केंचुआ खाद से निकल सकती है रोजगार की राह, कम निवेश से कर सकते हैं यूनिट शुरू
मार्केट में जैविक उत्पादन अपनी पहचान बनाने लगे हैं। यही कारण है कि जैविक खाद यानी केंचुआ खाद की मांग बढ़ने लगी है। इसलिए किसानों को अब जैविक खाद बनाने की तरफ ध्यान देना चाहिए। क्योंकि केंचुआ खाद बाजार में आठ से दस रुपये प्रति किलो बिक रही है।
जम्मू, जागरण संवाददाता : खेतीबाड़ी, पशुपालन या इससे जुड़े कई काम अपनाकर किसान या बेरोजगार अपनी रोजीरोटी चला सकता है। बस कुछ करने की हिम्मत होनी चाहिए। आज के दौर में खेती बदल रही है। लगातार रसायन खाद के इस्तेमाल से मिट्टी कमजोर हो रही है। यही कारण है कि अब जैविक खेती की ओर जोर दिया जा रहा है। मार्केट में जैविक उत्पादन अपनी पहचान बनाने लगे हैं। यही कारण है कि जैविक खाद यानी केंचुआ खाद की मांग बढ़ने लगी है। इसलिए किसानों को अब जैविक खाद बनाने की तरफ ध्यान देना चाहिए। क्योंकि केंचुआ खाद बाजार में आठ से दस रुपये प्रति किलो बिक रही है।
केंचुआ खाद की यूनिट लगाना बेहद आसान है। इसके लिए कोई मशीन की जरूरत नहीं रहती। न ही बिजली या डीजल का कोई खर्च है। बस आपके घर पर कुछ माल मवेशी जरूर होने चाहिए। इनमें मिलने वाला गोबर ही केंचुआ खाद के लिए कच्चा माल है। छोटी-सा यूनिट लगाया जा सकता है। बस आपको गड्ढा बनाना है और उसमें केंचुए छोड़कर नियमित तौर पर गोबर डालना है।
क्या हाेना चाहिए गड्ढे का आकार : माल मवेशी की संख्या के हिसाब से ही पिट का साइज निर्भर करता है। अगर तीन चार मवेशी आपके पास है तो तीस फुट लंबा और आठ फुट चौड़ा गड्ढा बनाया जा सकता है। यह गड्ढा कम से कम ढाई फुट गहरा होना चाहिए और एक फुट जमीन के ऊपर होना चाहिए। पिट के अंदर आठ नौ चैंबर बनाए जाते हैं। एक एक करके चैंबर में गोबर डाला जाता है और चैंबर भरने के तीन माह में केंचुए इस गोबर को खाद में बदल देते हैं। इस गड्ढे के लिए 10-12 किलो केंचुओं की जरूरत रहेगी। तीन माह में पूरे गड्ढे से तकरीबन 35 से 40 हजार रुपये की कमाई की जा सकती है।
कितना आएगा खर्चा : वर्मी कंपोस्ट का यूनिट लगाने के लिए अब गड्ढा का ढांचा बनाने और ऊपर शेड स्थापित करने का ही खर्च वहन करना है। 30 फुट लंबे और आठ फुट चौड़े गड्ढे का अगर ढांचा व इसका शेड बनाना हो तो कुल एक लाख रुपये तक खर्च आ ही जाता है। आप कृषि विभाग का सहयोग ले सकते हैं, क्योंकि कृषि विभाग ढांचागत निर्माण में 50 प्रतिशत की सब्सिडी देता है। कृषि विभाग में रिसर्च असिस्टेंट, वेजीटेबल इंप्रूवमेंट स्कीम अरुण जराल ने बताया कि आजकल केंचुआ खाद की मांग लगातार बढ़ रही है। क्योंकि जैविक खेती का जोर बढ़ने लगा है। बेरोजगार युवा तो बड़ा यूनिट भी लगा सकते हैं।