World Blood Donor Day : 30 साल में 82 बार अध्यापक सज्जाद ने किया रक्तदान
पेशे से अध्यापक सज्जाद 30 वर्ष से रक्तदान करते हैं। अभी तक 82 बार रक्तदान करने वाले सज्जाद ने 200 सदस्यों का एक समूह बनाया है जिसमें अधिकतर विद्यार्थी हैैं। समूह ने रक्तदान कर हजारों लोगों की जानें बचाई हैं।
श्रीनगर, रजिया नूर : वादी में कोरोना महामारी की दूसरी लहर धीरे-धीरे दम तोड़ रही है, लेकिन सज्जाद हुसैन व उनका रक्तदान समूह अस्पतालों में जरूरतमंदों की रगों में अपना खून देकर उनमें जिंदगी देते हैैं। पेशे से अध्यापक सज्जाद 30 वर्ष से रक्तदान करते हैं। अभी तक 82 बार रक्तदान करने वाले सज्जाद ने 200 सदस्यों का एक समूह बनाया है, जिसमें अधिकतर विद्यार्थी हैैं। समूह ने रक्तदान कर हजारों लोगों की जानें बचाई हैं। समूह आम लोगों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करता है।
जरूरत पडऩे पर लोगों की अंगुलियां इसी समूह के हेल्पलाइन नंबर को घुमाती हैं। इस समूह की विशेषता है कि इनका अपना कोई ब्लड बैंक नहीं है। समूह के सभी सदस्यों ने निजी स्तर पर इंटरनेट साइटों पर अपने संपर्क नंबर दे रखे हैं। जरूरतमंदों द्वारा सूचित करते ही वे रक्तदान के लिए पहुंच जाते हैं। इसीलिए समूह लोगों में मोबाइल ब्लड बैंक के नाम से मशहूर है।
घायल बच्चे की पीड़ा देख जगा सेवा का जज्बा : मध्य कश्मीर के बडग़ाम जिले के मागाम इलाके के निवासी सज्जाद हुसैन कहते हैैं कि वर्ष 1990 से उन्होंने रक्तदान करना शुरू कर दिया था। उन दिनों यहां आतंकवाद शुरू हो गया था। उससे पैदा हालात के कारण जरूरतमंदों को खून की जरूरत होती थी। मैं उन दिनों पढ़ रहा था। एक बार क्रास फायरिंग में एक बच्चा बुरी तरह से घायल हो गया था। उसे ओ पाजिटिव खून की जरूरत थी। मुझे पता चला, तो अस्पताल में पहुंच कर रक्तदान किया। सज्जाद ने कहा कि वर्ष 2001 में मैंने इमाम सज्जाद ब्लड डोनर्स ग्रुप बनाया और बाकी लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया। तब तक अध्यापक मेरी नौकरी भी लग चुकी थी। लिहाजा क्लासरूम में बच्चों को पढ़ाने के साथ रक्तदान करने संबंधित जानकारी भी देता था।