Jammu Kashmir : आरएसएस-भाजपा नेताओं की हत्या के साजिशकर्ता थे किश्तवाड़ के यह दहशतगर्द

पुलिस कांस्टेबल जाफर हुसैन लगभग दो वर्ष पहले पकड़ा गया था। आठ मार्च 2019 को किश्तवाड़ के जिला मजिस्ट्रेट के अंगरक्षक के कमरे पर धावा बोल आतंकियों ने उससे एसाल्ट राइफल तीन मैगजीन व 90 कारतूस लूट लिए थे। इस लूट में जाफर ने आतंकियों की मदद की थी।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 12:39 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 12:39 PM (IST)
Jammu Kashmir : आरएसएस-भाजपा नेताओं की हत्या के साजिशकर्ता थे किश्तवाड़ के यह दहशतगर्द
कनिष्ठ अभियंता मोहम्मद रफी बट भी आरएसएस नेता चंद्रकांत शर्मा की हत्या की साजिश में भी हिस्सेदार था।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर प्रशासन ने उन चेहरों पर से भी नकाब हटाकर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है जो तनख्वाह भले ही सरकारी लेते थे पर नौकरी आतंक के आकाओं की बजाते थे। इन लोगों ने ही आतंकियों से मिल न केवल किश्तवाड़ का अमन-चैन बिगाडऩे की साजिश रची और भाजपा और आरएसएस नेताओं की हत्या में सीधे तौर पर शामिल रहे।

किश्तवाड़ के हुंजला का रहने वाला कांस्टेबल जाफर हुसैन बट खाकी वर्दी में आतंकियों हरसंभव मदद पहुंचाता रहा। वहीं लोक निर्माण विभाग के सड़क एवं भवन निर्माण विंग में जूनियर असिस्टेंट किश्तवाड़ के ही पोछाल निवासी मोहम्मद रफी बट किश्तवाड़ और डोडा में हिजबुल का नेटवर्क तैयार करने की साजिश में शामिल था। इनके काले कारनामों की फेहरिस्त और भी लंबी है। यह दोनों सीधे तौर पर आरएसएस और भाजपा नेताओं की हत्या में शुमार रहे।

पुलिस कांस्टेबल जाफर हुसैन लगभग दो वर्ष पहले पकड़ा गया था। आठ मार्च 2019 को किश्तवाड़ के जिला मजिस्ट्रेट के अंगरक्षक के कमरे पर धावा बोल आतंकियों ने उससे एसाल्ट राइफल, तीन मैगजीन व 90 कारतूस लूट लिए थे। इस लूट में जाफर ने आतंकियों की मदद की थी। उसने हिजबुल आतंकी ओसामा बिन जावेद उर्फ आसोमा, हारुन अब्बास वानी उर्फ हारुन और जाहिद हुसैन को अपनी कार प्रदान की थी।

इसी तरह कनिष्ठ अभियंता मोहम्मद रफी बट भी आरएसएस नेता चंद्रकांत शर्मा की हत्या की साजिश में भी हिस्सेदार था। वह आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकानों के अलावा उनकी सुरक्षित आवाजाही व हथियारों का भी बंदोबस्त करता था। चंद्रकांत शर्मा और उनके अंगरक्षक की हत्या से पूर्व हिज्ब के तीन आतंकियों ओसामा बिन जावेद, हारुन अब्बास वानी और जाहिद हुसैन ने पूरे इलाके की रेकी की थी। रफी बट ने इसमें उनकी मदद की थी। वह डोडा और किश्तवाड़ में एक वर्ग विशेष में आतंक पैदा कर उसे वहां से पलायन को मजबूर करने की आतंकी साजिश को आगे बढ़ाने में लगा था। 

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