जम्मू-कश्मीर में डेंगू का नहीं थम रहा कहर, 461 हुई मरीजों की संख्या

दो दिन पहले श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल में डेंगू पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए 54 बिस्तरों की क्षमता वाला वार्ड भी मरीजों से भरता जा रहा है। अभी तक 65 बच्चों में डेंगू की पुष्टि हुई। इनमें से 25 को स्वस्थ होने के बाद छुट्टी दे दी गई।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 06:35 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 06:35 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर में डेंगू का नहीं थम रहा कहर, 461 हुई मरीजों की संख्या
कठुआ जिले में भी 90 से अधिक मरीज हो गए हैं।

जम्मू, राज्य ब्यूरो। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में डेंगू का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीस और लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इसे मिलाकर अब तक जम्मू-कश्मीर में 461 लोगों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। तीन जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं। इनमें कठुआ, सांबा और जम्मू जिले शामिल हैं।

स्टेट मलेरिया विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले चौबीस घंटों में बीस लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई। इनमें अधिकांश जम्मू जिले के हैं। जम्मू जिले में अभी तक 280 से अधिक लोग डेंगू से पीड़ित है। हालांकि अधिकांश को छुट्टी हो गई है। मगर मेडिकल कालेज जम्मू और श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल दोनों ही जगहों पर सौ के करीब मरीज अभी भी भर्ती है। वहीं अभी भी हर दिन बड़ी संख्या में इन अस्पतालों मं संदिग्ध मरीज जांच के लिए आ रहे हैं। सांबा और कठुआ जिलों में भी ऐसी ही स्थिति है। कठुआ जिले में भी 90 से अधिक मरीज हो गए हैं।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, जम्मू जिले में अधिकांश मामले पुराने शहर से हैं। जानीपुर, रिहाड़ी, सरवाल क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हैं। हालांकि इन क्षेत्रों में फागिंग अभियान अभी जारी है। लेकिन अभी भी मामले आ रहे हैं। वहीं दो दिन पहले श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल में डेंगू पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए 54 बिस्तरों की क्षमता वाला वार्ड भी मरीजों से भरता जा रहा है। अभी तक 65 बच्चों में डेंगू की पुष्टि हुई। इनमें से 25 को स्वस्थ होने के बाद छुट्टी दे दी गई। अभी भी चालीसय मरीज अस्पताल में भर्ती है।

पिछले कुछ वर्ष में यह देखा गया है कि जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में ही डेंगू के मामले अधिक आते हैं। साल 2014 में जब डेढ़ हजार से अधिक मामले आए थे तब जम्मू में भगवती नगर स्थित यात्री निवास को भी अस्पताल में बदल दिया गया था। यह पहली बार था जब जम्मू में किसी यात्री निवास को अस्पताल में बदला गया था।

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