Jammu : अगर आप बच्चों को टोक रहे हैं तो उन्हें इसका कारण भी बताएं, उन्हें अच्छे संस्कार दें

बच्चों को नैतिक शिक्षा दें। उसका नैतिक विकास करें ताकि उसे गलती सही का खुद ही पता चले। अभिभावक होने के नाते हमें बच्चों को अच्छे विचार देने हैं। उसके कमरे में अच्छे विचार लिखकर रखें ताकि वह उसे आते जाते पढ़ता रहे। बच्चों के साथ संवाद बनाकर रखें।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 01 Oct 2021 02:53 PM (IST) Updated:Fri, 01 Oct 2021 02:53 PM (IST)
Jammu : अगर आप बच्चों को टोक रहे हैं तो उन्हें इसका कारण भी बताएं, उन्हें अच्छे संस्कार दें
हमें ऐसा भी नहीं करना चाहिए। इससे बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

जम्मू, जागरण संवाददाता : दैनिक जागरण संस्कारशाला के फेसबुक लाइव में शिक्षक राकेश कुमार ने अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि वे अपने बच्चों को सिर्फ टोके ही नहीं बल्कि उन्हें अच्छे बुरे की पहचान करवाएं। उन्होंने कहा कि बच्चे गीली मिट्टी की तरह हैं और उन्हें जिस तरफ अभिभावक ढालेंगे, वे वैसा ही बन जाएंगे। इसलिए यह हम सब शिक्षकों व अभिभावकों का कर्तव्य बनता है कि हम उनका आदर्श बनें और उन्हें अच्छे संस्कार दें।

उन्होंने कहा कि हमें बच्चों काे उनकी सीमा बतानी है। उन्हें बताना है कि हमें क्या करना है या नहीं करना। उन्हें सीमा में रखना हैं। उन्हाेंने हाथी का उदाहरण देते हुए कहा कि छोटे हाथी को लोहे की चेन के साथ छोटे से खूंटे के साथ उसका एक पैर बांध दिया जाता है। समय के साथ साथ हाथी बड़ा होते जाता है लेकिन वह उस खूंटे और चेन के दायरे से बाहर नहीं निकलता। इसी तरह बच्चों को भी हमें संस्कारों की सीमा में बांधना है।

उन्हें बताना है कि उनके संस्कार क्या हैं और उन्हें उनका आदर करना है। उन्हें बाल्यकाल से ही बेहतर इंसान बनाना है। उन्होंने कहा कि कुछ अभिभावक अपने बच्चों को रोकते टोकते नहीं है। हमें बच्चों को रोकना और टोकना है लेकिन उन्हें उसका कारण भी बताना है। अगर बच्चा फास्ट फूड खाना मांगता है तो उसे सिर्फ मना ही नहीं करना है बल्कि उसे उसके नुकसान भी बताने हैं। कई अभिभावक अपने बच्चों को गुस्से से डांट कर रोकते हैं। हमें ऐसा भी नहीं करना चाहिए। इससे बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

बच्चों को नैतिक शिक्षा दें। उसका नैतिक विकास करें ताकि उसे गलती सही का खुद ही पता चले। अभिभावक होने के नाते हमें बच्चों को अच्छे विचार देने हैं। उसके कमरे में अच्छे विचार लिखकर रखें ताकि वह उसे आते जाते पढ़ता रहे। बच्चों के साथ संवाद बनाकर रखें। उसने दिन में क्या किया। उसके दोस्त कौन हैं। उसके दोस्तों में क्या अच्छी या बुरी आदतें हैं, इस बारे पूछे। उनके साथ मित्र बनकर समझाएं।

प्रयास करना है कि बच्चे को समय समय पर नैतिक शिक्षा देते रहें। इसके लिए हमें बच्चे को अच्छा साहित्य पढ़ने की आदत डालनी होगी। उसके जन्मदिन आदि पर उसे उपहारों में अच्छी पुस्तकें भेंट करे। अच्छी पुस्तकें पढ़ने से उसका स्वभाव अच्छा बनेगा। उसमें सहयोग की भावना पैदा करनी है। बच्चे के सामने झूढ न बोलें ताकि बच्चा भी आपको देखकर झूठ न बोलना शुरू न कर दें। 

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