Jammu : जम्मू में प्रवासी पक्षियों से खिल रहे तवी और चिनाब नदी के किनारे
सर्दियों के दिनों में प्रवासी पक्षी यहां पर आकर डेरा जमा लेते हैं। गुगरल बतख तो गर्मियों में भी तवी व चिनाब नदी के कुछ क्षेत्रों में आसानी से दिखती है। चोंच पर नारंगी व पीला निशान लेने वाली यह बतखें यहां पर अब बड़ी संख्या में दिखने लगी हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता : जैसे-जैसे सर्दी बढ़ रही है, वैसे-वैसे तवी और चिनाब नदी के कुछ चुनिंदा किनारे प्रवासी पक्षियों की रंगत से खिलने लगे हैं। ब्रह्मी बतखों के अलावा गुगरल बतख, सींख पर, बेखुर बतख, मुर्गाबी, तिद्दारी बतखें इस नमी भूमि और नदी के किनारों पर विचरण कर रहे हैं। वहीं ग्रे व पर्पल हेरान भी नदियों के किनारों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। खासकर तवी नदी के बड़ेयाल ब्राह्मणा, कुकरियां, मकवाल बेल्ट वाले क्षेत्रों में व चिनाब नदी के परगवाल बेल्ट में इन मेहमान पक्षियों ने डेरा डाले हुए हैं।
यह वो क्षेत्र हैं जो प्रवासी पक्षियों को पसंद हैं। सर्दियों के दिनों में प्रवासी पक्षी यहां पर आकर डेरा जमा लेते हैं। गुगरल बतख तो गर्मियों में भी तवी व चिनाब नदी के कुछ क्षेत्रों में आसानी से दिखती है। चोंच पर नारंगी व पीला निशान लेने वाली यह बतखें यहां पर अब बड़ी संख्या में भी दिखने लगी हैं। साइज में बड़ी यह बतखें अपनी रंगत व कद काठी के कारण आसानी से पहचानी जा सकती हैं। वहीं तवी नदी में ब्रह्मी बतखों का नजारा आसानी से देखा जा सकता है। नारंगी रंग की यह बतखें दूर से ही अपने रंग के कारण पहचानी जाती है। वैसे सीमावर्ती क्षेत्र के खेतों या बसंतर नदी क्षेत्र में भी यह बतखें दिख जाती हैं। यह पक्षी बहुत ही चौकन्ना होता है। जैसे जैसे इंसान इनके नजदीक जाता है, उसी रफ्तार से यह पक्षी भी आगे बढ़ते जाते हैं।
पर्यावरणविद चंद्र मोहन शर्मा का कहना है कि तवी नदी हो या चिनाब नदी, यह इंसानों के लिए जीवन रेखा तो है ही, वहीं वन्यजीवों के लिए भी सहारा है। इसके किनारों पर प्रवासी परिंदे अपना बसेरा बनाते हैं। हमें इन नदियों पर परिंदों के बेहतर स्थल को खोजने की दिशा में काम करना चाहिए। वहीं पर्यावरणविद् रिशीपाल का कहना है कि प्रवासी पक्षियों के आने से तवी व चिनाब नदी के किनारे खिल जाते हैं। हमें कुछ अच्छे स्थलों की पहचान कर इसे पर्यटन से जोड़ना चाहिए।