Jammu Kashmir: पीपुल्स एलायंस का हिस्सा बनने पर कांग्रेस में हैं मतभेद, फिलहाल दूरी बनाए हुए हैं

गुपकार डिक्लेरेशन को लागू कराने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के खिलाफ जब अपने एजेंडे को अमलीजामा पहनाने के लिए डॉ फारुक अब्दुल्ला ने पीएजीडी को एक संगठन की शक्ल देने का फैसला किया तो कांग्रेस की तरफ से कोई भी उनके निवास पर नहीं पहुंचा।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 04:27 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 05:21 PM (IST)
Jammu Kashmir: पीपुल्स एलायंस का हिस्सा बनने पर कांग्रेस में हैं मतभेद, फिलहाल दूरी बनाए हुए हैं
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बताया कि पीएजीडी को लेकर कांग्रेस में भी प्रदेश कांग्रेस की तरह मतभेद हैं।

श्रीनगर, नवीन नवाज। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के खिलाफ पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) अब एक संगठनात्मक ढांचे की शक्ल ले चुका है। लेकिन कांग्रेस में इसमें शामिल होने काे लेकर कश्मीर से लेकर दिल्ली तक मतभेद पैदा हो चुके हैं। कांग्रेस का एक गुट पीएजीडी से पूरी तरह दूरी बनाए रखने के मूड में हैं। वह चाहता है कि बीच का रास्ता अपनाते हुए अनुच्छेद 370 को हटाएजाने के खिलाफ अपना अलग मोर्चा बनाए रखें जबकि कुछ नेता चाहते हैं कि पीएजीडी के साथ मिलकर चला जाए।

उल्लेखनीय है कि डॉ फारुक अब्दुल्ला की अध्यक्षता में कश्मीर केंद्रित सियासत करने वाले मुख्यधारा के विभिन्न राजनीतिक दलों ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए पीएजीडी का गठन किया है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती इसकी उपाध्यक्ष हैं। पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन प्रमुख प्रवक्ता जबकि माकपा नेता और पूर्व विधायक मोहम्मद युसूफ तारीगामी को इसका संयोजक बनाया गया है। गुपकार घोषण पत्र को चार अगस्त 2019 को जारी किया गया था। इस पर हस्ताक्षर करने वालों में प्रदेश कांग्रेस भी शामिल रही है। कांग्रेस शुरू से ही गुपकार घोषणा की समर्थक रही है।

गुपकार डिक्लेरेशन को लागू कराने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के खिलाफ जब अपने एजेंडे को अमलीजामा पहनाने के लिए डॉ फारुक अब्दुल्ला ने पीएजीडी को एक संगठन की शक्ल देने का फैसला किया तो कांग्रेस की तरफ से कोई भी उनके निवास पर नहीं पहुंचा। डॉ फारुक अब्दुल्ला ने 15 अक्तूबर को महबूबा मुफ्ती व अन्य नेताओं की मौजृूदगी में पीएजीडी के गठन का एलान किया था। उस समय प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीए मीर को न्यौता भेजा गया था, फोन पर भी उन्हें सूचित किया गया। जीए मीर बैठक में नहीं पहुंचे। उनके करीबियों ने बताया कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था। अलबत्ता, कांग्रेस गुपकार डिक्लेरेशन का समर्थन करती है। दो दिन पूर्व जब महबूबा मुफ्ती के घर पीएजीडी के संगठनात्मक ढांचे को तैयार करने के लिए बैठक हुई तो वहां भी कांग्रेस गायब रही।

पीएजीडी का प्रस्तावित विजन डाक्यूमेंट और श्वेतपत्र तैयार करने मे व्यस्त नेकां सांसद जस्टिस (सेवानिवृत्त) हसैन मसूदी ने कहा कि कांग्रेस हमारे साथ है। पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने हाल ही में बयान दिया है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को बहाल किया जाए। इस अनुच्छेद को नई दिल्ली ने असंवैधानिक तरीके से हटाया है। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के खिलाफ हमारे आंदोलन का समर्थन किया है। कांग्रेस भी गुपकार घोषणा का एक हिस्सा है। अलबत्ता कांग्रेस द्वारा पीएजीडी की दोनों बैठकों से गायब रहने पर उन्होंने कहा कि पहली बार तो जीए मीर साहब बीमार थे, शायद इस बार भी उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं होगा।

पीएजीडी को लेकर कांग्रेस ने कोई फैसला नहीं किया: प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर ने इस संदर्भ में कुछ भी कहने से इंकार करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 कोहटाए जाने के मुददे पर हमारा स्टैंड स्पष्ट है। पीएजीडी में कांग्रेस की नीतियों का जल्द ही पता चल जाएगा। इस समय पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं का ध्यान बिहार चुनावों पर है। इसलिए पीएजीडी काे लेकर कांग्रेस ने अभी कोई फैसला नहीं किया है।

पीएजीडी को लेकर कांग्रेस में मतभेद हैं: प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पीएजीडी को लेकर कांग्रेस में भी प्रदेश कांग्रेस की तरह ही मतभेद हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं का एक बड़ा गुट मानता है कि पीएजीडी के साथ इस समय जाने का मतलब राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा को कांग्रेस के खिलाफ एक और हथियार देने के समान है। पीएजीडी में इस समय शामिल होने से पूरे देश में भाजपा कहेगी कि कांग्रेस राष्ट्रीय एकता अखंडता के खिलाफ है। वह अलगाववादी तत्वों के साथ खड़ी है। इससेे कांग्रेस का वाेट बैंक ही टूटेगा। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस का भी एक बड़ा वर्ग चाहता हैॅ कि पीएजीडी से दूर रहा जाए, क्याेंकि इसके साथ गठजोड़ केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश के जम्मू प्रांत में उसका चुनावी गणित पूरी तरह बिगड़ जाएगा।

बीच के रास्ते की हो रही तलाश: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि इस मुद्दे पर फिलहाल बीच का रास्ता अपनाया जाए। पीएजीडी के साथ प्रत्यक्ष रुप से जुड़ने के बजाय अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर अपने पक्ष के अनुरुप ही उसका सहयोग लिया जाए या फिर दिया जाए। कांग्रेस को पीएजीडी के साथ चिन्हित होने से बचना चाहिए। पीएजीडी का समर्थन करें, लेकिन सीमित और पीएजीडी सेबाहर रहकर।

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