Jammu Kashmir: भूमि इस्तेमाल के नियम और सरल होंगे, राज्यपाल प्रशासन को समिति इसी महीने रिपोर्ट सौंपेगी

राजस्व विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि जम्मू कश्मीर में भूमि के उपयोग में बदलाव से संबंधित नियमों को देश के विभिन्न राज्यों के संबंधित नियमों के आकलन पर तैयार किया जा रहा है। सरकार का प्रयास है कि यह नियम सरल ही नहीं प्रगतिशील होने चाहिए।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 09:01 AM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 09:01 AM (IST)
Jammu Kashmir: भूमि इस्तेमाल के नियम और सरल होंगे, राज्यपाल प्रशासन को समिति इसी महीने रिपोर्ट सौंपेगी
कृषि भूमि का किन गैर कृषि कार्याें के लिए उपयोग होगा, यह भी तय किया जा रहा है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर में भूमि इस्तेमाल में बदलाव से संबंधित मौजूदा प्रक्रिया को सरल बनाने और व्यावहारिक निर्देशावली को प्रदेश प्रशासन इसी माह के अंत तक जारी करेगा। कृषि और बागवानी को व्यावसायिक स्तर पर प्रोत्साहित करने और निजी जमीन पर औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने की नीति पर प्रशासन काम कर रहा है। इस संदर्भ में गठित समिति संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श करते नियमों का प्रारूप तैयार करने में जुटी है।

राजस्व विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि जम्मू कश्मीर में भूमि के उपयोग में बदलाव से संबंधित नियमों को देश के विभिन्न राज्यों के संबंधित नियमों के आकलन पर तैयार किया जा रहा है। सरकार का प्रयास है कि यह नियम सरल ही नहीं प्रगतिशील होने चाहिए। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्य सचिव डा. अरुण कुमार मेहता ने संबंधित अधिकारियों के साथ गत दिनों बैठक में निर्देश दिया कि प्रस्तावित नियम और निर्देशावली समग्र विकास को सुनिश्चित बनाते पर्यावरण व खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों के संरक्षण में समर्थ हो। प्रस्तावित निर्देशावली में कृषि भूमि को गैर कृषि कार्य के लिए किसी क्षेत्र विशेष या व्यक्ति विशेष का प्रदान करने की अधिकतम सीमा स्पष्ट तय होनी चाहिए। कृषि भूमि का किन गैर कृषि कार्याें के लिए उपयोग होगा, यह भी तय किया जा रहा है।

बड़ी संख्या में निवेशक सामने आ रहे :

अधिकारियों के अनुसार जम्मू कश्मीर में पहले खत्री, सिख, महाजन समुदाय को पहले कृषि भूमि खरीदने या बेचने का अधिकार नहीं था। इसके अलावा कृषि भूमि का गैर कृषि कार्याें के लिए इस्तेमाल की अनुमति विशेष परिस्थितियों मेंं ही मिलती थी। इससे जम्मू कश्मीर का औद्योगिकीकरण प्रभावित हो रहा था। कृषि व संबंधित गतिविधियों को व्यावसायिक तौर पर आगे बढ़ाने में सफलता नहीं मिल रही थी। अब प्रदेश में कोई भी समुदाय कृषि भूमि खरीद सकता है और कृषि को बतौर पेशा अपना सकता है।

नई औद्योगिक नीति के तहत बड़ी संख्या में निवेशक प्रदेश में अपने उपक्रम स्थापित करने के लिए सामने आ रहे हैं और उनके लिए भी जमीन चाहिए। प्रदेश सरकार ने पहले ही निजी जमीन पर भी निजी औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने को मंजूरी दी है। इसलिए भूमि प्रयोग में बदलाव की मौजूदा प्रक्रिया में बदलाव जरूरी हो चुका है।

उन्होंने बताया कि इसलिए जम्मू कश्मीर भूमि अनुदान नियम-2021 की समीक्षा व इसमें आवश्यक सुधार के लिए एक समिति भी बनाई गई है। यह समिति पट्टे पर जमीन देने संबधी नियमों का भी आकलन कर उन्हें और अधिक व्यावहारिक बनाने के लिए काम करेगी। राजस्व विभाग के अतिरिक्त सचिव केके सिद्धा के नेतृत्व में गठित यह नौ सदस्यीय समिति जम्मू कश्मीर भूमि राजस्व अधिनियम के तहत गठित राजस्व बोर्ड के अधिकारियों व सदस्यों के साथ समन्वय बनाएगी। राजस्व बोर्ड सभी संबंधित मामलों के नियंत्रण करने के लिए प्राधिकृत है। समिति की रिपोर्ट पर नियमों और निर्देशावली को अंतिम रूप देकर इसी माह जारी किया जाएगा।  

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