Jammu Kashmir: मरीजों को इस बार भी खलेगी एंबुलेंस की कमी, जीएमसी जम्मू सहित सभी प्रमुख अस्पतालों में एंबुलेंस की कमी
चेस्ट डिजिजेस अस्पताल में मरीजों को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए जीएमसी की एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता था। बाद में एक एंबुलेंस रेडक्रास ने यहां पर भेजी थी। अब अस्पताल प्रबंधन ने छह नई एंबुलेंस खरीदने के लिए सरकार को लिखा है।
जम्मू, रोहित जंडियाल : कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की तरह इस बार भी एंबुलेंस की कमी का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि किसी भी प्रमुख अस्पताल में पर्याप्त एंबुलेंस नहीं है। हालांकि एंबुलेंस सेवा 102 और 108 मरीजों को राहत दे रही है, लेकिन ज्यादातर मरीज अभी भी निजी एंबुलेंस पर निर्भर हैं।
जम्मू के सभी प्रमुख अस्पतालों राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू, श्री महाराजा गुलाब ङ्क्षसह अस्पताल, चेस्ट डिजिजेस अस्पताल, सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल, गांधीनगर अस्पताल में पर्याप्त संख्या में एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हैं। जम्मू संभाग के सबसे बड़े राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल में रोजाना करीब डेढ़ से दो हजार मरीज ओपीडी में जांच करवाने के लिए आते हैं, जबकि इमरजेंसी में भी करीब पांच सौ मरीज आते हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान जब इस अस्पताल में पांच सौ से अधिक कोविड मरीज भर्ती थे, उस समय भी इमरजेंसी में यहां मरीज आते थे।
इस अस्पताल के पास मात्र 13 ही एंबुलेंस हैं जो चलती हैं। इनमें से भी कुछ एंबुलेंस की हालत सही नहीं है। हालांकि, अस्पताल को एक निजी संस्था ने मोटरसाइकिल एंबुलेंस भी दी हैं लेकिन यह मरीजों के लिए पर्याप्त नहीं है। इस अस्पताल के बाहर अकसर निजी एंबुलेंस खड़ी रहती हैं। चाहे किसी घायल को अस्पताल में लाना हो या फिर किसी मरीज की मौत के बाद उसके शव को घर पहुंचाना हो तो न एंबुलेंस नजर आती है और न ही वैन दिखती है।
एसएमजीएस में छह में से चार एंबुलेंस ही चल रही हैं : श्री महाराजा गुलाब ङ्क्षसह (एसएमजीएस) अस्पताल में भी स्थिति ऐसी ही है। इस अस्पताल में भी रोजाना करीब एक हजार मरीज उपचार करवाने के लिए आते हैं। इस अस्पताल में कोविड के दौरान अधिकतम अस्सी मरीजों को भर्ती किया गया था, लेकिन गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए इसी अस्पताल में आती थी। इतना ही नहीं, बच्चे भी इमरजेंसी में इसी अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं। इस अस्पताल में मात्र छह एंबुलेंस हैं। चार एंबुलेंस काफी समय से खराब हैं। अब छह में से भी चार ही एंबुलेंस सही तरीके से काम करती हैं।
सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में सिर्फ दो एंबुलेंस: चेस्ट डिजिजेस अस्पताल जम्मू में मात्र तीन ही एंबुलेंस हैं। यह अस्पताल कोविड में त्रिस्तरीय व्यवस्था का मुख्य अस्पताल था। इसी अस्पताल में मरीज अपना इलाज करवाने के लिए आते हैं। यही से मरीजों को अन्य अस्पतालों में उनकी स्थिति को देखकर भेजा जाता है। सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल की हालत तो और भी खराब है। नौ साल पहले बने इस अस्पताल में इस समय मात्र दो ही एंबुलेंस हैं। इनमें से भी एक एंबुलेंस गांधीनगर स्थित जच्चा-बच्चा अस्पताल को दी गई है। कोविड के समय इस अस्पताल में 130 मरीज भर्ती थे। अस्पताल में मरीजों को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए जीएमसी की एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता था। बाद में एक एंबुलेंस रेडक्रास ने यहां पर भेजी थी। अब अस्पताल प्रबंधन ने छह नई एंबुलेंस खरीदने के लिए सरकार को लिखा है।
जच्चा- बच्चा अस्पताल गांधीनगर के पास अपनी एक भी एंबुलेंस नहीं : गांधीनगर का जच्चा-बच्चा अस्पताल इसी साल मरीजों के लिए खोला गया है। इस अस्पताल के पास अपनी एक भी एंबुलेंस नहीं है। अस्पताल में एकमात्र एंबुलेंस भी सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल से लाई गई है। कोविड के समय मरीजों को एंबुलेंस सेवा 102 और 108 के अलावा निजी एंबुलेंसों पर निर्भर रहना पड़ा था। इस बार भी स्थिति ऐसी ही लग रही है।
68 एंबुलेंस खरीदी जा रही हैं: एंबुलेंस की कमी को पूरा करने के लिए जम्मू कश्मीर मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन 68 नई एंबुलेंस खरीद रही हैं। यह एंबुलेंस विश्व बैंक की सहायता से खरीदी जा रही है। विश्व बैंक ने एक प्रोजेक्ट के तहत स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में ढांचागत सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 367 करोड़ रुपये दिए थे। इस राशि से 67 एंबुलेंस भी खरीदी जा रही हैं।