कश्मीर में अपना वर्चस्व कम होते देख बौखलाए आतंकी, लोगों को डराने के लिए उठा रहे ये कदम!

एक पीडि़त किसान ने नाम न छापने पर कहा कि आतंकी हमारी रोजी-रोटी छीन रहे हैं लेकिन डर के मारे हम पुलिस के पास शिकायत करने भी नहीं जा पा रहे हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 18 Sep 2019 11:07 AM (IST) Updated:Wed, 18 Sep 2019 11:29 AM (IST)
कश्मीर में अपना वर्चस्व कम होते देख बौखलाए आतंकी, लोगों को डराने के लिए उठा रहे ये कदम!
कश्मीर में अपना वर्चस्व कम होते देख बौखलाए आतंकी, लोगों को डराने के लिए उठा रहे ये कदम!

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीर में अपना वर्चस्व कम होते देख आतंकी संगठनों में बौखलाहट शुरू हो गइ है। अनुच्छेद 370 हटने व जम्मू-कश्मीर व लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने के बाद कश्मीर में जेहाद की आग भड़काने के मंसूबे तैयार कर रहे आतंकवादी घाटी में बदल रही फिजा देख अब आम लोगों को नुकसान पहुंचा उनमें डर बनाने का प्रयास कर रहे है। अच्छी बात यह है कि लोगों में अपना खौफ बनाने के लिए वे जो कदम उठा रहे हैं, उससे कश्मीर के लोगों में खौफ नहीं बल्कि उनके प्रति नफरत पैदा हो रही है।

कश्मीर में नेफेड की खरीद प्रक्रिया शुरू होने से जहां सेब उत्पादक बेहद उत्साहित हैं, वहीं जिहादी और राष्ट्रविरोधी तत्व पूरी तरह बौखला गए हैं। पिछले चार दिन में दक्षिण कश्मीर में कुछ जगहों पर आतंकियों द्वारा किसानों की फसल को नुकसान पहुंचाने व सेब की पेटियों को जलाने की सूचनाएं आई हैं। बावजूद इसके कश्मीर के सेब उत्पादक आतंकियों की धमकियों व फरमानों को ठेंगा दिखा रहे हैं। मात्र पांच दिन में करीब 500 सेब उत्पादक बागवानी विभाग के पास अपनी फसल बेचने के लिए पंजीकरण करा चुके हैं और 10 हजार पेटियां सेब खरीदा जा चुका है।

पांच अगस्त के बाद से कश्मीर में कानून व्यवस्था की उपजी स्थिति में आतंकियों ने स्थानीय सेब उत्पादकों को फरमान सुना रखा है कि वह देश की मंडियों में सेब निर्यात न करें। इस फरमान को न मानने पर आतंकियों ने पिछले दिनों सोपोर में सेब कारोबार से जुड़े तीन लोगों के अलावा एक ढाई साल की बच्ची को भी गोली मारी थी। स्थानीय सेब उत्पादकों को नुकसान से बचाने के लिए राज्य सरकार के आग्रह व केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर नेफेड ने स्थानीय सेब उत्पादकों से न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर प्रत्येक ग्रेङ्क्षडग का सेब खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर रखी है। यह योजना गत 12 सितंबर से लागू की गई है। इस योजना से कश्मीर में करीब सात लाख किसान लाभान्वित होंगे।

आतंकियों ने आम शहरी की कार में लगाई आग

उत्तरी कश्मीर के सोपोर में मंगलवार को आतंकियों ने एक शहरी की कार में आग लगा दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार, कुपवाड़ा का रहने वाला बशीर अहमद खान किसी काम से श्रीनगर आया था। वह जब लौट रहा था तो सोपोर-कुपवाड़ा मार्ग पर उसे चार हथियारबंद आतंकियों ने रोक लिया। उसे जिस जगह रोका गया, वह एक पेट्रोल पंप से कुछ ही दूरी पर है। बशीर ने इसी पेट्रोल पंप पर गाड़ी में पेट्रोल भी भरवाया था। आतंकियों ने बशीर और उसके साथ गाड़ी में बैठे अन्य लोगों को बाहर निकाल बंद का फरमान न मानने पर राइफल की बटों से पीटा। इसके बाद बशीर और उसके साथियों को गंभीर परिणामों की चेतावनी देते हुए कार में आग लगाकर चले गए। बशीर के सामने ही उसकी कार जलकर तबाह हो गई। सूचना मिलते ही पुलिस और दमकल कर्मी मौके पर पहुंच गए, लेकिन तब तक आतंकी फरार हो चुके थे।

पहले चरण में अनंतनाग, श्रीनगर और सोपोर में बनाई गई हैं मंडियां :

पहले चरण में किसानों से सेब की सीधी खरीद के लिए अनंतनाग, श्रीनगर और सोपोर में मंडियां बनाई गई हैं। इन मंडियों को लेकर विशेषकर छोटे और मझोले किसानों में जबरदस्त उत्साह है। फल व्यापारी अपनी फसल बागवानी विभाग के सहयोग से नेफेड द्वारा स्थापित मंडियों में लेकर पहुंच रहे हैं। इससे हताशा आतंकियों ने पिछले चार दिन में दक्षिण कश्मीर के अकिनगाम में एक बाग को नुकसान पहुंचाने के अलावा दो सेब उत्पादकों द्वारा मंडी में पहुंचने के लिए तैयार रखी गई सेब की पेटियों को आग लगा दी। क्षतिग्रस्त बाग के मालिक के नुक्सान की भरपाई के लिए कम से 10-15 साल लगेंगे, क्योंकि पेड़ के सही तरीके से तैयार होने में यही समय लगता है। इसके अलावा जिन किसानों की सेब पेटियां जलाई गई हैं, उन्हें 75 हजार से लेकर दो लाख रुपये का नुकसान हुआ है। इनके अलावा कुलगाम और पुलवामा में भी कुछ किसानों को आतंकियों द्वारा नुकसान पहुंचाने की सूचना है।

सुरक्षा के और कड़े बंदोबस्त किए जाएं :

एक पीड़ित किसान ने नाम न छापने पर कहा कि आतंकी हमारी रोजी-रोटी छीन रहे हैं, लेकिन डर के मारे हम पुलिस के पास शिकायत करने भी नहीं जा पा रहे हैं। शोपियां निवासी फैयाज अहमद ने कहा कि अभी हमारे यहां सरकार ने मंडी स्थापित नहीं की है। कुछ छोटे किसानों की सेब की फसल तैयार है और वह बटेंगू, अनंतनाग की मंडी में जा रहे हैं। डर है कि जिहादी शोपियां में मंडी लगने के बाद हमें भी नुकसान पहुंचाएंगे। इसलिए सुरक्षा के और कड़े बंदोबस्त किए जाएं।

लगातार बढ़ रही पंजीकरण कराने वालों की संख्या :

बागवानी निदेशक कश्मीर एजाज अहमद बट ने दैनिक जागरण को बताया कि बहुत से सेब उत्पादक हमारे पास पंजीकरण कराने आ रहे हैं। हमें आज पक्षिरपोरा में एक नया काउंटर बनाना पड़ा है, जिस पर बुधवार से खरीद की प्रक्रिया शुरू होगी। अनंतनाग में गत सोमवार को हमने एक हजार पेटी सेब खरीदा है। सोपोर में बीते तीन दिनों में पांच हजार से ज्यादा सेब पेटी उतरा है। पङ्क्षरपोरा में करीब तीन हजार सेब पेटी की खरीद हुई है। उन्होंने बताया कि सोपोर मे सरकारी खरीद के लिए पंजीकरण कराने वाले सेब उत्पादकों की संख्या शनिवार की शाम तक 150 थी। आज और 40-45 किसानों ने पंजीकरण कराया है। श्रीनगर में करीब 70 पंजीकरण हुए हैं। अनंतनाग मंडी में 164 किसान पंजीकृत हुए हैं। बारामुला से करीब 40 व्यापारियों ने सोपोर मंडी में खुद को पंजीकृत कराया है। इसके अलावा पुलवामा और बडगाम के कुछ व्यापारी भी श्रीनगर में पंजीकरण कराने पहुंचे हैं। इनके लिए हम पङ्क्षरपोरा मंडी में एक अलग काउंटर शुरू कर रहे हैं।

सीधे बाजार में भी फसल बेच सकते हैं किसान :

बागवानी निदेशक कश्मीर एजाज अहमद बट ने कहा कि इस योजना को शुरू हुए अभी चंद दिन ही हुए हैं। जैसे-जैसे लोगों को पता चलेगा मंडियो में आवक तेज होगी, नैफेड को सेब बेचने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ेगी। उन्होंने समर्थन मूल्य का जिक्र करते हुए कहा कि बाजार के रुझान को देखते हुए मूल्य तय किया गया है। अगर कोई किसान इस मूल्य पर हमें अपनी फसल नहीं बेचना चाहता तो वह बाजार में खुद भी बेच सकता है। हमने यह योजना किसानों को बिचौलियों से मुक्त कराने के लिए शुरू की है।

प्रशासन हर तरह से कर रहा किसानों की मदद :

आतंकियों द्वारा किसानों को धमकाने और उनकी फसल जलाए जाने की खबरों पर बागवानी निदेशक ने कहा कि मैंने भी सुना है, लेकिन पुलिस या किसी अन्य अधिकारिक स्तर पर कोई सूचना नहीं है। प्रशासन हर तरह से किसानों की मदद कर रहा है। उन्होंने कहा कि शोपियां में देरी से फसल तैयार होती है। इसलिए वहां अभी मंडी नहीं बनाई गई है। बुधवार को हमारा दल शोपियां जाएगा और वहां के हालात का जायजा लेकर मंडी स्थापित करेगा। 

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