श्रद्धा का महासावन: भगवान शिव को सावन का महीना प्रिय है

सृष्टि रचयिता समुंद्र मंथन से निकले कालकूट विष से प्राणियों को बचाने वाले भगवान शिव परम दयालु हैं। उनकी ऊर्जा से ही संसार चलायमान है। मंदिरों में जब हम जाते हैं तो देखते है कि मूर्तियों में सभी देवताओं की पूजा होती है।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 06:27 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 06:27 PM (IST)
श्रद्धा का महासावन: भगवान शिव को सावन का महीना प्रिय है
भगवान महादेव सावन का महीन अतिप्रिय है। - पंडित राजेंद्र शास्त्री।

जम्मू, जागरण संवाददाता। सृष्टि रचयिता समुंद्र मंथन से निकले कालकूट विष से प्राणियों को बचाने वाले भगवान शिव परम दयालु हैं। उनकी ऊर्जा से ही संसार चलायमान है। मंदिरों में जब हम जाते हैं तो देखते है कि मूर्तियों में सभी देवताओं की पूजा होती है। शिव का स्मरण चिन्ह बिन्दु जैसे आकार वाला होता है। इससे साफ होता है कि अन्य सभी देवी, देवता शरीरधारी हैं। परंतु शिव सबसे अलग हैं।

उन्हें त्रिमूर्ति कहा जाता है क्योंकि वह ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के भी रचयिता हैं

परमात्मा शिव को अनेक नामों से जाना जाता है। उनके जितने भी नाम हैं। वह सभी उनके स्वरूप का परिचय देते हैं। जैसे अमरनाथ, सोमनाथ, विश्वेश्वर, पशुपतिनाथ, केदारनाथ, महाकालेश्वर। इससे साफ है कि यह सभी नाम गुणवाचक, कर्तव्यवाचक और परिचयवाचक हैं। यह सभी नाम उनकी शक्ति, उत्तमता और उच्च कर्तव्यों को बताने वाले हैं। भगवान शिव के और कई नाम हैं। उदाहरण के तौर पर उन्हें त्रिमूर्ति कहा जाता है क्योंकि वह ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के भी रचयिता हैं।भगवान शिव को सावन का महीना प्रिय है। यही कारण है कि इस महीने में महादेव की पूजा, आराधना का विशेष महत्व होता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु सामर्थ्य अनुसार व्रत, उपवास, पूजन, अभिषेक आदि करते हैं।

इस माह में की गई उपासना का विशेष फल भक्तों को प्राप्त होता है

इस माह में की गई उपासना का विशेष फल भक्तों को प्राप्त होता है। सावन महीना शुरू होते ही वातावरण शिवमय हो चुका है। हर तरफ भगवान भोले की भक्ति हाे रही है।कहा जाता है कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योग शक्ति द्वारा अपने देह का त्याग किया। उससे पहले देवी सती ने महादेव को प्रत्येक जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने राजा हिमाचल और रानी मैना के घर में पार्वती के रूप में जन्म लिया और पार्वती के रूप में देवी ने अपनी युवावस्था में, सावन के महीने में अन्न, जल त्याग कर, निराहार रह कर कठोर व्रत किया था। मां पार्वती के इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया। तभी से भगवान महादेव सावन का महीन अतिप्रिय है।

- पंडित राजेंद्र शास्त्री। 

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