Kashmir: शोपियां मुठभेड़ में किशोर आतंकी की मौत ने कश्मीर के स्वयंभू खैरख्वाहों को किया बेनकाब

10 और 11 अप्रैल को चित्रीगाम में मारे गए तीन आतंकियों में 14 साल का फैसल गुलजार गनई भी था। सुरक्षाबलों ने उससे सरेंडर कराने का हर संभव प्रयास किया। स्वजन की भी मदद ली। मगर आतंकी कमांडर ने उसे आत्मसमर्पण नहीं करने दिया और अंतत वह भी मारा गया।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 08:56 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 10:52 AM (IST)
Kashmir: शोपियां मुठभेड़ में किशोर आतंकी की मौत ने कश्मीर के स्वयंभू खैरख्वाहों को किया बेनकाब
बीते साल जनवरी में उड़ी में आठ लड़के पकड़े गए थे जो आतंकी बनने गुलाम कश्मीर जा रहे थे।

श्रीनगर, नवीन नवाज: शोपियां (चित्रीगाम) मुठभेड़ ने आतंकी हिंसा के उस भयावह सच को सामने ला दिया है, जिस पर कश्मीर के स्वयंभू खैरख्वाह और मानवाधिकारों के तथाकथित झंडारबदार पर्दा डाले हुए थे। यह कड़वा सच, गुमराह कर किशोरों के हाथों में हथियार थमाना और इस्लाम के नाम पर निर्दाेष लोगों का कत्ल करने की साजिश है। कश्मीर में लोग किशोरों को आतंकी हिंसा में झोंकने की निंदा कर रहे हैं। इससे आतंकी संगठनों में भी खलबली मची है।

10 और 11 अप्रैल को चित्रीगाम में मारे गए तीन आतंकियों में 14 साल का फैसल गुलजार गनई भी था। सुरक्षाबलों ने उससे सरेंडर कराने का हर संभव प्रयास किया। स्वजन की भी मदद ली। मगर आतंकी कमांडर ने उसे आत्मसमर्पण नहीं करने दिया और अंतत: वह भी मारा गया। इससे पूर्व नौ दिसंबर 2018 को मुठभेड़ में मारे आतंंकियों मुदस्सर पर्रे और साकिब बिलाल क्रमश: 14 व 16 साल के थे। मुदस्सर 12 साल की उम्र में पत्थरबाजी करते हुए पकड़ा था। 2017 में लिथपोरा पुलवामा हमला करने वाला आत्मघाती फरदीन खांडे किशोर था। फैजान अहमद, आरिफ ललहारी, शमसुल विकार, न्यूटन समेत कई ऐसे किशोर हैं जो छह वर्षों के दौरान आतंकी बने और मुठभेड़ में मारे गए।

नया नहीं है किशारों को हथियार बनाना : कश्मीर में 30 वर्षों से जारी आतंकी हिंसा के इतिहास का अगर आकलन करें तो किशोरावस्था के लड़कों को आतंकी बनाना, ओवरग्राउंड वर्कर के रूप में तैयार करना नई बात नहीं है। साल 2000 में बादामी बाग सैन्य छावनी पर हमला करने वाला आत्मघाती आतंकी किशोर ही था। वर्ष 2004 में सेना ने 12-17 साल के नौ किशोर आतंकियों को पकड़ा था। अगस्त 2012 में लश्कर ने दो किशोर आतकियों के जरिये सोपोर में ग्रेनेड हमले किए थे। 2017 में 15 किशोर, जिनमें से अधिकांश की आयु 12-15 साल थी, आतंकी बने थे। इनमें आठ को गुलाम कश्मीर जाते पकड़ा था। शेष सात में एक जैश और छह हिजबुल का हिस्सा बने। 2018 में आतंकी बने सात किशारों में एक अंसार गजवात-उल-हिंद में, एक जैश और शेष लश्कर व हिजबुल में शामिल हुए थे। बीते साल जनवरी में उड़ी में आठ लड़के पकड़े गए थे जो आतंकी बनने गुलाम कश्मीर जा रहे थे।

पत्थरबाजी के दौरान किए जाते हैं : चिह्नित - आतंकियों की भर्ती के सिलसिले में गिरफ्तार कई माटिवेटरों व ओवरग्राउंड वर्करों की पूछताछ में पता चला है कि किसी इलाके पत्थरबाजी या राष्ट्रविरोधी प्रदर्शनों में शामिल किशोरों की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। इसमें यह पता लगाया जाता है कि वह बंदूक उठा सकते हैं या नहीं।

आतंकी संगठनों के लिए उम्र नहीं रखती मायने : पूर्व पुलिस महानिरीक्षक अशकूर वानी ने कहा कि लश्कर, जैश, हिजबुल या अन्य कोई आतंकी संगठन 11-12 साल के किशोर को भर्ती कर लेते हैं। हिजबुल के कमांडर सैय्यद सलाहुदीन का साक्षात्कार था, जिसमें उसने कहा था कि 11-12 साल के लड़कों को आतंकी बनाना आसान है। वहीं, 20-25 साल के लड़कों को आतंकी बनाना मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकी और अलगाववादी अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किशोरावस्था लड़कों का पूरा इस्तेमाल करते हैं। वह अक्सर उनकी हथियारों संग तस्वीरें और वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल करते हैं, कई किशोर आतंकियों के आडियो वीडियो उनकी मौत के बाद वायरल किए जाते हैं। इन वीडियो में जिहादी तराने और कश्मीर में जुल्म की झूठी कहानियों की बातें भी होती हैं ताकि लोगों में सुरक्षाबलों के खिलाफ गुस्सा पैदा हो।

जिहादी बनाने के लिए पत्रिकाओं का प्रकाशन : लश्कर की नन्हे मुजाहिद और जैश की मुसलमान बच्चे नाम की पत्रिकाएं हैं। ये पत्रिकाएं बच्चों में जिहादी मानसिकता पैदा करती हैं। इसमें उन्हेंं मुस्लिमों पर कथित जुल्म की कहानियां, हिंदुओं पर मुस्लिम आक्रांताओं के हमलों की कहानियां बताई जाती हैं।

आतंकी संगठन भी जुटे छवि बचाने में : शोपियां मुठभेड़ में किशोर आतंकी की मौत के बाद वादी में जिहादी संगठनों के खिलाफ पैदा हुए रोष से आतंकी सरगना घबरा गए हैं। अपनी साख बचाने के लिए हमदर्दी जुटाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) नामक आतंकी संगठन ने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है,जिन्होंने उसे आतंकी संगठन में भर्ती किया था। पीएएफएफ ने कहा कि हम यहां कश्मीर की आने वाली नस्लों की हिफाजत के लिए लड़ रहे हैं। 

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