Jammu Kashmir: अनुच्छेद 370 की बहाली को मुद्दा बना रहे दलों में बढ़ रही दूरियां, अब एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी में जुटे

5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पारित करा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के सभी प्रविधान समाप्त कर दिए थे।इससे जम्मू-कश्मीर का अपना अलग संविधान और निशान समाप्त हो गया।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 05:47 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 05:47 PM (IST)
Jammu Kashmir: अनुच्छेद 370 की बहाली को मुद्दा बना रहे दलों में बढ़ रही दूरियां, अब एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी में जुटे
सभी जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की समाप्ति के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

श्रीनगर, नवीन नवाज। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में जिस गति से राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो रही हैं, उसी तरह अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ एकजुट नजर आने वाले दलों में मतभेद भी उजागर होने लगे हैं। अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली को अपना सियासी मुद्दा बनाने वाले दल अब इससे बचने का प्रयास करते हुए एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी पर उतर आए हैं। कांग्रेस जहां अब इस मुद्दे से पूरी तरह से किनारा करने के मूड में है, वहीं पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी लोन भी अब साफ कहते हैं कि अनुच्छेद 370 को सिर्फ संसद या अदालत लौटाएगी। नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी में भी इस मुद्दे पर नजर आती एकता अब भंग होती दिख रही है और दोनों अलग-थलग पड़ रहे हैं। सभी जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की समाप्ति के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पारित करा, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के सभी प्रविधान समाप्त कर दिए थे।इससे जम्मू-कश्मीर का अपना अलग संविधान और निशान समाप्त हो गया। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में पुनर्गठित हुआ। नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कांफ्रेंस औार अवामी नेशनल कांफ्रेंस समेत प्रदेश में सक्रिय मुख्यधारा के लगभग सभी राजनीतिक दल केंद्र के फैसले के खिलाफ हैं। भाजपा और भाजपा के समर्थक दलों ने ही केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन किया है।

अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ जो राजनीतिक दल एकजुट नजर आ रहे थे, अब एक-दूसरे के खिलाफ हो रहे हैं। इसका संकेत नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गत दिनों डोडा-किश्तवाड़ के अपने दौरे में विभिन्न राजनीतिक सभाओं को संबोधित करते हुए दिया है। उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद को अनुच्छेद 370 की समाप्ति के लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि मुफ्ती मोहम्मद सईद ने ही भाजपा के साथ हाथ मिला, उसे जम्मूकश्मीर में सत्ता तक पहुंचाया। इसका फायदा लेकर ही भाजपा ने अनुच्छेद 370 को हटाया है। उमर यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने कहा कि हमने तो मुफ्ती साहब को चेताया था, हमने उन्हें सरकार बनाने में सहयोग का भी यकीन दिलाया था, लेकिन वह नहीं माने। खैर, लम्हो ने खता की और सदियों ने सजा पाई। हमें नहीं मालूम कि कब तक हम उनकी गलती का खामियाजा भुगतेंगे।

उमर अब्दुल्ला के इस आरोप पर पीडीपी के वरिष्ठ नेता नईम अख्तर ने कहा कि उमर अब्दुल्ला बकवास कर रहे हैं। पीडीपी आज भी अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली के अपने स्टैंड पर कायम है। हमारी आवाज को दबाने के लिए केंद्र सरकार हर संभव दबाव का इस्तेमाल कर रही हैं। पीडीपी को दबाने के लिए ही केंद्र ने इसमें विभाजन कराया है। यह नेशनल कांफ्रेंस ही है, जिसने हमेशा भारतीय जनता पार्टी का प्रत्यक्ष-परोक्ष साथ दिया है। पीडीपी ने तो हमेशा अनुच्छेद 370 पर भाजपा के मंसूबों को नाकाम बनाया है। उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की समाप्ति के लिए अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद भी बीते दिनों एक बातचीत में कह चुके हैं, अनुच्छेद 370 का मुद्दा अब आप्रसंगिक हो चुका है। उन्होंने कहा मैंने लगातार दो साल तक संसद में इस मुद्दे को उठाया है। अब इसे छोड़ आगे बढ़ने का समय आ चुका है। हमें जम्मू-कश्मीर के यथाशीघ्र राज्य का दर्जा बहाल कराने और विधानसभा के गठन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। गुलाम नबी आजाद के बयान पर प्रदेश कांंग्रेस के प्रमुख जीए मीर असहमति जताते हैं। वह कहते हैं कि भाजपा ने गैर लोकतांत्रिक तरीके से इसे समाप्त किया है। जम्मू-कश्मीर के लोग इसकी पुनर्बहाली चाहते हैं। इसके लिए कांग्रेस लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरुप आवाज उठाती रहेगी।

उमर अब्दुल्ला ने गुलाम नबी आजाद द्वारा अनुच्छेद 370 के मुद्दो को आप्रसंगिक बताए जाने पर कहा कि वह कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ जा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा तो कांग्रेस की देन है। अगर आज इस मुद्दे पर कांग्रेस पीछे हटती है तो यह कांग्रेस की हार ही मानी जाएगी।

पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने कहा कि अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली को लेकर नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी कहीं भी ईमानदार नजर नहीं आती। नेकां और पीडीपी ही नहीं कांग्रेस भी जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की समाप्ति के लिए जिम्मेदार है। भाजपा का यह राजनीतिक एजेंडा था। नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी दोनों ही भाजपा के साथ समय-समय पर साझीदार रहीं हैं। इन दोनों दलों ने सत्ता में रहते हुए जम्मू-कश्मीर की विशिष्ट राजनीतिक व संवैधानिक पहचान को संरक्षित बनाए रखने के लिए क्या किया, कोई इसे भंग न करे, इसके लिए क्या कदम उठाए, यह जवाब चाहिए। अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली की मांग बेशक जारी रहेगी, लेकिन इस मुद्दे पर होने वाला हंगामा अब शांत हो रहा है। खुद को जम्मू-कश्मीर का ठेकेदार बताने वाले राजनीतिक नेता व दल अब इससे बच रहे हैं और दूसरों के गले में इसका सांप डालने का प्रयास कर रहे हैं।

राजनीतिक मामलों के जानकार एडवाेकेट अजात जम्वाल ने कहा कि अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी व इन जैसे अन्य दल पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं। इसकी पुनर्बहाली अब संभव नहीं है। इस सच्चाई को यह दल अच्छी तरह जानते हैं। इसलिए अब इससे छुटकारा पाने और खुद को निर्दाेष साबित कर, अपने लिए वोट पक्के करने के लिए अब दूसरों को दोषी ठहरा रहे हैं। नेकां-पीडीपी ने तो पीपुल्स एलांयस फार गुपकार एलायंस बना रखा है। अगर दोनों इमानदार हैं तो फिर अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर एक-दूसरे को क्यों निशाना बना रहे हैं। 

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