Jammu Kashmir: दोहरी चुनौती से जूझ रहा स्वास्थ्य विभाग, स्टॉफ कम, अहम पदों पर आसीन अधिकारी-कर्मचारी संक्रमित

पिछले डेढ़ वर्षों से चुनौतियों से निपट रहे स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को एक साथ कई चुनौतियों से निपटना पड़ रहा है। एक ओर जहां विभाग का काम दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है वहीं अहम पदों पर बैठे कई अधिकारी संक्रमित हो चुके हैं।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 03:28 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 03:30 PM (IST)
Jammu Kashmir: दोहरी चुनौती से जूझ रहा स्वास्थ्य विभाग, स्टॉफ कम, अहम पदों पर आसीन अधिकारी-कर्मचारी संक्रमित
डीआरडीओ द्वारा तैयार किए जा रहे 500 बिस्तरों की क्षमता वाले अस्पताल को चलाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।

जम्मू, रोहित जंडियाल। पिछले डेढ़ वर्षों से चुनौतियों से निपट रहे स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को एक साथ कई चुनौतियों से निपटना पड़ रहा है। एक ओर जहां विभाग का काम दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, वहीं अहम पदों पर बैठे कई अधिकारी संक्रमित हो चुके हैं और अन्य अधिकारियों पर काम का बोझ बढ़ रहा है। कांट्रेक्ट पर सेवानिवृत्त डाक्टरों को रखने की योजना भी अधिक कारगर साबित नहीं हो पाई है और बहुत कम डाक्टरों ने ज्वाइन किया है। वहीं अब 500 बिस्तरों की क्षमता वाले डीआरडीओ के अस्पताल को भी चलाने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग के स्टाफ की ही होगी।

स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, दूसरी लहर में भी स्वास्थ्य कर्मी बड़ी संख्या में संक्रमित हो रहे हैं। इस समय डिप्टी डायरेक्टर स्किम्स घर में आइसोलेट हैं जबकि कंट्रोलर स्टोर, दो मेडिकल सुपरिटेंडेंट भी संक्रमित हो गए हैं। वहीं सांबा के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी भी स्वास्थ्य संबंधी कारणों से छुट्टी पर हैं। कई डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ भी संक्रमित हैं। इससे स्वास्थ्य विभाग का काम प्रभावित हो रहा है और मौजूद अधिकारियों पर दबाव बढ़ रहा है। जम्मू में डिप्टी डायरेक्टर हेडक्वार्टर का पद पहले से ही रिक्त पड़ा हुआ है।

24 घंटे में चार डाक्टरों की मौत हो गई है

स्वास्थ्य विभाग के एक उच्चाधिकारी के अनुसार, दूसरी लहर में कई ऐसे स्वास्थ्य कर्मी हैं जिनके पूरे परिवार ही संक्रमित हो गए हैं। 24 घंटे में चार डाक्टरों की मौत हो गई है। इनमें दो डाक्टर अभी नौकरी कर रहे थे और अभी युवा थे। जम्मू-कश्मीर सरकार को भी यह जानकारी है कि स्वास्थ्य विभाग में इस समय डाक्टरों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की कमी बनी हुई है। इसी को देखते हुए उपराज्यपाल प्रशासन ने मेडिकल कॉलेजों और स्वास्थ्य निदेशालयों के अधीन आने वाले अस्पतालों से सेवानिवृत्त होने वाले डाक्टरों को एक वर्ष के लिए कांट्रेक्ट पर नियुक्त करने को कहा था। लेकिन इसमें सेवानिवृत्त डाक्टरों ने कोई खास रूचि नहीं दिखाई। बहुत कम डाक्टर है जिन्होंने ज्वाइन किया। अधिकांश ने ऑनलाइन ही अपनी सेवाएं देने का फैसला किया। इससे भी स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की चुनौतियां कम नहीं हुई है।

स्वास्थ्य विभाग को तकनीकी स्टाफ की जरूरत पड़ेगी

अब स्वास्थ्य विभाग को डीआरडीओ द्वारा तैयार किए जा रहे 500 बिस्तरों की क्षमता वाले अस्पताल को चलाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। सिर्फ भगवती नगर वाले इस अस्पताल को चलाने के लिए ही स्वास्थ्य विभाब को 680 डक्टरों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की जरूरत है। इन 500 बिस्तरों की क्षमता वाले अस्पताल में से 175 बिस्तर आइसीयू के हैं जबकि 375 अन्य बिस्तरों में भी आक्सीजन की सुविधा होगी। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को तकनीकी स्टाफ की जरूरत पड़ेगी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को अस्पताल तैयार करने से पहले इन 680 स्वास्थ्य कर्मियों का प्रबंध करने को कहा गया है। अब स्वास्थ्य विभाग की दुविधा यह है कि नए पदों पर कर्मचारियों को कांट्रेक्ट पर नियुक्त किया जाए या फिर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित अस्पतालों से कुछ स्टाफ को डीआरडीओ के अस्पताल में नियुक्त किया जाएण्। इस पर मंथन चल रहा है।

विभाग कोविड की चुनौतियों से निपटने में हर संभव प्रयास कर रहा है

स्वास्थ्य निदेशक जम्मू डा. रेनू शर्मा का कहना है कि विभाग कोविड की चुनौतियों से निपटने में हर संभव प्रयास कर रहा है। स्वास्थ्य कर्मियों के संक्रमित होने की आशंका बनी रहती है। लेकिन जो भी कर्मचारी इस समय काम कर रहे हें, वे दिन रात मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ के अस्पताल के लिए स्टाफ का समय से पहले प्रबंध हो जाएगा।

स्वास्थ्य विभाग के समक्ष चुनौतियां: अधिक से अधिक लोगों का टीकाकरण करना सभी संदिग्धों व अन्य के सैंपल लेकर जांच करना अस्पतालों में भर्ती सभी मरीजों का इलाज करना लगातार बढ़ रही मृत्यु दर को कम करना बंद पड़े वेंटीलेटरों व अन्य मशीनरी को चलाना नए बन रहे कोविड अस्पतालों को चलाना 

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