कश्मीरी विस्थापितों की घर वापसी की राह, कब्जाई गई संपत्ति को वापस दिलाने की पहल
कश्मीरी विस्थापितों की कब्जाई गई संपत्ति को वापस दिलाने के लिए आनलाइन शिकायत दर्ज करवाने को पोर्टल की शुरुआत अच्छी पहल है। आतंकियों और उनके समर्थक तत्वों द्वारा कब्जाई गई संपत्ति छुड़ाकर उन्हें लौटाने की जो पहल शुरू हुई है उससे कश्मीरी विस्थापित काफी खुश हैं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। करीब तीन दशक पहले आतंकियों की धमकियों के कारण अपने घर छोड़कर गए कश्मीरी विस्थापितों को उनके अधिकार दिलाने के लिए उपराज्यपाल प्रशासन की पहल सराहनीय है। आतंकियों ने कश्मीरी हिंदुओं व सिखों का नरसंहार कर उनमें दहशत पैदा कर दी थी। नतीजा यह हुआ कि कश्मीरी अपनी पुश्तैनी जमीन, जायदाद व घर छोड़कर देश के अन्य राज्यों में पलायन कर गए। कइयों ने औने-पौने दाम में अपनी संपत्ति तक बेच दी। अधिकतर कश्मीर पंडितों की संपत्ति पर कब्जा कर लिया गया।
अब उपराज्यपाल प्रशासन ने कश्मीरी विस्थापितों की कब्जाई गई संपत्ति को वापस दिलाने के लिए उनके लिए आनलाइन शिकायत दर्ज करवाने के लिए पोर्टल की शुरुआत की है। अच्छी बात यह है कि इन शिकायतों का लोकसेवा अधिकार कानून के तहत निर्धारित समय में निवारण होगा। आतंकी हिंसा में करीब 60 हजार परिवार अपने ही देश में बेघर होकर रह गए थे।
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370(Article-370) और 35 ए(35A) के समाप्त होने के बाद हालात तेजी से करवट ले रहे हैं। कश्मीर घाटी में आतंकवाद अब दम तोड़ रहा है। श्रीनगर का लाल चौक, जहां कभी तिरंगा लहराने पर आतंकियों की धमकियां मिलती थीं, लेकिन इस बार स्वतंत्रता दिवस पर स्थानीय लोगों ने हर तरफ तिरंगे लहराए, जो अपने आप में घाटी में शांति का परिचायक थे। हालात सामान्य होते देख कश्मीरी विस्थापित अब कश्मीर घाटी लौटना चाहते हैं। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि इतिहास ऐसे कभी करवट लेगा और एक दिन घाटी लौटने की उनकी राह खुलेगी। लेकिन अब ऐसा होता मुमकिन दिख रहा है।
आतंकियों और उनके समर्थक तत्वों द्वारा कब्जाई गई संपत्ति छुड़ाकर उन्हें लौटाने की जो पहल शुरू हुई है, उससे कश्मीरी विस्थापित काफी खुश हैं। कश्मीरी विस्थापितों की नई पीढ़ी ने तो घाटी को करीब से देखा ही नहीं है। अब उम्मीद है कि तीन दशक बाद फिर से कश्मीरी विस्थापितों की घर वापसी होगी।