Jammu Theatre: व्यक्तित्व विकास के साथ ज्ञान, अनुभव से समृद्ध करता है रंगमंच
1978 में जन्मे़ एक प्रशिक्षित थिएटर व्यवसायी गोविंद सिंह यादव ने 2001 में भारतेंदु नाट्य अकादमी बीएनए लखनऊ से नाटकीय कला में अपना दो वर्षीय डिप्लोमा और वर्ष 2006 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से रंगमंच तकनीक डिजाइन और निर्देशन में तीन वर्षीय डिप्लोमा पूरा किया।
जम्मू, जागरण संवाददाता: नटरंग के नेशनल थिएटर टॉक शो ‘यंग वॉयस ऑफ थिएटर’ में थिएटर लाइटिंग के लिए संगीत नाटक अकादमी के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार ते सम्मानित गोविंद सिंह यादव ने कहा कि रंगमंच व्यक्तित्व विकास के अलावा ज्ञान और अनुभव से भी समृद्ध करता है। रंगमंच की लाइटिंग को लेकर उनका दावा है कि रोशनी प्रदर्शन के मूड को प्रभावित करती है और इसके समग्र प्रभाव को बढ़ाती है। उन्होंने बताया कि क्यों उन्होंने अभिनय, निर्देशन के बजाए लाइटिंग को ही चुना और उसी में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार हासिल किया।
नटरंग के वरिष्ठ कलाकार नीरज कांत के साथ बातचीत में गोविंद ने रंगमंच के अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि स्वभाव से शर्मीले होने के बावजूद एक बाल कलाकार के रूप में रंगमंच करना शुरू किया और बाद में लाइटिंग में अपना भविष्य तलाशा। कई प्रतिष्ठित कार्यक्रमों के लिए प्रकाश व्यवस्था करने वाले गगन याद करते हैं कि एनएसडी में काम करते हुए उन्हें दिग्गजों के साथ काम करने का अपार अवसर मिला और उन सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
स्वागत भाषण में निदेशक नटरंग, बलवंत ठाकुर ने इस अनूठे टॉक शो के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इससे देश भर के युवा कलाकारों, निर्देशकों, डिजाइनरों को सुनने का मौका मिल रहा है। यादव से परिचय करवाते हुए उन्होंने बताया कि 1978 में जन्मे़ एक प्रशिक्षित थिएटर व्यवसायी गोविंद सिंह यादव ने 2001 में भारतेंदु नाट्य अकादमी, बीएनए लखनऊ से नाटकीय कला में अपना दो वर्षीय डिप्लोमा और वर्ष 2006 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से रंगमंच तकनीक, डिजाइन और निर्देशन में तीन वर्षीय डिप्लोमा पूरा किया।
वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा रिपर्टरी कंपनी, नई दिल्ली में स्टेज मैनेजर और लाइट एक्सपर्ट के रूप में कार्यरत हैं। संस्कृति मंत्रालय, सरकार से जूनियर फैलोशिप के प्राप्तकर्ता गोविंद ने एनसीजेडसीसी, इलाहाबाद से कथक में एक वर्ष का डिप्लोमा भी पूरा किया था। उन्होंने कई नाटकों का निर्देशन किया है।उन्होंने कई नाटकों का निर्देशन किया।
उनका मानना है कि डिजाइनिंग एक सतत प्रक्रिया है। इसमें महारत हासिल करने के लिए इसे विकसित करते रहना होगा। गोविंद का मत है कि रंगमंच में समय देना पड़ता है। जितना अधिक समय लगाया जाता है, परिणाम उतना ही अधिक संतोषजनक होते हैं और यह सुझाव देते हैं कि रंगमंच में लाभ और हानि के संदर्भ में कभी भी रिटर्न की गणना न करें बल्कि स्वयं को ज्ञान का अनुभव करने का प्रयास करें।
कार्यक्रम का प्रबंधन करने वालों में सुरेश कुमार, नीरज कांत, अनिल टिक्कू, सुमीत शर्मा, संजीव गुप्ता, मोहम्मद यासीन, बृजेश अवतार शर्मा, गौरी ठाकुर और चंद्र शेखर शामिल हैं।