थे और बकायदा तौर पर लोगों को कोरोना संक्रमण के बारे में विस्तार से जानकारी देते थे। उन्हें यह बताते थे कि किस प्रकार से कोरोना से बचा जा सकता है।

यह वे लोग होते थे जो न तो टीवी देखते थे और न ही समाचार पत्र पढ़ते थे। उन्हें कोरोना के बारे में जानकारी भी नहीं होती थी। इन क्षेत्रों के लोगों को जागरूक करने के लिए उन्होंने मिशन मोड पर काम किया।कई बार ग्रामीण क्षेत्रों में वह अपने साथियों के साथ गलियों, मुहल्लों व लोगों के घरों में जाकर सैनिटाइजेशन अभियान भी चलाते थे। करीब चार महीने तक अभियान चलाने के बाद अब उन्होंने कोविड 19 की जांच के लिए डयूटी लगाई है।

बाहरी क्षेत्रों से आने वाले लोगों की दोमाना नाके पर जांच करते हैं और संक्रमित आने वालों को इससे बचाव के बारे में जागरूक करते हैं। उनका कहना है कि जब कोरोना के मामले आए तो उन्हें यह लगा कि शहरी क्षेत्रों किे लोग तो पहले से ही जागूरक हें और यहां पर कई जागरूकता अभियान चचलाए जाएंगे। इसीलिए ग्रामीण क्षेत्रों में अभियान चलाया जाना चाहिए। उनकी डयूटी भी डंसाल में थी। इसीलिए उन्होंने इसी क्षेत्र के लोगों को जागरूक करने का फैसला किया। अपने कुछ साथियों को भी इसके लिए मनाया और हमने करीब चार महीने तक अभियान चलाया। हम अपने रुपयों से ही मास्क बनाते थे। इसके बाद इन्हें लोगों के बीच बांटते थे। इसका लाभ यह हुआ कि इन क्षेत्रों से कोविड 19 के मामले बहुत कम आए।

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