Shri Shankaracharya Jayanti 2021: आदि गुरु श्री शंकराचार्य जी की जयंती 17 मई को मनाई जाएगी, इतनी आयु में हुआ मोक्ष प्राप्त

हान हिन्दू दार्शनिक एवं धर्मगुरु श्री शंकराचार्य जी की जयंती 17 मई सोमवार को मनाई जाएगी। उनका जन्म वैशाख शुक्ल पंचमी के पावन दिन हुआ था। इस दिन हर वर्ष आदि गुरु शंकराचार्य जी की जयंती मनाई जाती है।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 05:04 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 05:04 PM (IST)
Shri Shankaracharya Jayanti 2021: आदि गुरु श्री शंकराचार्य जी की जयंती 17 मई को मनाई जाएगी, इतनी आयु में हुआ मोक्ष प्राप्त
आदि शंकराचार्य जी का जन्म 788 ईसा पूर्व केरल के कालड़ी में एक नंबूदरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

जम्मू, जागरण संवाददाता । महान हिन्दू दार्शनिक एवं धर्मगुरु श्री शंकराचार्य जी की जयंती 17 मई सोमवार को मनाई जाएगी। उनका जन्म वैशाख शुक्ल पंचमी के पावन दिन हुआ था। इस दिन हर वर्ष आदि गुरु शंकराचार्य जी की जयंती मनाई जाती है। आद्यगुरू श्री शंकराचार्य जी ने आठ वर्ष की उम्र में गृहस्थ जीवन को त्याग कर संयास जैसे जीवन का कठिन रास्ता अपनाया था।

हिंदू धर्म की पुनरूस्थापना की

आदि शंकराचार्य जी एक ऐसे धर्मगुरु माने जाते हैं जिन्होंने हिंदू धर्म की पुनरूस्थापना की। जिन्होंने अद्वैत वेदांत मत का प्रचार किया। देश के चारों कोनों में शक्तिपीठों की स्थापना कर हिंदू धर्म की ध्वजा दुनिया भर में फहराई। मान्यता के अनुसार आदि शंकराचार्य शिव के अवतार थे। कुल 32 वर्ष की आयु में आदि गुरू शंकराचार्य जी ने मोक्ष प्राप्त की।

आदि गुरु श्री शंकराचार्य जी जयंती भारत एवं विदेशों में भी बड़े ही धूम धाम से मनाई जाती है। इस दिन भारत के चारों कोनों में स्थित मठों को सजाया जाता है। हर तरफ हवन, यज्ञ, पूजन आदि होता हैं और आदि गुरु श्री शंकराचार्य जी द्वारा दिए गए उपदेशों पर चलने का संकल्प भी लिया जाता है।

आदि शंकराचार्य जी का जन्म 788 ईसा पूर्व केरल के कालड़ी में एक नंबूदरी ब्राह्मण परिवार में हुआ

आदि शंकराचार्य जी का जन्म 788 ईसा पूर्व केरल के कालड़ी में एक नंबूदरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इसी उपलक्ष्य में वैशाख मास की शुक्ल पंचमी के दिन आदि गुरु शंकराचार्य जयंती मनाई जाती है।मान्यता है कि इस पवित्र समय अद्वैत सिद्धांत का पाठ करने से व्यक्ति को परेशानियों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस दिन धर्म यात्राएं एवं शोभा यात्रा भी निकाली जाती है। आदि शंकराचार्य जी ने अद्वैत वाद के सिद्धांत को प्रतिपादित किया जिस कारण आदि शंकराचार्य जी को हिंदु धर्म के महान प्रतिनिधि के तौर पर जाना जाता है। आदि शंकराचार्य जी को जगद्गुरु एवं शंकर भगवद्पादाचार्य के नाम से भी जाना जाता है। 

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