Jammu: कुलु रंग मेला के संस्थापक का कहना- लोक कलाएं समकालीन होती है

केहर सिंह ने हिमाचल में रंगमंच बारे जानकारी भी दी। केहर सिंह मूलत हिमाचल के कुलु के रहने वाले हैं जिन्हें रंगमंच के क्षेत्र में संगीत नाटक अकादमी की ओर से उस्ताद विसमिल्लाह खान युवा सम्मान भी मिल चुका है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 01:25 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 01:25 PM (IST)
Jammu: कुलु रंग मेला के संस्थापक का कहना- लोक कलाएं समकालीन होती है
नटरंग कलाकार अनिल टिक्कु ने टॉक शो में बातचीत की जिसमें केहर सिंह ने हिमाचल के रंगमंच पर प्रकाश डाला

जम्मू, जागरण संवाददाता: हिमाचल के कुलु में हर वर्ष आयोजित होने वाले रंग मेले के संस्थापक केहर सिंह ठाकुर का कहना है कि लोक कलाएं समकालीन होती हैं। वे अतीत नहीं हैं जैसा कि कि लोग समझते हैं। समय के साथ उनमें आधुनिकता आ जाती है और उसे स्वीकार करना चाहिए।

यह शब्द केहर सिंह ने नटरंग के टाॅक शो यंग वायस आफ थियेटर में कहे जिसमें उन्होंने हिमाचल में रंगमंच बारे जानकारी भी दी। केहर सिंह मूलत: हिमाचल के कुलु के रहने वाले हैं जिन्हें रंगमंच के क्षेत्र में संगीत नाटक अकादमी की ओर से उस्ताद विसमिल्लाह खान युवा सम्मान भी मिल चुका है। केहर सिंह साइंस ग्रेजुएट हैं और इसके अलावा उन्होंने पत्राकारिता में पीजी डिप्लोमा भी किया है।

वह देश के कई नामी रंगकर्मियों जिनमें केएन पानिकर, अवतार साहनी, रुद्र प्रसाद सेन गुप्त, बलवंत ठाकुर, सुमन कुमार, हनुमान प्रसाद यादव, गीता गुहा, राजेश शर्मा, वीके शर्मा के साथ काम कर चुके हैं। उन्होंने अमितवा दासगुप्ता से कथक भी सीखा है। रंगमंच के लिए उन्हें सांस्कृतिक मंत्रालय से जूनियर फेलोशिप भी मिल चुकी है।

केहर सिंह हिमाचल प्रदेश में लोक रंगमंच को बढ़ावा दे रहे हैं और वह दुग्ध धेनु, चिड़िया के बहाने, राना झीना और सुन्नी बुंकु नाटक भी लिख चुके हैं। उनके लिखे सभी नाटक हिमाचल लोक रंगमंच विधा में खेले गए हैं। केहर सिंह के साथ नटरंग के कलाकार अनिल टिक्कु ने टॉक शो में बातचीत की जिसमें केहर सिंह ने हिमाचल के रंगमंच पर प्रकाश डाला।

केहर सिंह ने बताया कि वह रंगमंच को बढ़ावा देने के लिए बच्चों के साथ काम कर रहे हैं ताकि युवा पीढ़ी को रंगमंच के साथ जोड़ा जा सके। उन्हाेंने सरकारी स्कूलों के बच्चों को रंगमंच के क्षेत्र में लाने का प्रयास किया है जिसमें वह काफी हद तक सफल भी हुए।  

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