Narendra Chanchal: अमर हुई 'तूने मुझे बुलाया शेरांवालिये...की आवाज, कटड़ा में 1988 से लगातार करते आ रहे थे जागरण

भजन गायक नरेंद्र चंचल अब कभी कटड़ा में मां का जागरण करने नहीं आएंगे। शुक्रवार को उनके निधन से कटड़ा में भी शून्य पैदा हो गया है। चंचल बचपन से ही परिवार के साथ हर साल नववर्ष पर माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आते थे।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 08:26 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 08:26 AM (IST)
Narendra Chanchal: अमर हुई 'तूने मुझे बुलाया शेरांवालिये...की आवाज, कटड़ा में 1988 से लगातार करते आ रहे थे जागरण
भजन गायक नरेंद्र चंचल वर्ष 2018 में कटड़ा में माता का जागरण करते हुए।

कटड़ा, राकेश शर्मा : 'तूने मुझे बुलाया शेरांवालिये...जैसे भजनों से लोगों के दिलों में अलग जगह बनाने वाले भजन गायक नरेंद्र चंचल अब कभी कटड़ा में मां का जागरण करने नहीं आएंगे। शुक्रवार को उनके निधन से कटड़ा में भी शून्य पैदा हो गया है। चंचल बचपन से ही परिवार के साथ हर साल नववर्ष पर माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आते थे। उनका यह नियम जारी रहा। वैष्णो देवी की यात्रा को इस मुकाम तक पहुंचाने में उनके भजनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वह कहते थे, वैष्णो देवी से मेरा मां-बेटे का रिश्ता है। कोरोना महामारी के चलते अपने जीवन में पहली बार इस वर्ष नववर्ष पर कटड़ा नहीं आ सके और इस दुनिया को अलविदा कह गए।

हर पल हंसमुख और खुले मिजाज के नरेंद्र चंचल के इस दुनिया से चले जाने से मानो कटड़ावासियों ने अपने परिवार का एक सदस्य खो दिया हो, क्योंकि वह अक्सर कहा करते थे कि मैं कटड़ावासियों के परिवार का सदस्य हूं। कटड़ा के बुजुर्गों बंसी लाल शर्मा, आनंद खजूरिया ने बताया कि जब नरेंद्र चंचल बचपन में आते थे, तब कटड़ा छोटा सा गांव हुआ करता था। तब वह परिवार के साथ कटड़ा में ही लोगों के घरों में और चिंतामणि मंदिर में मां वैष्णो देवी की भजन गाया करते थे।

समय के साथ नरेंद्र चंचल को प्रसिद्धि मिली और वह कई वर्षों तक नववर्ष पर मां वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा के प्रांगण में भजन प्रस्तुत करते रहे, लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे मां वैष्णो देवी की यात्रा में बढ़ोतरी होने लगी तो वर्ष 1988 के बाद वह आधार शिविर कटड़ा में मां जागरण करने लगे। यह सिलसिला वर्ष 2020 तक जारी रहा। उनके जीवन में यह पहली बार हुआ कि कोरोना महामारी के चलते 2021 में वह मां के चरणों में हाजिरी नहीं लगा सके और न ही मां का जागरण कर सके।

...जब नरेंद्र चंचल की बंद हो गई थी आवाज :

एक बार कटड़ा आने पर दैनिक जागरण के साथ अनुभव साझा करते हुए नरेंद्र चंचल ने बताया था कि जब वह बॉलीवुड में प्रसिद्धि के दौर में थे तो गाने की रिकॉर्डिंग के लिए मुंबई में ही रुकना पड़ा, जिसके चलते नववर्ष पर मां के चरणों में नहीं आ सके। तभी उनकी आवाज बंद हो गई और गाना रिकॉर्ड नहीं कर पाए। वैष्णो देवी का एहसास होते ही तुरंत कटड़ा आए और यह निश्चय कर लिया कि जीवन में विश्व में कहीं भी रहूं, परंतु नववर्ष मां के चरणों में ही मनाता रहूंगा। चर्चा में उन्होंने यह भी बताया था कि दैनिक जागरण समाचारपत्र के साथ उनका विशेष लगाव है। वह इसे निरंतर पढ़ते हैं।

यात्रा में बढ़ोतरी में चंचल का बहुमूल्य योगदान :

इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि वर्तमान में जिस चरम पर मां वैष्णो देवी की यात्रा पहुंची है, उसमें महत्वपूर्ण योगदान नरेंद्र चंचल का रहा है। चंचल ने ...चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है और तूने मुझे बुलाया शेरांवालिये...भजन अपनी मनमोहक आवाज में गाकर अमर बना दिया। इसके अलावा मैं तेरे बिना रह नहीं सकदा मां, मैनू तेरी आदत पै गई है..., फुल्लां दा बनाया तेरा हार शेरावालिए... आदि सुनकर देशभर से लोग वैष्णो देवी के यात्रा करने आए।

मां वैष्णो देवी का परम भक्त खो दिया : अंबरीष मगोत्रा

करीब 28 वर्ष से लगातार नरेंद्र चंचल का विशाल जागरण आयोजित करते आ रहे कटड़ा नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष व पार्षद अंबरीष मगोत्रा ने कहा कि उन्होंने अपना बड़ा भाई व मां वैष्णो देवी का परम भक्त खो दिया है। मगोत्रा ने बताया कि नरेंद्र चंचल कटड़ा में वर्ष 1988 से लगातार जागरण करते आ रहे थे। वर्ष 1992 से मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ और तबसे मैं जागरण आयोजित करता था।

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